इंदौर में विदेशी वाणिज्य दूतावास केंद्र खोलने की मांग: सांसद शंकर लालवानी ने जमीन आरक्षित करने के लिए लिखा पत्र – Indore News h3>
इंदौर को महानगर का दर्जा देने की प्रक्रिया तेज हो चुकी है। सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए महानगरीय क्षेत्र का निर्धारण शुरू कर दिया है। ऐसे में सांसद शंकर लालवानी ने एक महत्वपूर्ण और दूरदर्शी सुझाव दिया है कि जब महानगरीय क्षेत्र का खाका तैयार कि
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वाणिज्य दूतावास केंद्र किसी भी देश के व्यापार, निवेश, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम करते हैं। आज मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद जैसे शहरों में कई देशों के ऐसे दूतावास हैं। इंदौर में भी ये केंद्र स्थापित होते हैं, तो शहर को सीधे तौर पर कई अंतरराष्ट्रीय फायदे होंगे।
सांसद शंकर लालवानी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर मांग की। कहा- जब महानगरीय क्षेत्र की योजना बनाई जा रही है तो उसी के साथ एक विशेष जोन ऐसा तय किया जाए। जहां विभिन्न देशों के वाणिज्य दूतावास और उच्चायोग मिशन की स्थापना हो सके। जब शहर महानगर बनता है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी पहचान भी बनती है। और उसी पहचान को मजबूत करने के लिए दूतावास केंद्र जरूरी हो जाते हैं।
इंदौर को ये होंगे सीधे फायदे
1. ग्लोबल इन्वेस्टमेंट का सीधा रास्ता खुलेगा
- विदेशी निवेशकों को भरोसा मिलेगा।
- एमएसएमई, टेक्सटाइल, फार्मा, फूड प्रोसेसिंग जैसे उद्योगों को इंटरनेशनल बाजार मिलेगा।
2. स्टार्टअप को ग्लोबल प्लेटफॉर्म
- इंदौर देश का सबसे तेज़ी से बढ़ता स्टार्टअप हब है।
- वाणिज्य दूतावास केंद्र के माध्यम से स्टार्टअप को इंटरनेशनल गाइडेंस और पार्टनरशिप के मौके मिलेंगे।
3. IIT और IIM इंदौर की ब्रांडिंग
- विदेशी यूनिवर्सिटीज और रिसर्च संस्थानों से साझेदारी के अवसर बढ़ेंगे।
- इंदौर में उच्च शिक्षा और रिसर्च को मिलेगा इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म।
4. इंटरनेशनल ट्रेड फेयर और बिजनेस इवेंट्स
- इंदौर में विदेशी कंपनियों के कार्यक्रम हो सकेंगे।
- शहर की पहचान एक इंटरनेशनल बिजनेस हब के तौर पर बनेगा।
क्यों जरूरी है जमीन आरक्षित करना सांसद लालवानी ने स्पष्ट किया की आज जब शहर की प्लानिंग हो रही है, उसी वक्त भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर दूतावासों के लिए जमीन आरक्षित कर ली जाए। इससे आगे चलकर निर्माण कार्यों या अनुमति में कोई रुकावट नहीं आएगी। दूतावास केंद्र आमतौर पर उसी देश की सरकार बनवाती है, लेकिन जगह राज्य सरकार देती है। इसीलिए यह तय करना जरूरी है कि इंदौर में ऐसा कौन-सा क्षेत्र होगा जिसे ‘दूतावास जोन’ के रूप में विकसित किया जाएगा।