काली मिट्टी में होने वाली शरबती गेहूं में चमक का राज क्या? किसानों जानें पूरी कहानी
गेहूं के व्यापारी पवन टंडन ने बताया कि शरबती गेहूं की मांग भारत भर के महानगरों सहित विदेशों में भी है। शरबती गेहूं स्वाद में मीठा और स्वादिष्ट होता है। इस गेहूं के आटे की मखमली और मुलायम रोटी बनती है। शरबती गेहूं के दाने आकार में बड़े होने के साथ-साथ एक सा होता है। वहीं, इसकी सुनहरी चमक अन्य गेहूं की तुलना में इसे खास बनाती है।
क्षेत्र की गहरी काली मिट्टी में हैं पोषक तत्व
कृषि के जानकार बताते हैं कि शरबती गेहूं का उत्पादन गहरी काली मिट्टी में होता है। वहीं, जिस क्षेत्र में मिट्टी की गहराई 80 से 100 फीट तक हो वहां शरबती गेहूं का उत्पादन ज्यादा अच्छा होता है। अशोकनगर कृषि उपज मंडी के सचिव ने बताया कि शरबती गेहूं की डिमांड पूरे देश में रहती है। ऐसे में मध्यप्रदेश कर अशोकनगर जिला भी शरबती गेहूं के उत्पादन के लिए जाना जाता है। वहीं, जिले के साथ-साथ मालवा क्षेत्र के भी कई जिलों में शरबती गेहूं का उत्पादन होता है।
वर्ष 2022- 23 में जिले की कृषि उपज मंडी में 10968.24 मिट्रिक टन शरबती गेहूं की खरीदी की गई थी। पूरे देश में यहां से निर्यात किया गया था। क्षेत्र में होने वाली शरबती गेहूं की मांग विदेश में भी है लेकिन भारत में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई गई है।
गांव में सबसे ज्यादा शरबती गेहूं का उत्पादन
वैसे तो जिले के छह से सात ग्रामों में शरबती गेहूं का उत्पादन होता है। ग्रामों में शरबती के उत्पादन में बगुल्या ग्राम पहले नंबर पर है। बगुल्या ग्राम के किसान चंद्रभान सिंह रघुवंशी ने बताया कि शरबती गेहूं खास किस्म की काली मिट्टी में इसका उत्पादन होता है। वैसे तो जिले के मेहदपुर, दीयाधरी , गनेहरी, रातीखेड़ा, बाएंगा ग्राम के कुछ हिस्सों शरबती गेहूं का उत्पादन अच्छा होता है। उनके ग्राम बगुल्या में 80 प्रतिशत जमीन में शरबती गेहूं का उत्पादन होता है।
उन्होंने कहा कि गांव की मिट्टी काली होने के साथ-साथ गहरी है। वहीं, उनके ग्राम का जलस्तर भी 500 से 600 फीट नीचे है, जिसकी वजह से वहां पर बोर सक्सेज नहीं है। ऐसे में इस ग्राम के किसानों को अपने खुद के तालाब बनाकर खेतों में पानी देना पड़ता है। वहीं, उनका कहना था कि यदि वह फसलों में पानी नहीं भी नहीं देते तो सूखे खेतों में भी शरबती गेहूं की खेती हो जाती थी और शरबती की चमक भी ज्यादा होती थी।
किसान ने बताया कि वह एक पानी शरबती गेहूं की फसल में दे दें तो फसल का उत्पादन बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि जितने सूखे खेतों में शरबती की फसल बोई जाए, वह उतनी ही अच्छी होती है।
साल भर मिलता है गेहूं का बीज
वहीं, बगुल्या ग्राम के किसानों का कहना है कि उनके खेतों में होने वाली शरबती गेहूं की फसल मंडियों में बेचते ही हैं। साथ ही साल भर दूर-दूर से किसान हमारे गांव में बीज लेने के लिए आते हैं। यहां से बीज ले जाने के बाद भी वह खेतों में उत्पादन नहीं कर पाते। यहां के किसान बाहर से गेंहू का बीज लाकर अपने खेतों में लगाते हैं तो गेहूं के दाने की चमक बढ़ जाती है। हमारे यहां उम्दा किस्म का होता है और मंडियों में गेहूं की फसल ऊंचे भाव में बिकती है।
रिपोर्ट-पयोद शर्मा
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