एलडीए कर्मियों की मिलीभगत से तैयार हो रही फर्जी रजिस्ट्री: खाली प्लॉट के दस्तावेज तैयार कर ठगबाज कर रहे फर्जी रजिस्ट्री – Lucknow News h3>
लखनऊ में एलडीए कर्मियों और जालसाजों का एक गैंग लोगों को गुमराह कर फर्जी रजिस्ट्री तैयार कर उन्हें बेच दे रहा है। जालसाज मिलीभगत करके योजनाओं में पॉश कॉलोनियों में खाली प्लॉट के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोगों को फर्जी तरीके से बेचा जा रहा है। दस्तावेज़
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एलडीए से मिलती है खाली प्लाटों की जानकारी
फर्जी रजिस्ट्री करने वाले ठगों के गैंग में एलडीए के कई कर्मचारी भी शामिल है। कर्मचारियों के जरिए ठगों को अर्जन, नजूल और योजनाओं में लम्बी समय से खाली पड़ी जमीनों की जानकारी आसानी से मिल जाती है। जिसके बाद गैंग वकील की मदद से खाली भूखंड का फर्जी दस्तावेज़ और गवाह को तैयार करवाता है। गैंग के सदस्य प्लाट को बेचने के लिए लोगों को लगा देते है। गैंग का सरगना प्लाट के पैसे भी फर्जी बैंक खाता खुलवा कर उसमे लेता है। सूत्रों के मुताबिक जालसाज गोमती नगर स्थित बैंक ऑफ इंडिया और शक्ति नगर स्थित एक निजी बैंक में फर्जी खाते खुलवा कर पैसा ट्रांसफर करवाते थे।
एलडीए दफ्तर में ही होती है डील
जालसाज ग्राहक को भरोसे में लेने के लिए एलडीए दफ्तर में बुला कर फर्जी रजिस्ट्री की जांच करवाते है। बाबुओं से सेटिंग के चलते फर्जी रजिस्ट्री को सही बता दिया जाता है। ऐसे में प्लाट खरीदने वाला उनके भरोसे में आ जाता है। प्लाट बेचने के बाद डीलिंग का एक हिस्सा एलडीए बाबुओं को भी जाता है।
फर्जी गवाही का चलता खेल
एलडीए ने ट्रांसपोर्ट नगर के चार भूखंडों की जांच की थी। इन चारो भूखंडों की रजिस्ट्री फर्जी थी। इस मामले एलडीए की जांच में सामने आया कि एक ही व्यक्ति की गवाही 11 रजिस्ट्री में लगी है। ऐसे ही एक अन्य व्यक्ति की चार मामलों में गवाही दी थी। इस मामले में एलडीए ने गोमतीनगर थाने में दो सेवानिवृत्त कर्मियों सहित 19 लोगों पर एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसके बाद से कई और मामलों में रजिस्ट्री में लगाए गए गवाह एक ही मिले।
ई-नीलामी नही लगाते है प्लाट और फ़्लैट
एलडीए में ई-नीलामी के ज़रिए कई प्लाट और फ़्लैट बेचे जाते है। ई-नीलामी में प्लाट और फ़्लैट को लगाने के लिए सभी योजनाओं के संपत्ति अधिकारियों से जानकारी मांगी जाती है। बाबू फर्जीवाड़ा करने वाले प्लाट और फ्लैट्स की जानकारी नहीं देते है।
फर्जीवाड़ा कर किसी और के नाम कर दी रजिस्ट्री
फर्जी तरीके से किसी जमीन को किसी और के नाम दर्ज करने का भी खेल चल रहा है। संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून-व्यवस्था की जांच में ऐसी पांच फर्जी रजिस्ट्री पकड़ीं जा चुकी है। उप निबंधक द्वितीय प्रभाष सिंह की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक प्लॉट (1/124) विक्रांतखंड के नैन सिंह के नाम पर था। इसकी फर्जी रजिस्ट्री राजकुमार के नाम पर की गई। इसी तरह प्लॉट (1/125) विक्रांत खंड के आरबी सिंह का था, जिसकी फर्जी रजिस्ट्री अमित कुमार के नाम की गई। विक्रांतखंड का प्लॉट (1/126) अमीरा पुनवानी का था, जिसकी फर्जी रजिस्ट्री माया देवी को की गई। इसके अलावा विक्रांतखंड का प्लॉट (1/127), जो बैजनाथ के नाम पर था उसकी फर्जी रजिस्ट्री रमेश कुमार चावला के नाम पर कर दी गई। इसी तरह राजेंद्र पांडेय ने जो केस दर्ज कराया है। इसमें बाराबंकी के नदीम अख्तर की जमीन की दिगंबर सिंह के नाम पर फर्जी रजिस्ट्री की गई थी।
इन प्लाट में फर्जीवाड़े की आशंका
3/214 विकास खण्ड
3/214 ए विकास खण्ड
5/145 विशाल खण्ड
4/95 विशाल खण्ड
2/47 विराज खण्ड
2/49 विराज खण्ड
2/375 विनम्र खण्ड
5/74 विराज खण्ड
3/109 विकल्प खण्ड
1/63 विराम खंड
3/29 विक्रांत खंड
2/50 विक्रांत खंड
1/319 विक्रांत खंड
1/214 विक्रांत खंड
2/97 विराज खंड
3/512 विकल्प खंड
3/513 विकल्प खंड
3/514 विकल्प खंड
3/508 विकल्प खंड
5/148 विनीत खंड
5/149 विकल्प खंड
3/553 विक्रांत खंड
2/49 विराज खंड
2/151 विराज खंड
2/152 विराज खंड
2/145 विराज खंड
2/140 विराज खंड
2/63 जे विराज खंड