ऑटो ड्राइवर की बेटी ने जीता स्वर्ण पदक: नालंदा में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में तोड़े 2 रिकोर्ड, कहा- मैं अपनी परफॉर्मेंस से बहुत खुश – Nalanda News

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ऑटो ड्राइवर की बेटी ने जीता स्वर्ण पदक:  नालंदा में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में तोड़े 2 रिकोर्ड, कहा- मैं अपनी परफॉर्मेंस से बहुत खुश – Nalanda News
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ऑटो ड्राइवर की बेटी ने जीता स्वर्ण पदक: नालंदा में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में तोड़े 2 रिकोर्ड, कहा- मैं अपनी परफॉर्मेंस से बहुत खुश – Nalanda News

महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर कराड से निकलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना परचम लहराने वाली वेटलिफ्टर अस्मिता दत्तात्रय धोणे ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। बिहार के राजगीर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KIYG) 2025 म

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ऑटोरिक्शा चालक की बेटी अस्मिता ने क्लीन एंड जर्क में अपने ही पिछले रिकॉर्ड 94 किलोग्राम को तोड़ते हुए 95 किलोग्राम वजन उठाया। इसके बाद उन्होंने कुल योग में 170 किलोग्राम का प्रदर्शन करके एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया। यह प्रदर्शन पांच महीने पहले दोहा, कतर में आयोजित कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में उनकी ओर से बनाए गए, रिकॉर्ड से 8 किलोग्राम अधिक है।

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अस्मिता ने कहा कि मैं अपनी परफॉर्मेंस से बहुत खुश हूं क्योंकि मैंने नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा है।

इस बीच, उत्तर प्रदेश की मानसी चामुंडा ने स्नैच में यूथ नेशनल रिकॉर्ड के साथ रजत पदक अपने नाम किया। मानसी ने कुल 163 किलोग्राम (75+88) वजन उठाकर असम की पंचमी सोनवाल के 2022 के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।

संघर्षों से भरी रही यात्रा

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कराड के साधारण परिवार से आने वाली अस्मिता, जिन्होंने इसी महीने अपना 18वां जन्मदिन मनाया है, उनकी कहानी प्रेरणा से भरी है। उनके पिता दत्तात्रय धोणे ऑटोरिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालते हैं, जबकि मां निर्मला छोटे से डेयरी फॉर्म की देखभाल करती हैं।

खेल के मैदान में खिलाड़ियों ने रचा इतिहास।

अस्मिता ने कहा कि मेरे पिता ऑटोरिक्शा चलाते हैं और हमारे पास घर पर एक छोटा खेत और दो गायें हैं, जिनकी देखभाल मेरी मां करती हैं। उन्होंने आगे बताया कि खेलो इंडिया से मिलने वाली 10,000 रुपए की स्टाइपेंड मेरे जैसे किसी के लिए बहुत मददगार है।

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अस्मिता ने अपने वेटलिफ्टिंग करियर की शुरुआत महज 14 साल की उम्र में की थी। “मैंने सातवीं कक्षा में वेटलिफ्टिंग शुरू की थी। मेरी बड़ी बहन भी वेटलिफ्टिंग करती थी, तो उनके कोच सम्राट सर ने मुझे भी साथ में शुरू करने को कहा।

सफलताओं का सफर

अल्प समय में ही अस्मिता ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। पिछले साल उन्होंने सुवा, फिजी में आयोजित वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में 158 किलोग्राम (70+88 किलोग्राम) के कुल वजन के साथ स्वर्ण पदक जीता था। इससे पहले 2023 में नोएडा में हुई कॉमनवेल्थ यूथ चैंपियनशिप में 136 किलोग्राम (60+76 किलोग्राम) के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

उनकी उपलब्धियों का सिलसिला यहीं नहीं रुकता। एशियन यूथ चैंपियनशिप और 2023 वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में कांस्य पदक भी उनके नाम है। साथ ही, 2022 से 2024 तक IWLF यूथ नेशनल्स में लगातार तीन बार स्वर्ण पदक जीतने का गौरव भी अस्मिता के नाम है।

अस्मिता के कोच सम्राट पवार ने कहा कि सबसे पहले, मैं कहना चाहूंगा कि उसे अपने माता-पिता से मजबूत जीन मिले हैं। साथ ही, वह बहुत अनुशासित है। यही उसकी लगन का सबूत है।

पवार ने आगे बताया की “वेटलिफ्टिंग एक तकनीकी खेल है, जिसमें ताकत और तकनीक दोनों चाहिए। क्लीन एंड जर्क में उसकी तकनीक शानदार है। अगर वह स्नैच में सुधार करती है, तो अस्मिता को कोई नहीं रोक सकता।

भविष्य की योजनाएं

उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर अस्मिता को खेलो इंडिया योजना का फायदा मिला है और वह 2023 से पटियाला के SAI के नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में प्रशिक्षण ले रही हैं।

अस्मिता ने कहा की मुझे खेलो इंडिया से स्कॉलरशिप मिलती है और मैं पिछले दो साल से NIS पटियाला में ट्रेनिंग ले रही हूं, जो नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (NCOE) है। खेलो इंडिया हमारे लिए बड़ा प्लेटफॉर्म है। यह मुझे प्रेरणा, ऊर्जा और आत्मविश्वास देता है।

अब अस्मिता की नजरें अगस्त में अहमदाबाद में होने वाली कॉमनवेल्थ यूथ और जूनियर चैंपियनशिप पर हैं। इसके बाद वह अगले साल चीन के निंगबो में आयोजित होने वाली वर्ल्ड जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही हैं।

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