किशनगंज में मृत शिक्षक को मिली उपचुनाव में ड्यूटी: किशनगंज प्रशासन की लापरवाही आई सामने, नहीं किया सॉफ्टवेयर अपडेट – Kishanganj (Bihar) News

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किशनगंज में मृत शिक्षक को मिली उपचुनाव में ड्यूटी:  किशनगंज प्रशासन की लापरवाही आई सामने, नहीं किया सॉफ्टवेयर अपडेट – Kishanganj (Bihar) News
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किशनगंज में मृत शिक्षक को मिली उपचुनाव में ड्यूटी: किशनगंज प्रशासन की लापरवाही आई सामने, नहीं किया सॉफ्टवेयर अपडेट – Kishanganj (Bihar) News

किशनगंज जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पंचायत उपचुनाव की ड्यूटी लिस्ट में एक ऐसे शिक्षक का नाम शामिल कर दिया गया है, जिनकी मौत पिछले वर्ष कैंसर से हो चुकी है। यह मामला न केवल सिस्टम की खामियों को उजागर करता है, बल्कि प्रशासन की कार्यशैली

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घटना टेढ़ागाछ प्रखंड की है, जहां 9 जुलाई को पंचायत उपचुनाव होने वाला है। लेकिन ठाकुरगंज बैरागीझाड़ के दिवंगत प्रधान शिक्षक जहागीर आलम को मतदान पदाधिकारी प्रथम के रूप में तैनात किया गया था। जहागीर आलम की मौत पिछले साल कैंसर से हो चुकी थी, इसके बावजूद उनका नाम ड्यूटी सूची में शामिल होना कई सवालों को जन्म देता है।

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ड्यूटी सूची में दिवंगत प्रधान शिक्षक जहागीर आलम का नाम बतौर मतदान पदाधिकारी प्रथम के रूप में अंकित है।

प्रशासन नहीं करता अद्यतन सूची की जांच

शिक्षकों और कर्मचारियों का कहना है कि ड्यूटी लगाने के दौरान कर्मचारियों की वर्तमान स्थिति की जांच नहीं की जाती। ड्यूटी लिस्ट पुराने आंकड़ों के आधार पर बना दी जाती है। न तो मृत कर्मचारियों का डेटा हटाया गया है, और न ही किसी स्तर पर सत्यापन किया गया।

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गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाने पर शिक्षकों में आक्रोश

स्थानीय शिक्षकों ने प्रशासन के इस रवैये पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि शिक्षकों को पढ़ाने के बजाय बार-बार गैर-शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा रहा है। कई बार ड्यूटी से छूट के लिए आवेदन दिए जाते हैं, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता।

सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं, सिस्टम लचर

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शिक्षकों का आरोप है कि जिला प्रशासन का सॉफ्टवेयर सिस्टम वर्षों पुराना है और अपडेट नहीं किया गया है। इसी कारण मृतक शिक्षक को भी चुनाव ड्यूटी में लगा दिया गया। कुछ कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि अतिरिक्त ड्यूटी के नाम पर कुछ लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी का बयान

इस मामले पर जिला शिक्षा पदाधिकारी नासिर अहमद ने कहा, “संभवतः लोकसभा चुनाव के समय उनकी ड्यूटी लगाई गई थी, वही डेटा इलेक्शन कमिशन के पास रहा होगा, जिससे यह गलती हुई है।” उन्होंने बताया कि मृत शिक्षक की जगह किसी अन्य को तैनात किया जा रहा है और मामले की जांच चल रही है।

प्रशासन पर उठे सवाल, भविष्य में सुधार की मांग

यह मामला प्रशासन की ओर से संवेदनशीलता और ज़िम्मेदारी की कमी को दर्शाता है। स्थानीय लोगों और कर्मचारियों ने मांग की है कि इस तरह की गलती दोबारा न हो, इसके लिए सिस्टम को तात्कालिक रूप से अपडेट किया जाए और कर्मचारियों की स्थिति की नियमित समीक्षा की जाए।

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