Advertising

कितने बदल गए थिएटर के हालत, विषेक चौहान ने सिंगल स्क्रीन-मल्टीप्लेक्स में बताया फर्क – News4Social

1
कितने बदल गए थिएटर के हालत, विषेक चौहान ने सिंगल स्क्रीन-मल्टीप्लेक्स में बताया फर्क – News4Social


Advertising

कितने बदल गए थिएटर के हालत, विषेक चौहान ने सिंगल स्क्रीन-मल्टीप्लेक्स में बताया फर्क – News4Social

Advertising

Advertising

इंडिया टीवी के ‘द फिल्मी हसल’ पॉडकास्ट के लेटेस्ट एपिसोड में अक्षय राठी ने देवांग संपत, विषेक चौहान और अमित शर्मा से फिल्मी दुनिया के बारे में बात की। साथ ही थिएटर में फिल्में दिखने, बॉक्स ऑफिस पर बॉलीवुड फिल्मों की कमाई में आ रही गिरावट और थिएटर में अब गिनी-चुनी मूवी रिलीज होने जैसे कई हॉट टॉपिक के बारे में चर्चा की। होस्ट के साथ मिराज सिनेमा के प्रबंध निदेशक अमित शर्मा, रूपबानी सिनेमा के सीईओ विषेक चौहान और सिनेपोलिस के प्रबंध निदेशक (भारत) देवांग संपत ने इन सभी विषय पर बात की। इंडिया टीवी के पॉडकास्ट ‘द फिल्मी हसल’ में विषेक ने थिएटर में रिलीज हो रही फिल्म के बदलते रुझानों और लोगों का ध्यान किस ओर ज्यादा है। इस पर तथ्यों के साथ खुलकर बात की।

Advertising

थिएटर में लगी फिल्में हिट या फ्लॉप? 

जब पैन-इंडिया फिल्मों के बारे में पूछा गया, तो विषेक चौहान ने कहा कि कुछ दशक पहले एक्शन, बेहतरीन संगीत और दमदार कलाकारों से सजी फिल्मों को खूब पसंद किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि एक ही तरह की फिल्में भी लोगों का ध्यान खींचती है। विषेक चौहान ने कहा, ‘ऐसी फिल्में जो किसी राज्य या संस्कृति का एक अलग पक्ष दिखाती हैं, उन्हें पसंद किया जा रहा है। हालांकि, कम बजट की फिल्में बिग बजट की फिल्मों की तुलना में ज्यादा पसंद की जाती है और वो हिट भी साबित होती है। लेकिन मुझे यह भी लगता है कि बाहुबली ने फिल्म निर्माताओं और वितरकों के लिए बहुत कुछ बदल दिया है। मुझे लगता है कि कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि क्या काम करेगा, लेकिन थिएटर में लगी हर फिल्म अब हिट नहीं हो सकती है। साथ ही, हमें कॉपी और रीमेक के बीच का अंतर भी समझने की जरूरत है।’

Advertising

मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन में क्या अंतर है?

वहीं रूपबानी सिनेमा के सीईओ ने कहा, ‘पिछले 10-15 दशकों में जो हुआ है, वह यह है कि जो फिल्में ज्यादा स्क्रिन पर रिलीज हुई हैं, वे आम जनता से जुड़ नहीं पाई हैं। इसके अलावा, ये मूवी अलग-अलग शहरों के दर्शकों को देखकर नहीं बनी है, बल्कि शहरी इलाकों के लोगों को देखते हुए बनी है। इसलिए, बहुत कुछ छूट जाता है और अधिक लोगों को ऐसा नहीं लगता कि ये फिल्में उन्हें सिनेमाघरों में देखना चाहिए। वहीं आज तक कुछ लोगों को मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन का मतलब भी ठीक से नहीं पता है। मल्टीप्लेक्स में कई स्क्रीन होती हैं, जबकि सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर में केवल एक स्क्रीन होती है।’ आगे कहा, ‘फिल्म देखने वाले सिनेमाघरों का बड़ा हिस्सा दिल्ली एनसीआर, मुंबई और बैंगलोर से है। इसलिए, देश के कई क्षेत्रीय और ग्रामीण हिस्सों में मल्टीप्लेक्स नहीं हैं क्योंकि वह इतना खर्च नहीं कर सकते हैं।’

Latest Bollywood News

Advertising

Advertising
Advertising