एन. रघुरामन का कॉलम: ईमानदारी और विनम्रता का अभाव छुपे हुए प्रतिस्पर्धियों को मौके देगा!

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एन. रघुरामन का कॉलम:  ईमानदारी और विनम्रता का अभाव छुपे हुए प्रतिस्पर्धियों को मौके देगा!
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एन. रघुरामन का कॉलम: ईमानदारी और विनम्रता का अभाव छुपे हुए प्रतिस्पर्धियों को मौके देगा!

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7 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

मैं जब भी मुम्बई से गोवा छुट्टियां मनाने जाता तो सड़क मार्ग को ही चुनना चाहता था, क्योंकि कोंकण मार्ग प्रकृति की सर्वोत्तम सुंदरता को दर्शाता है। लेकिन सड़कों की हालत मुझे डराती थी। 594 किमी दूरी तय करने में 14 घंटे से अधिक समय लगता था, क्योंकि गड्ढों के बीच-बीच में ही सड़क हुआ करती थी।

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फिर कोंकण रेलवे आई, जिसने उस क्षेत्र की सुंदरता को कहीं बेहतर तरीके से प्रदर्शित किया, क्योंकि कार चालक की तरह अब सड़क पर नहीं बल्कि प्रकृति की सुंदरता पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता था। फिर बड़ी खिड़कियों और डोम वाली बोगियां आईं, जिनमें डिब्बे का बड़ा हिस्सा पारदर्शी हुआ करता था और 180 डिग्री का दृश्य पेश करता था।

लेकिन गोवा आने वाले अधिकांश पर्यटकों को जिस चीज से डर लगता था, वह थी स्थानीय परिवहन लॉबी जो पर्यटकों को लूटती थी। गोवा में कहीं भी 10 किमी की यात्रा करने के लिए भी पर्यटकों को 1,000 रुपए देने पड़ते। एक दिन की टैक्सी का खर्च किसी वन-वे एयरलाइन टिकट जितना होता था।

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इस साल की बारिशों तक 14 घंटे की यह सड़क यात्रा 6 घंटे में सिमट जाएगी, क्योंकि मुम्बई के पास पनवेल से शुरू होकर गोवा के पास पतरादेवी तक 466 किमी लंबा गोवा-हाईवे बनकर पूरा हो जाएगा। पनवेल मुम्बई और पुणे से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और उसके दोनों तरफ बेहतरीन सड़कें हैं।

पनवेल-गोवा परियोजना- जो 2012 में 3,500 करोड़ की लागत से शुरू हुई थी- अब देरी के कारण 7,300 करोड़ रुपयों की हो गई है। लेकिन उसका पूरा होना निश्चित रूप से स्थानीय कैब व्यवसाय के लिए एक छिपी हुई प्रतिस्पर्धा पैदा करने वाला है, जो अपने स्थानीय परिवहन में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देता है।

जैसे ओला और उबर ने हमारे देश के कई शहरों में प्रवेश किया और टैक्सी ड्राइवरों- जो स्थानीय लोगों और आगंतुकों को ठगते थे- के स्थापित व्यवसाय में बड़े पैमाने पर खलल डाला, उसी तरह इस अच्छे बुनियादी ढांचे के निर्माण से मौजूदा गोवा कैब ड्राइवरों के सामने भी कई प्रतिस्पर्धी पैदा होंगे।

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आप सोच रहे होंगे कि कौन? एक नहीं, बल्कि कई! कोई एक विशेष कंपनी नहीं, बल्कि कई व्यक्ति और परिवार, जो अपनी निजी कार से उनके राज्य में आएंगे। याद रखें कि गोवा के सरकारी खजाने में पर्यटन का सबसे बड़ा योगदान है। इसमें भी मुंबई और पुणे के पर्यटक सबसे अधिक आते हैं।

इसका मुख्य कारण गोवा से उनकी निकटता और इन शहरों के निवासियों की अच्छी आमदनी है। जब भी सप्ताहांत शुक्रवार या सोमवार को पड़ने वाले किसी राष्ट्रीय अवकाश से बढ़ जाता है तो वे हमेशा गोवा में एक छोटी-सी छुट्टी बिताना पसंद करते हैं। सड़क का निर्माण पूरा होने के बाद भी वे आते रहेंगे, लेकिन यातायात का खर्च बचाने के लिए अपनी गाड़ियों का उपयोग करना ज्यादा पसंद करेंगे। इससे यकीनन स्थानीय कैब बिजनेस पर कड़ी मार पड़ेगी।

आज बेंगलुरू जैसे शहरों में ऑटो चालक यात्रियों के प्रति अतिरिक्त विनम्र होने की कोशिश कर रहे हैं। वे न केवल मीटर के अनुसार किराया लेते हैं, बल्कि यात्रियों को पत्रिकाएं और समाचार पत्र जैसी अतिरिक्त सेवाएं भी देते हैं। कुछ स्थानीय भाषा सीखने में उनकी मदद करते हैं।

यह स्वागतयोग्य बदलाव है, लेकिन यह देरी से आया है। उनके बारे में पहले ही उपभोक्ताओं के दिमाग में एक छवि बन चुकी है। यही बात किराना स्टोर के साथ भी है, जो स्थानीय उपभोक्ताओं के प्रति सदाशयता का परिचय नहीं देते। इसके चलते उपभोक्ता आस-पास के स्थानों पर मौजूद मॉल्स में जाने को मजबूर हो जाते हैं, जहां उन्हें विनम्र व्यवहार के साथ अच्छी छूट प्रदान की जाती है।

फंडा यह है कि अगर कोई भी सेवा उचित मूल्य नहीं देती और अपने ग्राहक के प्रति विनम्रतापूर्ण व्यवहार नहीं करती तो इससे प्रतिस्पर्धियों के लिए दरवाजे खुल जाएंगे, जो अंततः उनके मार्केट-शेयर में ही सेंध लगाएंगे।

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