एसीबी के नए मुखिया हेमंत प्रियदर्शी के गले की फांस बना ये आदेश! जानिए क्या है मामला?
Rajasthan ACB News: राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी का एक फरमान पूरे महकमे पर सवाल उठाने का मजबूर कर रहा है। दो दिन से पूरे प्रदेश में चर्चा है कि क्या सरकार ही भ्रष्टाचारियों को छिपाने में लगी है? क्या भ्रष्टाचारियों को पकड़ने वाले ही उनकी पहचान छिपा रहे हैं?
हाइलाइट्स
- एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी के गले की फांस बना ये आदेश
- प्रियदर्शी ने बीएल सोनी के सेवानिवृत्त होने के बाद 4 जनवरी को जिम्मा संभाला
- पहले ही दिन प्रियदर्शी ने एक फरमान जारी करते हुए सुर्खियां बटाेरी
- सवाल उठ रहा है कि एसीबी भ्रष्टाचारियों के कारनामों पर पर्दा क्यों डाल रही है?
पुलिस, एसओजी, सीबीआई आरोपियों की पहचान सार्वजनिक कर रही तो एसीबी क्यों नहीं?
देश की तमाम सुरक्षा एजेंसियां कार्रवाई के बाद आरोपियों के नाम पता और फोटो सार्वजनिक करती रही है। राजस्थान पुलिस, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, इंटेलिजेंस पुलिस और सीबीआई द्वारा भी की गई कार्रवाई के बाद आरोपियों के नाम और फोटो मीडिया को दिए जाते रहे हैं। ऐसे यह सवाल उठना लाजमी कि एसीबी ऐसा क्यों कर रही है जो घूसखोर अफसरों, कर्मचारियों और नेताओं के कारनामों को आमजन के बीच उजागर नहीं करना चाहती। इस मामले में प्रमुख गृह सचिव आनंद कुमार सिंह का कहना है कि वे इस आदेश की विधिक जांच के बाद ही अपनी राय रखेंगे। भ्रष्टाचारियों को बापर्दा रखने का फरमान जारी करने के बाद एसीबी के कार्यवाहक डीजी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं क्योंकि न्यायालय की कार्रवाई में कई साल लग जाते हैं। ऐसे में भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारी और नेता बेखौफ होकर भ्रष्टाचार करते रहेंगे।
बीजेपी ने सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर उठाए सवाल
एसीबी के कार्यवाहक डीजी द्वारा जारी किए गए नए फरमान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट अफसरों, कर्मचारियों और नेताओं के कारनामों पर पर्दा डालकर सरकार उनकी ढाल बनकर बचाने में लगी है। राठौड़ ने ट्वीट किया कि ‘कांग्रेस का हाथ, भ्रष्टाचार के साथ’। आगे लिखा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तथाकथित मॉडल स्टेट राजस्थान में भ्रष्टाचारियों को अभयदान देने के लिए अब उनके फोटो व नाम को मीडिया में उजागर नहीं करने का तुगलकी फरमान निकालकर प्रेस की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है। अपने नीतिगत दस्तावेज जनघोषणा पत्र के पृष्ठ संख्या 36 के बिन्दु संख्या 28 में ‘Zero Discretion, Zero Corruption & Zero Tolerance’ के सिद्धांत पर काम करने के वादे को धूलदर्शित कर चुकी गहलोत सरकार का यह आदेश इस बात का प्रमाण है कि एसीबी अब भ्रष्टाचारियों की ढाल बनकर कार्य करेगी।
ट्रेप किए गए व्यक्ति की पहचान छुपाने का कोई प्रावधान नहीं – एडवोकेट दीपक चौहान
राजस्थान हाई कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता एडवोकेट दीपक चौहान का कहना है कि एसीबी द्वारा ट्रेप किए गए व्यक्ति की पहचान छुपाए जाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल अत्याचार से पीड़ित महिलाओं की पहचान उजागर नहीं करने का प्रावधान कानून में है लेकिन तमाम एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई में पहचान छुपाने का कोई प्रावधान नहीं है। एसीबी के कार्यवाहक डीजी द्वारा जारी किया गया यह फरमान गलत है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इस आदेश का कोई आधार भी नहीं है।
पूर्ववर्ती सरकार को वापस लेना पड़ा था ऐसा बिल
5 साल पहले पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को एक ऐसा बिल वापस लेना पड़ा जिसमें भ्रष्ट लोक सेवकों की पहचान उजागर नहीं किए जाने के प्रावधान किए गए थे। उस दौरान बीजेपी सरकार एक बिल लेकर आई थी जिसमें यह प्रावधान था कि सरकार से अभियोजन स्वीकृति मिलने से पहले किसी भी दागी लोकसेवक का नाम और पहचान उजागर करने पर 2 साल तक की सजा होगी। साथ ही भ्रष्ट नेताओं और अफसरों पर कार्रवाई से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी। इस बिल का कांग्रेस ने भारी विरोध किया था। 4 महीने बाद ही तत्कालीन वसुंधरा सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़
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