कांग्रेस ने बजट खर्च पर उठाए सवाल:: बजट का पैसा ज्यादातर खर्च ही नहीं किया जाता, लाखों करोड़ों का बजट सिर्फ सुर्खियों के लिए – Bhopal News h3>
कांग्रेस नेता अभय दुबे और मुकेश नायक ने कहा कि सरकार 3 साल के बजट के खर्च बताए
कांग्रेस नेताओं अभय दुबे और मुकेश नायक ने मंगलवार को प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार मध्य प्रदेश के समावेशी और अधोसंरचना विकास में लगातार रुकावट डाल रही है। उनका कहना है कि सरकार केवल सुर्खियां बटोरने के लिए बजट क
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कांग्रेस ने सरकार से मांगी सफेद पत्र की मांग
कांग्रेस ने प्रदेश सरकार से अपील की है कि वह पिछले तीन साल के बजट के खर्च का विवरण सार्वजनिक करें और बताए कि समावेशी विकास और अधोसंरचना के लिए कितनी राशि खर्च की गई है और कितना नुकसान हुआ है। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अवास्तविक प्रस्तावों के आधार पर बजट का आवंटन करती है, जिसके कारण बजट खर्च की निगरानी प्रणाली कमजोर है।
2024-25 के बजट की स्थिति
कांग्रेस ने बताया कि 11 मार्च 2025 तक मध्य प्रदेश का कुल बजट प्रावधान 385924.09 करोड़ रुपये था, जिसमें से केवल 238025.98 करोड़ रुपये यानी 61.60 प्रतिशत ही खर्च किए गए हैं। इसके कारण राज्य के समावेशी विकास और अधोसंरचना विकास पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
- आदिवासी विभाग में 13024 करोड़ रुपये में से 9942 करोड़ रुपये (76%) खर्च किए गए।
- पंचायत विभाग में 10344.62 करोड़ रुपये में से 5795.86 करोड़ रुपये (56%) खर्च हुए।
- जल संसाधन विभाग में 10117.09 करोड़ रुपये में से 7382.05 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
- अनुसूचित जाति विकास विभाग में 2253.48 करोड़ रुपये में से 1307.97 करोड़ रुपये (58%) खर्च किए गए।
- शहरी विकास विभाग में 17474.42 करोड़ रुपये में से 12276 करोड़ रुपये (70%) खर्च हुए।
केंद्र से मिली राशि केवल 50.82 प्रतिशत
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार से राज्य को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि की 50.82 प्रतिशत ही प्राप्त हुई है। 2024-25 में केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में 54989.12 करोड़ रुपये का खर्च प्रावधान था, जिसमें से राज्य को 17336.37 करोड़ रुपये मिलना था, लेकिन केंद्र से अब तक केवल 19136.65 करोड़ रुपये यानी 50.82 प्रतिशत राशि ही मिली है।
कैग रिपोर्ट में उठाए गए सवाल
कैग (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) ने अपनी 2024 की रिपोर्ट में भी बजट के प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अवास्तविक प्रस्तावों के आधार पर बजट का आवंटन किया और खर्च की निगरानी प्रणाली में कमजोरियां पाई गईं।
पिछले सालों में भी खर्च नहीं किया गया बजट
2022-23 के बजट में भी 39786 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए थे, जिसमें से 19 हजार करोड़ रुपये आखिरी दिन सरेण्डर किए गए और 19 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि लेप्स हो गई।
कांग्रेस ने इन आंकड़ों के आधार पर प्रदेश सरकार से जवाबदेही की मांग की और यह कहा कि अगर सरकार विकास की दिशा में गंभीर है, तो उसे अपने खर्च को पारदर्शी तरीके से दिखाना चाहिए।