कानपुर में चमनगंज अग्निकांड के बाद इलाके में मायूसी, दर्द: पड़ोसी बोले दानिश का 15 साल में कभी किसी का झगड़ा नहीं हुआ, सौ भूखों को रोज खिलाता था खाना – Kanpur News h3>
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कानपुर23 मिनट पहले
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48 घंटे के बाद भी चमनगंज स्थित उस बिल्डिंग के आसपास इस तरह का गमगीन माहौल दिखाई दे रहा है। सड़क पर अंधेरा, तबाह हुई बिल्डिंग और आसपास खत्म हुए परिवार की बातें करते लोग दिखाई दिए। अब उस सड़क पर न ही कोई शोर शराबा न ही उस तबाह हुई बिल्डिंग के दोनों तरफ 500 मीटर की दूरी तक कोई दुकान का शटर खुला दिखा।
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बस दिखाई दिए तो बस उस बिल्डिंग को देखकर बातें करते हुए झुंड में लोग और उस परिवार में जिंदगी की जंग हारने वाली नन्हीं बच्चियों के बारे में बात करके बार – बार शांत होने वाले पड़ोसी। कानपुर के चमनगंज थाना क्षेत्र के प्रेम नगर में रविवार रात आग की भयावह घटना के 48 घंटे के बाद दैनिक NEWS4SOCIALकी टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची।
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इस दर्दनाक हादसे के बाद आस पड़ोस और उस इलाके में क्या माहौल है। आग में दानिश का पूरा परिवार खत्म हो गया। ऐसे में उस मंजर को याद कर वहां के लोग उस परिवार को लेकर क्या बात कर रहे हैं । अब पढ़िए पूरी रिपोर्ट जिसमें पड़ोसी, दोस्त और साथ काम करने वाले इलाके के लोग दानिश के इस दुनिया से इस तरह एक हादसे में चले जाने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं …
रविवार रात को कानपुर के प्रेमनगर स्थित एक बिल्डिंग में आग लगी थी।
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सबसे पहले दानिश की कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ने जो बताया वो पढ़िए… दानिश की कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी रईस ने बताया कि वह 25 साल से दानिश के साथ काम कर रहा था। उसने एक बात यह बताई कि जीवन में कई बार ऐसा समय आया जब दानिश भाई ने मेरी मदद की। वह हमेशा किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं हटते थे। उनके चले जाने का दुख झेल पाना मुश्किल हो रहा है। रईस ने बताया मेरी उनसे आखिरी मुलाकात शनिवार हुई थी।
अब वो पढ़िए जो सोनू ने बताया जो दानिश के छोटे भाई काशिफ के दोस्त हैं जिनके पारिवारिक ताल्लुकात थे… दानिश के भाई काशिफ के दोस्त सोनू ने बताया कि उसके दानिश के घर आना-जाना था। क्योंकि काशिफ से उसकी पुरानी दोस्ती है। त्योहारों पर आना-जाना नन्हीं बच्चियों का वह चाचा – चाचा पुकारना उसे बार-बार याद आ रहा है। दानिश बहुत ही मददगार इंसान थे। अनजान लोगों की मदद करने में भी वह पीछे नहीं हटते थे। लेकिन ऐसे इंसान इस तरह से हादसे में परिवार सहित खत्म होना भूलना मुश्किल हो रहा है।
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काशिफ ने बताया दानिश बहुत ही सरल स्वभाव के थे, जिस दिन हादसा हुआ उसी दिन शाम को 4 बजे वह अपनी बड़ी बेटी के साथ जा रहे थे। उनसे दुआ सलाम हुई क्या पता था कि वह आखिरी दुआ सलाम होगी।
रविवार को प्रेमनगर में हुए हादसे में 5 लोगों की मौत हुई थी।
अब पढ़िए रोजाना सलाम करने वाले दानिश के घर के बगल में काम करने वाले प्रवीण ने क्या बताया… प्रवीण ने बताया की रोजाना जब दानिश भाई घर से उतरते थे ,तो दुआ सलाम होती थी। बच्चों को स्कूल छोड़ने जाने के वक्त मुलाकात होती थी। सरल स्वभाव हंसी मजाक और मदद करने वाले ऐसे इंसान के अचानक हादसे में मौत होने से कहीं भी मन नहीं लग रहा है। कुछ भी काम करने का बिल्कुल भी मन तब से नहीं कर रहा।
