उन्नीस साल से लावारिस भोपाल मास्टर प्लान के नाम पर छलावा! h3>
भोपाल. राजधानी के मास्टर प्लान को बनाना और फिर इसे रद्द कर देना, शहर से जुड़े अफसरों से लेकर शासन में बैठे नेताओं- मंत्रियों का पसंदीदा खेल हो गया है। एक प्लान में कम से कम पांच करोड़ रुपए की राशि खर्च होती है। इसके साथ सुझाव-आपत्ति प्रक्रिया में शामिल शहर के आम और खास लोगों का समय भी खराब होता है। 2005 के बाद तीन बार बने-बनाए प्लान को बिना किसी ठोस कारण के रद्द कर दिया गया। अब चौथी बार 2047 के लिए प्लान बनाने का खेल शुरू किया जा रहा है।
तालाब-वन में भूमि पर निर्माण की चाह अटका रही है प्लान
रद्द किए गए ड्राफ्ट 2031 में शहर के मौजूदा और पूर्व विधायक बतौर आपत्तिकर्ता शामिल हुए। 80 फीसदी की जमीनें बड़ा तालाब कैचमेंट और कलियासोत वनक्षेत्र में है जहां से अनुमति की मांग कर रहे। तालाब के कैचमेंट में किसानों को निर्माण का अधिकार देने विधायक रामेश्वर शर्मा खुलकर बोल चुके हैं। इसी तरह तालाब किनारे प्रेमपुरा में जमीनों पर आवासीय लैंडयूज के लिए पूर्व विधायक जितेंद्र डागा, धु्रवनारायण ङ्क्षसह आपत्तिकर्ता के तौर पर उपस्थित हुए। शहर के बड़े उद्यमी, कारोबारी, बिल्डर्स ने नदी किनारे से तालाब किनारे, कैचमेंट, वनक्षेत्र में जमीनों पर निर्माण की चाह रखकर आपत्तियां दर्ज कराई थी।
अन्य शहरों में यह स्थिति
इंदौर में 2021 के लिए मास्टर प्लान बनाकर लागू किया था, अब नया प्लान बनाने की प्रक्रिया की जा रही।
जयपुर में 2025 में प्लान खत्म होगा, उसके पहले नया प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
नोएडा में मास्टर प्लान 2041 मंजूर कर लिया गया है।
ग्वालियर में भी मास्टर प्लान बनाया जा रहा है।
05 मार्च 2020 को 2031 के लिए प्लान का ड्राफ्ट जारी किया
किस तरह की आपत्तियां
पुराने शहर में बेस एफएआर दो पर के साथ शहर में फ्लेक्जीबल एफएआर पर आपत्ति।
बड़ा तालाब कैचमेंट में निर्माण के लिए तय प्रावधान पर आपत्ति।
शहर किनारे कोर एरिया में एफएआर महज 0.25 करने का विरोध।
बाघभ्रमण क्षेत्र में पीएसपी व वनभूमि के बीच आपत्ति
केरवा के एफटीएल पर आपत्ति।
तालाब में चार लेन रोड, किनारे पर सेटेलाइट टाउन- मैरिज गार्डन को मंजूरी पर आपत्ति।
अरेरा कॉलोनी इ1 से इ5 चूनाभट्टी, विजय नगर जैसे क्षेत्रों को लो-डेंसिटी करने पर आपत्ति।
मास्टर प्लान पर विधायकों की आपत्ति भारी
भोपाल मास्टर प्लान को बनाने और फिर रद्द करने का खेल चल रहा है। हर बार विधायकों की आपत्ति प्लान पर भारी पड़ जाती है। शहर का अनियोजित विकास हो रहा है। आने वाले सालों में इसका असर दिखेगा। जो निर्माण जिस जगह होना था, वहां कुछ और ही बन गया। इसका जिम्मेदार कौन होगा, इसका भी जवाब शहर वालों को ढूंढना पड़ेगा।
कमल राठी, अर्बन एक्सपर्ट
भोपाल मास्टर प्लान के बारे में एक बेहद रोचक तथ्य है कि तीन विधानसभा चुनाव बीत गए। सरकार बनी और फिर अपना कार्यकाल पूरा करके चुनाव में चली गई, लेकिन मास्टर प्लान वही का वहीं खड़ा हुआ है। अभी विधानसभा चुनाव के पहले मास्टर प्लान की बात हुई, अब लोकसभा के पहले हो रही है। चुनाव खत्म मास्टर प्लान पर बात भी खत्म हो जाती है। ऐसे शहर नहीं चलने वाला।
राजेश चौरसिया, आर्किटेक्ट- स्ट्रक्चरल इंजीनियर
शहर का प्लाङ्क्षनग एरिया लगातार बढ़ा दिया गया। यह नोटिफाई भी हो गया, लेकिन उस एरिया में क्या काम होना है, इसके लिए मास्टर प्लान लाया नहीं गया। मास्टर प्लान तय समय में आता तो शहर का सुनियोजित विकास होता। शहर की प्लाङ्क्षनग जरूरी है। अभी मास्टर प्लान को तेजी से पूरा करके लाएं ताकि शहर विकास की दिशा में आगे बढ़े।
विजय सवालकर, पूर्व चीफ सिटी प्लानर भोपाल