उस दिन शोभा कपूर ना रोकतीं तो प्लेन क्रैश में जितेंद्र की हो जाती मौत, सामने घटा था भयावह मंजर
शोभा के कहने पर जितेंद्र ने छोड़ दी थी फ्लाइट
जितेंद्र (Jeetendra) ने साल 2021 में ‘द कपिल शर्मा शो’ में इस किस्से का खुलासा किया था। ये घटना साल 1976 यानी 47 साल पहले की है। जितेंद्र को फ्लाइट से मद्रास (अब चेन्नई) जाना था। उस दिन करवा चौथ भी था। उनकी फ्लाइट डिले हो गई। ऐसे में वो घर वापस आ गए, ताकि शोभा चांद देखने और अपना व्रत तोड़ने की रस्म निभा सके। इसके बाद शोभा ने उन्हें वापस एयरपोर्ट जाने से मना कर दिया। इसलिए जितेंद्र ने अपने मेकअप मैन को बुलाया और कहा कि वे घर वापस आ जाएं, क्योंकि अब वो अगले दिन मद्रास जाएंगे।
जितेंद्र ने एयरपोर्ट की तरफ देखा आग का गोला
उसी रात लगभग साढ़े 10 या 11 बजे की बात है, जितेंद्र ने अपने फ्लैट (पाली हिल, बांद्रा में एक ऊंची इमारत) से बाहर देखा और एयरपोर्ट की तरफ एक आग का गोला देखा। कुछ घंटे बाद उनका फोन लगातार बजने लगा। तब उन्हें पता चला कि जिस फ्लाइट से उन्हें जाना था, वो क्रैश हो गया। शोभा ने कुछ अजीब आभास होने पर ही गुजारिश की थी कि उन्हें नहीं जाना चाहिए और ये उनके लिए एक वरदान साबित हुआ। ये इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 171 थी, जिसके साथ दर्दनाक हादसा हुआ था। इस घटना में करीब 96 लोगों की मौत हो गई थी।
14 साल की शोभा से जितेंद्र को हुआ था प्यार
जितेंद्र और शोभा की पहली मुलाकात तब हुई थी, जब शोभा 14 साल की थीं। उन्होंने अपनी स्कूलिंग और कॉलेज खत्म किया और ब्रिटिश एयरवेज में एयर होस्टेस की नौकरी करने लगीं। जब जितेंद्र 1960-66 के बीच एक्टर बनने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे, तब वो शोभा संग रिलेशनशिप में थे। दोनों ने 1974 में शादी करने का फैसला किया और जानकी कुटीर में सिर्फ फैमिली मेंबर्स और दोस्तों की मौजूदगी में एक-दूसरे के हमसफर बन गए। हालांकि, हेमा मालिनी की ऑथोराइज्ड बायोग्राफी में दावा किया गया है कि वो जितेंद्र से लगभग शादी करने ही वाली थीं, लेकिन आखिरी समय में वो पीछे हट गई थीं।
जितेंद्र की ऐसे हुई थी फिल्मों में एंट्री
जितेंद्र का जन्म अमृतसर में अमरनाथ और कृष्णा कपूर के घर पर हुआ था। उनकी फैमिली नकली जूलरी का बिजनेस करती थी और फिल्म इंडस्ट्री में जूलरी सप्लाई करती थी। घर की माली हालत और पढ़ाई में फिसड्डी रहे जितेंद्र ने एक्टर बनने का फैसला किया और फिल्ममेकर वी. शांताराम से काम मांगा। उन्होंने जितेंद्र को जूनियर आर्टिस्ट के रूप में काम दे दिया। एक दिन सेट पर वी. शांताराम का ध्यान उन पर तब गया, जब उन्होंने जितेंद्र को बहुत अच्छी मराठी बोलते हुए सुना। बस यहीं से उनकी किस्मत बदल गई। जितेंद्र मानते हैं कि उनके पैरेंट्स ने उन्हें जन्म दिया, लेकिन गुरु वी. शांताराम ने उन्हें जितेंद्र बनाया और इसके लिए वो हमेशा उनके आभारी रहेंगे।
64 साल पहले रिलीज हुई थी पहली फिल्म
1959 में रिलीज हुई ‘नवरंग’ जितेंद्र की पहली फिल्म थी। इसके बाद वो ‘फर्ज’ फिल्म में नजर आए, जो तेलुगू मूवी Gudachari 116 की हिंदी रीमेक थी। इस फिल्म से जितेंद्र को पहचान मिली थी। उन्होंने 80 साउथ फिल्मों के हिंदी रीमेक में काम किया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि हर किसी ने ‘फर्ज’ मूवी ठुकरा दी थी, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को स्वीकार किया और इसके बाद तो इतिहास गवाह है। उन्होंने ‘परिवार’, ‘औलाद’ और ‘तोहफा’ सहित 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।