अब पढ़िए पड़ोसी ने बताया कि इस दिन घर पर किसी ने खाना तक नहीं खाया… बगल की बिल्डिंग में ही पड़ोस में रहने वाले ने रसूल ने बताया इतने साल में पूरे मोहल्ले में दानिश का किसी से भी कोई विवाद झगड़ा नहीं हुआ। उसका नेचर ऐसा था की बस वह केवल ज्यादा से ज्यादा मदद करने की सोचता था। रोजाना मुलाकात और दुआ सलाम कुछ बातें और बस काम में लगे रहने वाला वह इंसान जब इतने बड़े हादसे में चला गया।
इसके साथ ही उसके पूरे परिवार जिसमें मासूम बच्चियों भी थी वह भी नहीं बची तो घर में हमारे बच्चों ने भी खाना तक नहीं खाया। क्योंकि बार-बार सोच कर यही लग रहा था कि यह सब आखिर कैसे हो गया। दानिश के अंदर एक खासियत थी कि वह मालिक या कर्मचारी में वैसे ही घुल मिल जाता था।
जैसे अपने दोस्त के साथ ईद के वक्त आसपास पड़ोस के लोगों को ईदी देता था। चाहे कोई कर्मचारी हो या कोई पड़ोसी हो कभी भेद नहीं करता था।
5 लोगों की मौत के बाद आस पास का माहौल काफी गमगीन नजर आ रहा है।
अब पढ़िए बिल्डिंग के सामने रहने वाले पड़ोसी मनोज ने जो बताया कि त्योहार कोई हो सब में दानिश मदद के लिए आगे आता था… बिल्डिंग के सामने रहने वाले मनोज गुप्ता ने बताया की दानिश सबकी मदद करते थे। यहां तक मोहल्ले और आसपास के लोग उन्हें के घर से पानी लेते थे। यहां तक जब कोई त्योहार होली या अन्य त्योहार जिसमें चंदा चाहिए होता था ,तो उसमें 500 रुपए मांगने पर दानिश 1000रुपए देता था। दानिश सबको खुश रखना चाहता था।
अब पढ़िए NGO कर्मचारी शकील ने बताया घर के नीचे ही 100 गरीबों रोज खाना खिलता था दानिश… शकील अहमद जो एक एनजीओ में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोई दानिश का रिश्तेदार नहीं हूं। लेकिन फिर भी यहां खड़ा हूं। क्योंकि वह ऐसे इंसान थे जिन्हें मैं पिछले 2 साल से देख रहा था। क्योंकि मैं यहां रोटी रोल रोजाना भेजता था। क्योंकि दानिश 100 रोटी रोल रोजाना मांगते थे और अपने घर के नीचे गरीबों को बांटते थे।
लड़का यहां पर रोजाना रोटी लेकर आता था और दानिश भाई उसे तुरंत ही पेमेंट कर दिया करते थे। ऐसे इंसान की इस तरह से जब मौत हुई तो यकीन नहीं हुआ कि इतनी दर्दनाक मौत आखिर उनके हिस्से में कैसे आ गई ।जिसमें उनका पूरा परिवार भी खत्म हो गया।
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कानपुर23 मिनट पहले
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48 घंटे के बाद भी चमनगंज स्थित उस बिल्डिंग के आसपास इस तरह का गमगीन माहौल दिखाई दे रहा है। सड़क पर अंधेरा, तबाह हुई बिल्डिंग और आसपास खत्म हुए परिवार की बातें करते लोग दिखाई दिए। अब उस सड़क पर न ही कोई शोर शराबा न ही उस तबाह हुई बिल्डिंग के दोनों तरफ 500 मीटर की दूरी तक कोई दुकान का शटर खुला दिखा।
बस दिखाई दिए तो बस उस बिल्डिंग को देखकर बातें करते हुए झुंड में लोग और उस परिवार में जिंदगी की जंग हारने वाली नन्हीं बच्चियों के बारे में बात करके बार – बार शांत होने वाले पड़ोसी। कानपुर के चमनगंज थाना क्षेत्र के प्रेम नगर में रविवार रात आग की भयावह घटना के 48 घंटे के बाद दैनिक NEWS4SOCIALकी टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची।
इस दर्दनाक हादसे के बाद आस पड़ोस और उस इलाके में क्या माहौल है। आग में दानिश का पूरा परिवार खत्म हो गया। ऐसे में उस मंजर को याद कर वहां के लोग उस परिवार को लेकर क्या बात कर रहे हैं । अब पढ़िए पूरी रिपोर्ट जिसमें पड़ोसी, दोस्त और साथ काम करने वाले इलाके के लोग दानिश के इस दुनिया से इस तरह एक हादसे में चले जाने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं …
रविवार रात को कानपुर के प्रेमनगर स्थित एक बिल्डिंग में आग लगी थी।
