ऑपरेशन सिंदूर- 59 सदस्यों का डेलिगेशन आज रवाना होगा: दुनिया को बताएंगे पहलगाम हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन शामिल था; सबूत लेकर जा रहे h3>
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नई दिल्ली1 घंटे पहलेलेखक: मुकेश कौशिक
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देश के 59 सांसद बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर का मकसद और पाकिस्तान का असल चेहरा दुनिया को बताने के लिए रवाना होंगे। यह एक बड़ा कूटनीतिक अभियान है, जो आज से शुरू हो रहा है। इसमें सांसद विश्व की 33 राजधानियों में जाएंगे।
59 सांसद 7 सर्वदलीय टीमों में बंटे हैं। उनके साथ 8 पूर्व राजनयिक भी रहेंगे। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मंगलवार को सांसदों को इस पहल के बारे में ब्रीफिंग दी। सूत्रों के मुताबिक, इसमें ऑपरेशन सिंदूर का बैकग्राउंड और डिप्लोमैटिक एवं सैन्य कार्रवाई के पांच बड़े संदेश इन 33 देशों तक पहुंचाने पर जोर दिया।
दुनिया को ये 5 बड़े संदेश देंगे 59 सांसद …
- आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस : इसमें बताएंगे कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकी गुटों और उनके ढांचों के खिलाफ था। आतंकी अड्डों को नपी-तुली कार्रवाई में निशाना बनाया गया। पाक सेना ने इसे खुद के खिलाफ हमला माना और पलटवार किया।
- पाक आतंक का समर्थक : सांसद कुछ सबूत लेकर जा रहे हैं, जिनमें वो बताएंगे कि पहलगाम हमले में पाक समर्थित आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) की भूमिका थी। इससे पहले हुए हमलों का भी पूरा चिट्ठा सांसद ले जा रहे हैं।
- भारत जिम्मेदार और संयमित : भारत ने सैन्य कार्रवाई में भी जिम्मेदारी और संयम का परिचय दिया। यह सुनिश्चित किया कि पाक के किसी निर्दोष नागरिक की जान न जाए। पाक ने कार्रवाई रोकने का जब आग्रह किया तो भारत ने उसे तत्परता से स्वीकारा।
- आतंक के खिलाफ विश्व एकजुट हो : सांसद इन देशों से आतंकवाद के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने और इससे निपटने के लिए सहयोग व समर्थन भी मांगेंगे। अपील करेंगे कि भारत-पाक के विवाद को आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के तौर पर देखें।
- पाक को लेकर हमारी नीति : यह बताएंगे कि पाक के खिलाफ भारत ने अपना बदला हुआ दृष्टिकोण उजागर किया है। भारत सीमा पार से पैदा होने वाले खतरे को लेकर उदासीन रहने के बजाए प्रो-एक्टिव रवैया अपनाएगा और आतंकी हमलावरों को पहले ही निष्क्रय करेगा।
यूसुफ पठान की जगह अब अभिषेक बनर्जी TMC से जाएंगे
TMC सांसद यूसुफ पठान की जगह अब पार्टी के सांसद अभिषेक बनर्जी को डेलिगेशन में जोड़ा गया है। सरकार की पहले जारी लिस्ट में यूसुफ पठान का नाम था, लेकिन TMC चीफ ममता बनर्जी ने पार्टी से पूछे बिना पठान को शामिल करने पर नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने ममता से बात की थी और फिर अभिषेक का नाम फाइनल हुआ था।
कांग्रेस के दिए 4 नाम में से केवल एक को चुना कांग्रेस ने केंद्र को 4 कांग्रेस नेताओं के नाम डेलिगेशन में शामिल करने के लिए दिए थे। इनमें आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के नाम थे। केंद्र ने केवल आनंद शर्मा को शामिल किया है। कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की।
कांग्रेस ने कहा- सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में पार्टी के दिए 4 में से केवल एक नाम (नेता) को शामिल किया गया। यह नरेंद्र मोदी सरकार की पूरी तरह से निष्ठाहीनता को साबित करता है और गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर उसके खेले जाने वाले सस्ते राजनीतिक खेल को दर्शाता है।
शनिवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पर लिखा था- शुक्रवार (16 मई) सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की थी। उन्होंने विदेश भेजे जाने वाले डेलिगेशन के लिए 4 सांसदों का नाम मांगा था। कांग्रेस ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम दिए थे।’
जयराम ने बताया कि 16 मई को दोपहर तक, राहुल गांधी ने संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस की ओर से 4 नाम दिए थे।
पिछली सरकारों ने भी अपना पक्ष रखने के लिए डेलिगेशन विदेश भेजे-
1994: विपक्ष के नेता वाजपेयी ने UNHRC में भारत का पक्ष रखा था ये पहली बार नहीं है, जब केंद्र सरकार किसी मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए विपक्षी पार्टियों की मदद लेगी। इससे पहले 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने कश्मीर के मुद्दे पर भारत का पक्ष रखने के लिए विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय डेलिगेशन को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) भेजा था।
उस डेलिगेशन में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और सलमान खुर्शीद जैसे नेता भी शामिल थे। तब पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में UNHRC के सामने एक प्रस्ताव पेश करने की तैयारी में था।
हालांकि, भारतीय डेलिगेशन ने पाकिस्तान के आरोपों का जवाब दिया और नतीजतन पाकिस्तान को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। उस समय UN में भारत के राजदूत हामिद अंसारी ने भी प्रधानमंत्री राव की रणनीति सफल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
2008: मुंबई हमलों के बाद मनमोहन सरकार ने डेलिगेशन विदेश भेजा था 2008 में मुंबई हमलों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी आतंकवादी हमलों में पाकिस्तानी लिंक होने से जुड़े दस्तावेजों के साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के डेलिगेशन को विदेश भेजने का फैसला किया था।
भारत ने पाकिस्तान पर सैन्य हमला न करने का फैसला किया था। हालांकि, मनमोहन सरकार के कूटनीतिक हमले के कारण पाकिस्तान पर लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकी समूहों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए काफी अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ा। यूनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को पहली बार ग्रे-लिस्ट में भी डाला था।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर? 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने 26 टूरिस्ट्स की हत्या की थी। 7 मई को भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाक में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की थी। सेना ने 100 आतंकियों को मार गिराया था। दोनों देशों के बीच 10 मई की शाम 5 बजे से सीजफायर पर सहमति बनी थी।
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ऑपरेशन सिंदूर, जवान बोले- गोली उन्होंने चलाई, धमाका हमने किया; पाकिस्तान इसे दशकों तक याद रखेगा
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर न्यूज एजेंसी ANI ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के अखनूर सेक्टर में भारतीय सैनिकों से बातचीत की। जवानों ने बताया कि गोली उन्होंने (पाकिस्तान) चलाई थी, लेकिन धमाका हमने किया।
भारतीय सैनिकों ने ये भी बताया कि हमने पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया है कि दशकों तक वे याद रखेंगे। भविष्य में कुछ भी करने से पहले सौ बार सोचेंगे। पूरी खबर पढ़ें…
पीएम बोले- पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ स्थगित, हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब देंगे
पाकिस्तान के साथ सीजफायर के 51 घंटे बाद PM मोदी ने सोमवार रात 8 बजे देश को संबोधित किया था। अपने 22 मिनट के भाषण में प्रधानमंत्री ने पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, सीजफायर, आतंकवाद, सिंधु जल समझौते और PoK पर बात की थी। PM ने कहा था कि जिन आतंकियों ने हमारी मां-बहनों का सिंदूर मिटाया, हमने उन्हें मिटा दिया। पूरी खबर पढ़ें…