एक्सप्लेनर: जानिए क्यों होता है ईंट भट्‌ठों में ब्लास्ट, मोतिहारी की घटना से अब तो सबक ले सरकार

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एक्सप्लेनर: जानिए क्यों होता है ईंट भट्‌ठों में ब्लास्ट, मोतिहारी की घटना से अब तो सबक ले सरकार

एक्सप्लेनर: जानिए क्यों होता है ईंट भट्‌ठों में ब्लास्ट, मोतिहारी की घटना से अब तो सबक ले सरकार

मोतिहारी: 22 दिसंबर को पूर्वी चंपारण जिले के रामगढ़वा थाना क्षेत्र में एक बड़ा हादसा हुआ। यहां ईंट भट्ठे की चिमनी में धमाका हो गया और टूटी हुई चिमनी मजदूरों पर आ गिरी। इस हादसे में भट्ठे के मालिक समेत 6 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हालांकि मलबे से 12 लोगों को जीवित भी निकाला गया। उन्हें जख्मी हालत में एक निजी हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया। स्थानीय लोगों की माने तो ईंट भट्ठा की चिमनी में आग लगने के बाद जोरदार धमाका हुआ। इसके बाद चिमनी टूटकर नीचे जा गिरी। चिमनी गिरने से वहां मौजूद कई मजदूर दब गए। अब सवाल ये कि चिमनी में ब्लास्ट हुआ कैसे, आखिर वो कौन सी वजहें हैं जो ऐसे हादसों के लिए जिम्मेवार होती हैं।

इस वजह से होता है चिमनी में ब्लास्ट

ईंट भट्‌ठों के जानकारों के मुताबिक फ्लाई ऐश ब्रिक बनाना इस मामले में सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसमें चिमनी का इस्तेमाल नहीं होता। लेकिन लाल ईंट बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से अलग होती है। लाल ईंट के चिमनी भट्ठे से रोजाना हजारों टन से ज्यादा जहरीली गैसें निकलती हैं। इनमें कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाईऑक्साइड, ब्लैक कार्बन, सल्फर डाईऑक्साइड, PM 2.5 पार्टिकल्स एवं नाइट्रोजन डाईऑक्साइड प्रमुख हैं। ये सभी जहरीली गैसें चिमनी के जरिए ही बाहर निकलती हैं। चिमनी के निचले हिस्से में भट्ठा होता है जहां आग जला कर ईंट पकाई जाती है।
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कितना खतरनाक चिमनी भट्ठा

आग को ज्यादा तीव्र बनाए रखने के लिए कई दफे खराब क्वालिटी वाला कोयला, टायर, केरोसिन तेल, लकड़ियां, प्लास्टिक कचरा, धान का भूसा जलाया जाता है। इन हालात में काफी तेज धुआं निकलता है। ये सारा धुआं चिमनी के जरिए ही बाहर निकलता है। लेकिन ठंड के मौसम में इस प्रक्रिया गड़बड़ होने के पूरे चांस रहते हैं। टनों भर जहरीली गैस तब चिमनी से बाहर नहीं निकल पाती जब उसके ऊपर ठंडी हवा का प्रेशर होता है। ऐसे हालात में चिमनी में धमाका हो जाता है।
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पानी रिसने से भी होता है धमाका

जानकारों के मुताहिक पानी का रिसाव भी चिमनी में धमाके की वजह बन जाता है। किसी भी भट्ठे में कोई भी कारण से अगर पानी रिसने लगता है तो वो कोयले को जलाने के बजाए पानी का रिसाव हो रहा है, तो चिमनी के अंदर वह कोयले को जलाने के बदले धुंआ ज्यादा निकालने लगता है। इससे भी चिमनी पर दबाव बढ़ जाता है। ये भी चिमनी में धमाके की वजह बनता है।

कुशल कामगारों की कमी
बिहार के करीब-करीब सभी ईंट भट्ठों में कुशल कामगारों की कमी होती है। इनके बदले झारखंड, ओडिशा और बंगाल के मिदनापुर, मुर्शिदाबाद बीरभूम जैसे जिलों के मजदूरों को काम पर लगाया जाता है। इन्हें चिमनी को ढंग से चलाने की न के बराबर जानकारी होती है। लाल ईंट के ज्यादातर चिमनी भट्ठों पर ऐसे मजदूर मिल जाते हैं। इनकी वजह से भी चिमनी का रखरखाव ठीक से नहीं हो पाता और हादसे हो जाते हैं।

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