सबसे पहले दानिश की कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ने जो बताया वो पढ़िए… दानिश की कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी रईस ने बताया कि वह 25 साल से दानिश के साथ काम कर रहा था। उसने एक बात यह बताई कि जीवन में कई बार ऐसा समय आया जब दानिश भाई ने मेरी मदद की। वह हमेशा किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं हटते थे। उनके चले जाने का दुख झेल पाना मुश्किल हो रहा है। रईस ने बताया मेरी उनसे आखिरी मुलाकात शनिवार हुई थी।
अब वो पढ़िए जो सोनू ने बताया जो दानिश के छोटे भाई काशिफ के दोस्त हैं जिनके पारिवारिक ताल्लुकात थे… दानिश के भाई काशिफ के दोस्त सोनू ने बताया कि उसके दानिश के घर आना-जाना था। क्योंकि काशिफ से उसकी पुरानी दोस्ती है। त्योहारों पर आना-जाना नन्हीं बच्चियों का वह चाचा – चाचा पुकारना उसे बार-बार याद आ रहा है। दानिश बहुत ही मददगार इंसान थे। अनजान लोगों की मदद करने में भी वह पीछे नहीं हटते थे। लेकिन ऐसे इंसान इस तरह से हादसे में परिवार सहित खत्म होना भूलना मुश्किल हो रहा है।
काशिफ ने बताया दानिश बहुत ही सरल स्वभाव के थे, जिस दिन हादसा हुआ उसी दिन शाम को 4 बजे वह अपनी बड़ी बेटी के साथ जा रहे थे। उनसे दुआ सलाम हुई क्या पता था कि वह आखिरी दुआ सलाम होगी।
रविवार को प्रेमनगर में हुए हादसे में 5 लोगों की मौत हुई थी।
अब पढ़िए रोजाना सलाम करने वाले दानिश के घर के बगल में काम करने वाले प्रवीण ने क्या बताया… प्रवीण ने बताया की रोजाना जब दानिश भाई घर से उतरते थे ,तो दुआ सलाम होती थी। बच्चों को स्कूल छोड़ने जाने के वक्त मुलाकात होती थी। सरल स्वभाव हंसी मजाक और मदद करने वाले ऐसे इंसान के अचानक हादसे में मौत होने से कहीं भी मन नहीं लग रहा है। कुछ भी काम करने का बिल्कुल भी मन तब से नहीं कर रहा।
अब पढ़िए पड़ोसी ने बताया कि इस दिन घर पर किसी ने खाना तक नहीं खाया… बगल की बिल्डिंग में ही पड़ोस में रहने वाले ने रसूल ने बताया इतने साल में पूरे मोहल्ले में दानिश का किसी से भी कोई विवाद झगड़ा नहीं हुआ। उसका नेचर ऐसा था की बस वह केवल ज्यादा से ज्यादा मदद करने की सोचता था। रोजाना मुलाकात और दुआ सलाम कुछ बातें और बस काम में लगे रहने वाला वह इंसान जब इतने बड़े हादसे में चला गया।
इसके साथ ही उसके पूरे परिवार जिसमें मासूम बच्चियों भी थी वह भी नहीं बची तो घर में हमारे बच्चों ने भी खाना तक नहीं खाया। क्योंकि बार-बार सोच कर यही लग रहा था कि यह सब आखिर कैसे हो गया। दानिश के अंदर एक खासियत थी कि वह मालिक या कर्मचारी में वैसे ही घुल मिल जाता था।
जैसे अपने दोस्त के साथ ईद के वक्त आसपास पड़ोस के लोगों को ईदी देता था। चाहे कोई कर्मचारी हो या कोई पड़ोसी हो कभी भेद नहीं करता था।
5 लोगों की मौत के बाद आस पास का माहौल काफी गमगीन नजर आ रहा है।
अब पढ़िए बिल्डिंग के सामने रहने वाले पड़ोसी मनोज ने जो बताया कि त्योहार कोई हो सब में दानिश मदद के लिए आगे आता था… बिल्डिंग के सामने रहने वाले मनोज गुप्ता ने बताया की दानिश सबकी मदद करते थे। यहां तक मोहल्ले और आसपास के लोग उन्हें के घर से पानी लेते थे। यहां तक जब कोई त्योहार होली या अन्य त्योहार जिसमें चंदा चाहिए होता था ,तो उसमें 500 रुपए मांगने पर दानिश 1000रुपए देता था। दानिश सबको खुश रखना चाहता था।
अब पढ़िए NGO कर्मचारी शकील ने बताया घर के नीचे ही 100 गरीबों रोज खाना खिलता था दानिश… शकील अहमद जो एक एनजीओ में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोई दानिश का रिश्तेदार नहीं हूं। लेकिन फिर भी यहां खड़ा हूं। क्योंकि वह ऐसे इंसान थे जिन्हें मैं पिछले 2 साल से देख रहा था। क्योंकि मैं यहां रोटी रोल रोजाना भेजता था। क्योंकि दानिश 100 रोटी रोल रोजाना मांगते थे और अपने घर के नीचे गरीबों को बांटते थे।
लड़का यहां पर रोजाना रोटी लेकर आता था और दानिश भाई उसे तुरंत ही पेमेंट कर दिया करते थे। ऐसे इंसान की इस तरह से जब मौत हुई तो यकीन नहीं हुआ कि इतनी दर्दनाक मौत आखिर उनके हिस्से में कैसे आ गई ।जिसमें उनका पूरा परिवार भी खत्म हो गया।