एसीबी के नए मुखिया हेमंत प्रियदर्शी के गले की फांस बना ये आदेश! जानिए क्या है मामला?

66
एसीबी के नए मुखिया हेमंत प्रियदर्शी के गले की फांस बना ये आदेश! जानिए क्या है मामला?

एसीबी के नए मुखिया हेमंत प्रियदर्शी के गले की फांस बना ये आदेश! जानिए क्या है मामला?


Rajasthan ACB News: राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी का एक फरमान पूरे महकमे पर सवाल उठाने का मजबूर कर रहा है। दो दिन से पूरे प्रदेश में चर्चा है कि क्या सरकार ही भ्रष्टाचारियों को छिपाने में लगी है? क्या भ्रष्टाचारियों को पकड़ने वाले ही उनकी पहचान छिपा रहे हैं?

 

हाइलाइट्स

  • एसीबी के कार्यवाहक डीजी हेमंत प्रियदर्शी के गले की फांस बना ये आदेश
  • प्रियदर्शी ने बीएल सोनी के सेवानिवृत्त होने के बाद 4 जनवरी को जिम्मा संभाला
  • पहले ही दिन प्रियदर्शी ने एक फरमान जारी करते हुए सुर्खियां बटाेरी
  • सवाल उठ रहा है कि एसीबी भ्रष्टाचारियों के कारनामों पर पर्दा क्यों डाल रही है?
जयपुर: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (anti corruption bureau) राजस्थान के मुखिया रहे बीएल सोनी के सेवानिवृत्त हो गए हैं। अब एसीबी की जिम्मेदारी सरकार ने नए अफसर को सौंपी है। 4 जनवरी को ही एडीजी हेमंत प्रियदर्शी (hemant priyadarshi ips) ने डीजी पद अतिरिक्त कार्यभार संभाला है। डीजी का कार्यवाहक पद संभालते ही हेमंत प्रियदर्शी ने एक अजीब फरमान जारी कर दिया। इस आदेश के मुताबिक अब एसीबी द्वारा की गई ट्रेप की कार्रवाई के बाद जब तक आरोपी पर न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध नहीं हो जाता तब तक आरोपी का नाम और फोटो सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। आरोपी के मानवाधिकारों की रक्षा का हवाला देते हुए ऐसा आदेश जारी किया गया। कार्यवाहक डीजी द्वारा जारी किया गया यह आदेश अब उन्हीं के गले की फांस बनता जा रहा है। इस आदेश के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या एसीबी भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने की कोशिश कर रही है। घूसखोर अफसर के मानवाधिकार की रक्षा करने वाली एसीबी उनके कारनामों पर पर्दा क्यों डाल रही है।

पुलिस, एसओजी, सीबीआई आरोपियों की पहचान सार्वजनिक कर रही तो एसीबी क्यों नहीं?

देश की तमाम सुरक्षा एजेंसियां कार्रवाई के बाद आरोपियों के नाम पता और फोटो सार्वजनिक करती रही है। राजस्थान पुलिस, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, इंटेलिजेंस पुलिस और सीबीआई द्वारा भी की गई कार्रवाई के बाद आरोपियों के नाम और फोटो मीडिया को दिए जाते रहे हैं। ऐसे यह सवाल उठना लाजमी कि एसीबी ऐसा क्यों कर रही है जो घूसखोर अफसरों, कर्मचारियों और नेताओं के कारनामों को आमजन के बीच उजागर नहीं करना चाहती। इस मामले में प्रमुख गृह सचिव आनंद कुमार सिंह का कहना है कि वे इस आदेश की विधिक जांच के बाद ही अपनी राय रखेंगे। भ्रष्टाचारियों को बापर्दा रखने का फरमान जारी करने के बाद एसीबी के कार्यवाहक डीजी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं क्योंकि न्यायालय की कार्रवाई में कई साल लग जाते हैं। ऐसे में भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारी और नेता बेखौफ होकर भ्रष्टाचार करते रहेंगे।
navbharat times -गहलोत – पायलट की खींचतान, उदयपुर में आतंकी घटना, गैंगवार और वसुंधरा की देव दर्शन यात्रा, राजस्थान के लिए यूं खास रहा 2022

बीजेपी ने सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर उठाए सवाल

एसीबी के कार्यवाहक डीजी द्वारा जारी किए गए नए फरमान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट अफसरों, कर्मचारियों और नेताओं के कारनामों पर पर्दा डालकर सरकार उनकी ढाल बनकर बचाने में लगी है। राठौड़ ने ट्वीट किया कि ‘कांग्रेस का हाथ, भ्रष्टाचार के साथ’। आगे लिखा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तथाकथित मॉडल स्टेट राजस्थान में भ्रष्टाचारियों को अभयदान देने के लिए अब उनके फोटो व नाम को मीडिया में उजागर नहीं करने का तुगलकी फरमान निकालकर प्रेस की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है। अपने नीतिगत दस्तावेज जनघोषणा पत्र के पृष्ठ संख्या 36 के बिन्दु संख्या 28 में ‘Zero Discretion, Zero Corruption & Zero Tolerance’ के सिद्धांत पर काम करने के वादे को धूलदर्शित कर चुकी गहलोत सरकार का यह आदेश इस बात का प्रमाण है कि एसीबी अब भ्रष्टाचारियों की ढाल बनकर कार्य करेगी।
navbharat times -गजेंद्र सिंह शेखावत का गहलोत पर सबसे बड़ा हमला, मोबाइल बांटने की आड़ में राजस्थान सरकार करने जा रही है ₹2500 करोड़ का घोटाला

ट्रेप किए गए व्यक्ति की पहचान छुपाने का कोई प्रावधान नहीं – एडवोकेट दीपक चौहान

राजस्थान हाई कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता एडवोकेट दीपक चौहान का कहना है कि एसीबी द्वारा ट्रेप किए गए व्यक्ति की पहचान छुपाए जाने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि केवल अत्याचार से पीड़ित महिलाओं की पहचान उजागर नहीं करने का प्रावधान कानून में है लेकिन तमाम एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाई में पहचान छुपाने का कोई प्रावधान नहीं है। एसीबी के कार्यवाहक डीजी द्वारा जारी किया गया यह फरमान गलत है। इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इस आदेश का कोई आधार भी नहीं है।

पूर्ववर्ती सरकार को वापस लेना पड़ा था ऐसा बिल

5 साल पहले पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को एक ऐसा बिल वापस लेना पड़ा जिसमें भ्रष्ट लोक सेवकों की पहचान उजागर नहीं किए जाने के प्रावधान किए गए थे। उस दौरान बीजेपी सरकार एक बिल लेकर आई थी जिसमें यह प्रावधान था कि सरकार से अभियोजन स्वीकृति मिलने से पहले किसी भी दागी लोकसेवक का नाम और पहचान उजागर करने पर 2 साल तक की सजा होगी। साथ ही भ्रष्ट नेताओं और अफसरों पर कार्रवाई से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी। इस बिल का कांग्रेस ने भारी विरोध किया था। 4 महीने बाद ही तत्कालीन वसुंधरा सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़

Viral Dance Video: टोंक में नए साल पर डर्टी डांस पार्टी, स्टेज पर डांसर्स ने तोड़ी सारी हदें

आसपास के शहरों की खबरें

Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें

राजस्थान की और समाचार देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Rajasthan News