करौली सरकार जिन्हें बताता है अपना गुरु, उनके परिवार ने उसे फ्रॉड बता दिया, गांव में एंट्री भी कर दी है बैन

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करौली सरकार जिन्हें बताता है अपना गुरु, उनके परिवार ने उसे फ्रॉड बता दिया, गांव में एंट्री भी कर दी है बैन

करौली सरकार जिन्हें बताता है अपना गुरु, उनके परिवार ने उसे फ्रॉड बता दिया, गांव में एंट्री भी कर दी है बैन


सुमित शर्मा, कानपुरः उत्तर प्रदेश के कानपुर वाले करौली सरकार ने अपने गुरू राधा रमण मिश्र के नाम पर अरबों का सामाज्य खड़ा कर दिया। वहीं करौली सरकार उर्फ संतोष सिंह भदौरिया के गुरु राधा रमण मिश्र का परिवार मुफलिसी का जीवन काट रहा है। गुरु राधा रमण मिश्र के परिवार ने बाबा को फ्रॉड बताया है। उनका कहना है कि संतोष सिंह भदौरिया उनके पूर्वज के नाम को बदनाम कर रहे हैं। उन्होने अपनी तंत्र साधना से लोगों की मुसीबतों को दूर किया है। कभी भी किसी से एक रुपए नहीं लिया। वहीं बाबा राधा रमण मिश्र को अपना गुरु बताकर अरबों रुपए की कमाई कर चुके हैं।करौली सरकार के गुरु राधा रमण मिश्र मूल रूप के कानपुर के सरसौल ब्लॉक के पालेहपुर गांव के रहने वाले थे लेकिन उनका जीवन फतेहपुर जिले बकेवर थाना क्षेत्र स्थित बरिगवां गांव में अपने ननिहाल में बीता था। राधा रमण मिश्र ने 20 साल बंगाल में रहकर तंत्र साधना की दीक्षा ली थी। राधा रमण मिश्र के एक बेटा था, जिसका नाम श्रीकांत था। राधा रमण मिश्र ने अपने निधन की तारीख, दिन और समय पहले से ही परिवार और ग्रामीणों को बता दिया था। उन्होंने अपने परिवार से कहा था कि उनके निधन के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाए बल्कि उनकी झोपड़ी के पास ही उनकी समाधि बना दी जाए।

परिवार का गरीबी में काट रहा जिंदगी
जब राधा रमण मिश्र का निधन हुआ तो उनकी इच्छा के अनुसार उनकी झोपड़ी के पास समाधि बना दी गई थी। राधा रमण मिश्र के निधन के पांच साल बाद 1996 में उनके बेटे श्रीकांत का भी निधन हो गया था। श्रीकांत के चार बेटे थे। सभी प्राइवेट नौकरी कर के अपना जीवन काट रहे हैं। राधा रमण मिश्र का करौली सरकार से डरा हुआ है। परिवार सामने आकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। परिवार का कहना है कि मेरा इस प्रकरण में नाम नहीं आना चाहिए। करौली सरकार ने 14 एकड़ के लवकुश आश्रम में अपने गुरु राधा रमण मिश्र का प्रतिमा लगवा रखी है। बाबा प्रतिदिन अपने गुरु की पूजा-आरती करते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन कराता था भंडारा
करौली सरकार उर्फ संतोष भदौरिया अपने गुरु के निधन के चार साल बाद उनकी समाधि स्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने खुद को राधा रमण मिश्र को अपना गुरु बताने लगा। करौली सरकार ने देखा कि उनके गुरु की कच्ची समाधि बनी हुई है। उन्होने अपने गुरू की समाधी पर छत डलवाई, इसके साथ ही चारों तरफ टाईल्स लगवाकर जीर्णोद्धार कराया था। इसके बाद करौली सरकार का गांव में आना-जाना शुरू हो गया। बाबा गुरु पूर्णिमा के दिन गांव में भंडारा कराने लगा। इस दौरान उसके बाबा ने अपनी मंडली लगानी शुरू कर दी थी। उसने वहीं पर झाड़फूंक का काम भी शुरू कर दिया था।

बरिगवां गांव में बनाना चाहता था आश्रम
बरिगंवा गांव के ग्रामीणों ने बताया कि करौली सरकार उर्फ संतोष सिंह भदौरिया बरिगवां गांव में आश्रम बनाना चाहते थे। करौली सरकार अपने गुरू राधा रमण मिश्र का उत्तराधिकारी बताते थे। उन्होने ग्रामीणों को बताया कि बाबा मुझे अपना चेला बनाया था। उनकी विद्या से मैं लोगों की बाधाओं को दूर कर रहा हूं। उनके सेवादारों ने गांव के किसानों से जमीन खरीदने की बात भी शुरू कर दी थी। गांव के कुछ किसान बाबा को जमीन बेंचने के लिए तैयार भी हो गए थे।

बाबा का गांव में प्रवेश वर्जित हुआ
राधा रमण मिश्र के परिवार और ग्रामीणों ने बाबा का विरोध करना शुरू कर दिया। जिस स्थान पर राधा रमण मिश्र की समाधि बनी हुई थी, उसके आसपास बड़ी संख्या में अवस्थी परिवार रहते थे। उन्होने बाबा के इरादों को भांप लिया। उन्होने बाबा के आश्रम वाली योजना का विरोध करना शुरू कर दिया। काफी विवाद के बाद बाबा का गांव के अंदर के प्रवेश को वर्जित कर दिया। इसके बाद से करौली सरकार बरिगंवा गांव नहीं गए हैं।

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