कश्मीरी हिंदुओं का खून बहाने वाले बिट्टा कराटे पर आया था दिल, निकाह के लिए घरवालों से भिड़ बैठी ये सरकारी अफसर h3>
नई दिल्ली: ‘उनसे (बिट्टा कराटे) निकाह करना मेरे लिए फ़ख़्र की बात है। जब मेरे आसपास लोगों को पता चला कि मैं एक अलगाववादी से निकाह करने जा रही हूं तो शुरू में वो बड़े फ़िक्रमंद रहे पर मैंने उन्हें समझा लिया कि इसमें कुछ ग़लत नहीं।’ ये अल्फ़ाज़ हैं अलगाववादी नेता फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की बेगम असबाह आरज़ूमंद खान के। नवंबर 2011 में बिट्टा से निकाह के कुछ रोज पहले उन्होंने एक स्थानीय अखबार से यही कहा था। उस वक्त तक असबाह को कश्मीर प्रशासनिक सेवा (KAS) का अधिकारी बने दो साल हो चुके थे। असबाह ने उस इंटरव्यू में कहा था, ‘अगर मैं KAS की ऑफिसर नहीं भी होती तो भी उन्हीं (डार) से निकाह करती।’ आज ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म की वजह से बिट्टा का नाम चर्चा में है तो असबाह का जिक्र भी होने लगा है। सोशल मीडिया पर असबाह को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं। कुछ उनके एक आतंकवादी से शादी करने के निजी फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।
90s में ‘कश्मीरी पंडितों का कसाई’ फारूक अहमद डार…
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, बिट्टा कराटे यानी फारूक अहमद डार ने तीन दशक पहले कश्मीर घाटी में आतंक फैलाने में अहम भूमिका निभाई। JKLF का एरिया कमांडर रहते हुए उसकी सरपरस्ती में आतंकवादियों ने हिंदुओं को निशाना बना सुना किया। अपने दोस्त सतीश कुमार टिक्कू की हत्या से बिट्टा ने शुरुआत की और फिर एक-एक करके कई कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतारता चला गया। एक इंटरव्यू के दौरान बिट्टा ने कैमरे पर कबूला भी था कि उसने ’20 से ज्यादा कश्मीरी हिंदुओं को मारा’ है। 1990 में उसे सुरक्षा बलों ने अरेस्ट कर लिया और फिर अगले 16 साल जेल में गुजरे। 2006 में उसे पर्याप्त सबूतों के अभाव में अदालत से जमानत मिली। रिहाई पर बिट्टा का जोरदार स्वागत किया। फिर उसने राजनीति का रुख किया। वह पाकिस्तान से आतंकवादियों की फंडिंग का इंतजाम करने लगा। इसी वजह से नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने उसपर शिकंजा कसा है।
फारूक ने किया था असबाह का प्रपोज
2008 में बिट्टा अपने एक दोस्त के घर गया हुआ था। वहीं पर उसकी असबाह से पहली मुलाकात हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ पांच महीनों के बाद बिट्टा ने असबाह के सामने प्यार का इजहार किया। थोड़ी ना-नुकुर के बाद असबाह मान गईं। डेढ़ साल के बाद दोनों ने शादी का फैसला किया मगर असबाह के परिवार को रिश्ता मंजूर नहीं था। वे नहीं चाहते थे कि एक पूर्व आतंकी के साथ बेटी का निकाह हो, पर असबाह अड़ गई। आखिरकार परिवार को झुकना पड़ा। 1 नवंबर 2011 को फारूक अहमद डार और असबाह आरज़ूमंद खान का निकाह हुआ।
‘कश्मीरी पंडितों के कसाई’ फारुक अहमद डार की कहानी
बिट्टा कराटे के खिलाफ टेरर फंडिंग केस में आरोप तय
बिट्टा सिर्फ फिल्म की वजह से सुर्खियों में नहीं। टेरर फंडिंग केस में एनआईए की अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे और अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। आरोपपत्र के मुताबिक, लश्कर-ए-तैबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट, जैश-ए-मोहम्मद जैसे तमाम आतंकी संगठनों ने आईएसआई की मदद से कश्मीर घाटी में आम नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला कर वहां हिंसा भड़काई।
आरोप है कि अलगाववादियों की मदद और जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए देश-विदेश से हवाला और अन्य अवैध चैनल के जरिए पैसा जुटाया जा रहा था। आरोपियों ने घाटी में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने, स्कूलों को जलाने, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कथित तौर पर व्यापक साजिश रची थी।
90s में ‘कश्मीरी पंडितों का कसाई’ फारूक अहमद डार…
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, बिट्टा कराटे यानी फारूक अहमद डार ने तीन दशक पहले कश्मीर घाटी में आतंक फैलाने में अहम भूमिका निभाई। JKLF का एरिया कमांडर रहते हुए उसकी सरपरस्ती में आतंकवादियों ने हिंदुओं को निशाना बना सुना किया। अपने दोस्त सतीश कुमार टिक्कू की हत्या से बिट्टा ने शुरुआत की और फिर एक-एक करके कई कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतारता चला गया। एक इंटरव्यू के दौरान बिट्टा ने कैमरे पर कबूला भी था कि उसने ’20 से ज्यादा कश्मीरी हिंदुओं को मारा’ है।
1990 में उसे सुरक्षा बलों ने अरेस्ट कर लिया और फिर अगले 16 साल जेल में गुजरे। 2006 में उसे पर्याप्त सबूतों के अभाव में अदालत से जमानत मिली। रिहाई पर बिट्टा का जोरदार स्वागत किया। फिर उसने राजनीति का रुख किया। वह पाकिस्तान से आतंकवादियों की फंडिंग का इंतजाम करने लगा। इसी वजह से नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने उसपर शिकंजा कसा है।
फारूक ने किया था असबाह का प्रपोज
2008 में बिट्टा अपने एक दोस्त के घर गया हुआ था। वहीं पर उसकी असबाह से पहली मुलाकात हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ पांच महीनों के बाद बिट्टा ने असबाह के सामने प्यार का इजहार किया। थोड़ी ना-नुकुर के बाद असबाह मान गईं। डेढ़ साल के बाद दोनों ने शादी का फैसला किया मगर असबाह के परिवार को रिश्ता मंजूर नहीं था। वे नहीं चाहते थे कि एक पूर्व आतंकी के साथ बेटी का निकाह हो, पर असबाह अड़ गई। आखिरकार परिवार को झुकना पड़ा। 1 नवंबर 2011 को फारूक अहमद डार और असबाह आरज़ूमंद खान का निकाह हुआ।
‘कश्मीरी पंडितों के कसाई’ फारुक अहमद डार की कहानी
बिट्टा कराटे के खिलाफ टेरर फंडिंग केस में आरोप तय
बिट्टा सिर्फ फिल्म की वजह से सुर्खियों में नहीं। टेरर फंडिंग केस में एनआईए की अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे और अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। आरोपपत्र के मुताबिक, लश्कर-ए-तैबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट, जैश-ए-मोहम्मद जैसे तमाम आतंकी संगठनों ने आईएसआई की मदद से कश्मीर घाटी में आम नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला कर वहां हिंसा भड़काई।
आरोप है कि अलगाववादियों की मदद और जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए देश-विदेश से हवाला और अन्य अवैध चैनल के जरिए पैसा जुटाया जा रहा था। आरोपियों ने घाटी में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने, स्कूलों को जलाने, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कथित तौर पर व्यापक साजिश रची थी।