किसान आंदोलन का बड़ा फैसला: 45 हजार गांवों में चलेगा ‘गांव बंद से किसान राज तक’ अभियान, सरसों के दाम तय करने की मांग – Jaipur News

3
किसान आंदोलन का बड़ा फैसला:  45 हजार गांवों में चलेगा ‘गांव बंद से किसान राज तक’ अभियान, सरसों के दाम तय करने की मांग – Jaipur News
Advertising
Advertising

किसान आंदोलन का बड़ा फैसला: 45 हजार गांवों में चलेगा ‘गांव बंद से किसान राज तक’ अभियान, सरसों के दाम तय करने की मांग – Jaipur News

किसान भवन में किसान महापंचायत के द्वारा बुलाई गई समान विचारधारा वाले किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

Advertising

किसान आंदोलन में एक नया मोड़ आया है, जहां किसानों ने लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को मजबूती से रखने का निर्णय लिया है। 29 जनवरी को देश के 45,537 गांवों में ‘गांव बंद आंदोलन’ का आह्वान किया गया है। यह आंदोलन अहिंसा, सत्य और शांति के मार्ग पर चलते

.

Advertising

आंदोलन का मुख्य उद्देश्य धन-आधारित नहीं, बल्कि जन-आधारित चुनावी व्यवस्था की स्थापना है। इसके लिए विधानसभावार पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की जाएगी, जो लोकमत जागरण का काम करेगी। किसानों का मानना है कि देश की समृद्धि किसानों की खुशहाली से जुड़ी है, और इसके लिए “खेत को पानी – फसल को दाम” का नारा दिया गया है।

वर्तमान में सरसों के मूल्य निर्धारण को लेकर एक बड़ा मुद्दा सामने आया है। राजस्थान, जो देश का सबसे बड़ा सरसों उत्पादक राज्य है और कुल उत्पादन का 48% हिस्सा रखता है, में किसानों को पिछले साल काफी नुकसान हुआ। जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,650 रुपए प्रति क्विंटल था, किसानों को मात्र 4,600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान मिला। इस स्थिति को देखते हुए किसान अब सरसों का मूल्य खुद निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं।

मंगलवार को जयपुर के किसान भवन में किसान महापंचायत के द्वारा बुलाई गई समान विचारधारा वाले किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की अध्यक्षता में संपन्न हुई। जिसमें राजस्थान के संयोजक सत्यनारायण सिंह, प्रदेश अध्यक्ष मुसद्दीलाल यादव, महामंत्री सुंदरलाल भावरिया, युवा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर चौधरी, प्रदेश मंत्री बत्ती लाल बैरवा, युवा प्रदेश महामंत्री पिंटू यादव एडवोकेट, समग्र सेवा संघ के अध्यक्ष सवाई सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता प्रो गोपाल मोडानी, आप पार्टी के राजस्थान के पूर्व सचिव देवेंद्र शास्त्री, किसान यूनियन के अध्यक्ष ओम बेनीवाल, मरुधरा किसान यूनियन के डी. के. जैन, एमएसपी विशेषज्ञ मनजिंदर सिंह अटवाल सहित जिला अध्यक्ष, तहसील अध्यक्षों ने भागीदारी की।

Advertising

इस बैठक में 29 जनवरी को हुए गांव बंद आंदोलन की समीक्षा और भावी रणनीति पर चर्चा हुई। इसके साथ ही फसलों का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्ति की दिशा में ₹6000 प्रति क्विंटल से कम दामों में सरसों नहीं बेचने के संकल्प के लिए प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। इसी दिशा में चने के न्यूनतम समर्थन मूल्य हेतु राजस्थान, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया। 28 फ़रवरी तक सभी जिला कलेक्टरों के माध्यम से सरकारों को ज्ञापन प्रेषित करने का निर्णय भी लिया गया। जिसमें निर्धारित मात्रा से अतिरिक्त अवैध तौल जो 250 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम प्रति क्विंटल तक किया जा रहा है, उसे रोकने का मुद्दा भी प्रमुख रहेगा!सरसों को ₹ 6000 प्रति क्विंटल से कम दाम पर नहीं बेचने के अभियान को जिला स्तर पर जनजागरण के द्वारा गति दी जाएगी। इस संबंध में ग्राम सभाओं के आयोजन को भी प्राथमिकता दी जाएगी।

इस वर्ष सरसों के बाजार में 5500 रुपए प्रति क्विंटल तक के भाव है जबकि घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 5950 रुपए प्रति क्विंटल है, बाजार के भाव सरसों की आवक आरंभ होते ही 5000 रुपए प्रति क्विंटल तक से भी नीचे चले जाते हैं, भारत सरकार खाद्य तेल के आयात पर प्रतिवर्ष लाखों करोड़ रुपए व्यय करती है किंतु देश के सबसे उत्पादक किसानों को वह मूल्य भी सुनिश्चित नहीं कर पाती है जिन्हें न्यूनतम के रूप में घोषित किया जाता है । इसके अतिरिक्त पाम ऑयल जैसे अखाद्य पदार्थ को खाद्य तेल के नाम पर आयात शुल्क शून्य तक कर देते हैं । सरसों के तेल बनाने वाले उद्योग सरसों के तेल में पाम आयल जैसे अखाद्य पदार्थ की मिलावट करते रहते हैं दुष्परिणाम: सरसों के मूल्य कम होते जाते है । इसके लिए देश के 8 राज्यों के 101 किसानों ने 06 अप्रैल 2023 को दिल्ली के जंतर मंतर पर 1 दिन का उपवास कर सरसों सत्याग्रह भी किया था, तब भी सरकार ने सार्थक करवाई नहीं की इसलिए सरसों उत्पादक किसानों ने सर्वसम्मति से अपनी सरसों 6000 रुपए प्रति क्विंटल से कम दामों पर नहीं बेचने के लिए संकल्प का प्रस्ताव पारित किया है । प्रथम चरण में यह अवधि 15 मार्च तक रहेगी, 16 मार्च को समीक्षा के उपरांत आगे की रणनीति घोषित की जाएगी । इसी संदर्भ में किसानों की सरसों गिरवी रखकर केंद्र एवं राज्य सरकारों से वर्ष 2007 से बने हुए कानून के अनुसार किसानों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की 80% राशि बिना ब्याज उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए जिससे संसद में केंद्र सरकार द्वारा दिया गया वह वक्तव्य पूर्ण हो सके जिसमें किसानों को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में उनकी उपज बेचने के लिए विवश नहीं होना पड़े ।”

राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News

Advertising