एन. रघुरामन का कॉलम: भविष्य के वयस्कों को ये 10 बातें पता होनी चाहिए

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एन. रघुरामन का कॉलम:  भविष्य के वयस्कों को ये 10 बातें पता होनी चाहिए

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एन. रघुरामन का कॉलम: भविष्य के वयस्कों को ये 10 बातें पता होनी चाहिए

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9 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

इस वीकेंड मैंने कुछ युवाओं के साथ एक कैंपस में शाम का वक्त बिताया, जहां काफी देर से लाइट नहीं थी। ये युवा वयस्क बनने की दहलीज पर हैं। वहां छात्र कैंटीन में खाने की देरी को लेकर शिकायत कर रहे थे। मैंने कैंटीन मैनेजर से पूछा कि लंच का क्या बचा है? उसने बताया कि काफी मात्रा में चावल, ठंडा दूध और दही है, बाकी कुछ नहीं।

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मैंने कुछ छात्रों को साथ लिया और कहा कि चलो कैंटीन में कुछ बनाते हैं। मैंने एक छात्र को अनार छीलने के लिए कहा, एक को धनिया पत्ती, दूसरे को करी पत्ता और हरी मिर्च काटने के लिए, एक को अदरक और कच्चे आम को कद्दूकस करने के लिए कहा। और एक से कहा कि पाव भाजी बनाने वाले उपकरण से चावल को जितना हो सके उतना मुलायम मैश करे।

एक लड़के को पास की दुकान से काजू-किशमिश लाने भेजा और काजू को छोटे पीस में तोड़ने के लिए कहा। मैंने उन्हें पहले घी में हल्का भूनने में मदद की और दूसरे को तेल, राई और उड़द दाल के साथ तड़का तैयार करने के लिए कहा। फिर उसी कढ़ाई में हरी मिर्च, कद्दूकस किया आम-अदरक व कटे हुए करी पत्ते डाले।

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इसकी खुशबू कुछेक को सम्मोहित कर रही थी, इसके बाद वहां और भी छात्र आ गए। फिर मैंने काजू-किशमिश को चावल में मिलाया और धीरे-धीरे दही के साथ खूब सारा ठंडा दूध मिलाया और उन्हें बताया कि दही थोड़ा खट्टा है, इसलिए ज्यादा दूध डाला है। अंत में धनिया डालकर इसे सुंदर बनाया। इस तरह दही चावल न केवल 15 मिनट में तैयार हो गए, बल्कि उन्होंने अगले 30 मिनट में रसोई को साफ करने में मेरी मदद की।

इससे मैं आजकल के माता-पिता की उस सोच पर विचार करने लगा, जहां वे हर काम खुद करते हैं और बच्चों से कम से कम मदद की उम्मीद करते हैं। हो सकता है, ये बच्चों को अनावश्यक काम से बचाने, उनकी लिखाई-पढ़ाई, खेल व अन्य गतिविधियों पर ध्यान देने के लिए हो सकता है, या फिर शायद वे उन्हें आदर्श बचपन देना चाहते हों। पर इससे बच्चे कई महत्वपूर्ण सबक से चूक जाते हैं कि इस दुनिया में प्रभावी ढंग से काम कैसे करें। यहां कुछ बातें हैं जो मुझे लगता है कि भविष्य के वयस्कों को जाननी चाहिए :

1. कुछ पकाना आना चाहिए : कोई अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड नहीं जैसे नूडल्स। कम संसाधनों में क्या पकाना है, उन्हें यह पता होना चाहिए। 2. अजनबियों से बात : चाहे दुकानदार हो, बैंकर, रेलवे क्लर्क या मकान मालिक, आंखों में आंखें डालकर विनम्र, इंगेजिंग, बिना विचलित हुए बात करना आना चाहिए। 3. टकराव का सामना: भावनात्मक रूप से टूटे बिना अस्वीकृति और अंतर व्यक्तिगत टकरावों को झेलना आना चाहिए। 4. खुद की देखभाल : उन्हें अपनी चीजें खुद संभालनी चाहिए, जैसे सुबह उठना, अच्छी तरह से कसरत करना, खुद को तैयार करना, अच्छा खाना और यह समझना कि ये जिंदगी ईश्वर का उपहार है और सबसे कीमती है। 5. कमाना और पैसा मैनेज करना: उन्हें रोज जाकर कुछ न कुछ खरीदना चाहिए, ताकि चीजों की कीमत पता चले और पैसे का मूल्य और उसका महत्व समझ में आए। 6. घर चलाने में मदद: उन्हें पता होना चाहिए कि घर में क्या काम बकाया हैं जैसे सफाई, कपड़े धोना, छोटी-मोटी चीजों की मरम्मत आदि। 7. विपत्ति का सामना: उन्हें जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करना सिखाना चाहिए। 8. टाइम मैनेज करना: ये सीखने के लिए अपने शेड्यूल पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है। 9. रिस्क लेना: नए लोगों से मिलना और उनके साथ यात्रा करना, समय के मामले में जोखिम लेने का उनका पहला सबक है। इसे प्रोत्साहित करें और परिणाम देखें। 10. अपने विचारों के साथ अकेले बैठना : उन्हें कम से कम दो घंटे बिना मोबाइल के अपने विचारों पर गौर करना चाहिए, इससे उनमें धैर्य आएगा, अपना आकलन कर पाएंगे।

फंडा यह है कि यदि कोई बच्चा कम से कम ये 10 सबक सीख लेता है, तो आप बेफिक्र हो सकते हैं कि वह वयस्कों के लिए बने रास्ते पर आत्मविश्वास के साथ चल सकता है।

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