इंदौर में एनएच की इंजीनियरिंग फेल, खतरे में जान | NH engineering fails in Indore, life in danger | Patrika News h3>
इंदौरPublished: Oct 29, 2022 08:56:47 pm
– जांच एजेंसियों की पड़ताल में खुलासा
– नतीजा-सर्विस रोड पर दिन में कई बार लग रहा जाम, जिंदगी से हाथ धो रहे लोग
NH engineering fails in Indore, life in danger
इंदौर. दावा था चमचमाती सड़कों के साथ सरपट वाहनों को दौड़ाने का, लेकिन निगरानी और रखरखाव में गफलत का खामियाजा सड़क पर चलने वालों को भुगतना पड़ रहा है। सड़क इंजीनियरिंग की खामियोें से आए दिन छोटे-बड़े हादसों का लोग शिकार हो रहे हैं। सर्विस रोड पर दिन में कई बार जाम लग रहा है। इतना ही नहीं, निर्माण को लेकर गफलत वाली कई दास्तान हैं।
जांच एजेंसियों की पड़ताल में इन गंभीर खामियों का खुलासा हुआ है। अयोग्य और अनुभवहीन निर्माण एजेंसियों को न केवल ठेका दिया गया, बल्कि वे निर्धारित आर्थिक क्षमता भी नहीं रखती थीं। हैरानी की बात है कि एजेंसियों की कार्य क्षमता का आकलन किए बिना ही कार्य सौंपा गया। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कार्य पूर्ण करवाने में भी नाकाम रहा। कई काम अब भी अधूरे हैं।
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रखरखाव में खामियां
संचालन अवधि के दौरान रखरखाव और निगरानी में गंभीर लापरवाही बरती गई। यही वजह है कि खामियों में सुधार करवाने में सड़क कंपनी नाकाम रही। लोगों को घटिया गुणवत्ता वाली सड़क पर चलने के लिए बाध्य होना पड़ता है। सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी में कंपनी ने हाथ खींचे। यही वजह है कि सड़क पर गड्ढे और दरारें काफी संख्या में देखी गईं। इसी तरह शोल्डर्स से मलबा नहीं हटाना, सड़कों पर पौधरोपण और रेस्ट एरिया को सुरक्षित नहीं रख सके। शोल्डर्स, साइड ढलान, नालियों और पुलियाओं का आवश्यकतानुसार रखरखाव नहीं किया गया। क्रैश बैरियर क्षति देखी गई। रोड साइड फर्नीचर की रेट्रो-रिफ्लेक्टिविटी भी क्षतिग्रस्त है।
इन तकनीकी खामियों से रोज दो-चार
– सड़क के भौतिक सत्यापन में सड़क की गुणवत्ता और रखरखाव में मानकों की अनदेखी सामने आई।
– कंपनी ने राज्य सरकार के स्तर पर निगरानी के लिए तंत्र विकसित नहीं किया। इससे प्रभावी निगरानी नहीं हो पाई और कई खामियां सामने आईं।
– सड़क में कैरिज-वे की कुल लंबाई, पुलों का निर्माण, चौड़ीकरण, बिटुमिन कांक्रीट का कार्य आदि पूर्ण किए बिना ही परियोजना के लिए अनंतिम प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया
– कंपनी ने परियोजना लक्ष्य में विलंब के लिए भी उनसे क्षतिपूर्ति की भी वसूली नहीं की।
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टोल पर मेहरबानी
इंदौर-देवास सड़क परियोजना में पिछले दिनों बड़ी गफलत सामने आई। नेशनल हाइवे (एनएच) अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने टोल कंपनी पर मेहरबानी दिखाते हुए 16.49 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान कर दिया। जांच में गड़बड़ी पकड़ी जाने के बाद अतिरिक्त भुगतान की राशि लौटाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन एनएचएआइ इसे वसूल करने में नाकाम रहा। दूसरी ओर, बोर्ड के अनुमोदन के खिलाफ समय अवधि में छूट देकर अनियमितता की गई। जांच में यह भी पाया गया कि 2020-21 में टोल संग्रह की राशि 47.08 करोड़ से 85.03 करोड़ रुपए की भारी वृद्धि दिखाई जो 2019-20 की तुलना में 80.03 फीसदी अधिक है। रियायत समझौते के प्रावधान के अनुसार टोल वालों ने मरम्मत की राशि 3.95 करोड़ सालाना से बढ़ाकर 20.74 करोड़ कर दी। टोल राजस्व में यह वृद्धि जांच एजेंसियाें ने संदिग्ध पाई। उनका मानना है कि प्रोजेक्ट के संचालन और मरम्मत में मेल दिखाने के लिए राजस्व में यह वृद्धि दिखाई गई होगी, ताकि योजना का अनुचित लाभ उठा सकें। यह वृद्धि नियम विरुद्ध होने के बावजूद एनएचएआइ ने इसकी समीक्षा तक नहीं की।
सम्बधित खबरे
इंदौरPublished: Oct 29, 2022 08:56:47 pm
– जांच एजेंसियों की पड़ताल में खुलासा
– नतीजा-सर्विस रोड पर दिन में कई बार लग रहा जाम, जिंदगी से हाथ धो रहे लोग
NH engineering fails in Indore, life in danger
इंदौर. दावा था चमचमाती सड़कों के साथ सरपट वाहनों को दौड़ाने का, लेकिन निगरानी और रखरखाव में गफलत का खामियाजा सड़क पर चलने वालों को भुगतना पड़ रहा है। सड़क इंजीनियरिंग की खामियोें से आए दिन छोटे-बड़े हादसों का लोग शिकार हो रहे हैं। सर्विस रोड पर दिन में कई बार जाम लग रहा है। इतना ही नहीं, निर्माण को लेकर गफलत वाली कई दास्तान हैं।
जांच एजेंसियों की पड़ताल में इन गंभीर खामियों का खुलासा हुआ है। अयोग्य और अनुभवहीन निर्माण एजेंसियों को न केवल ठेका दिया गया, बल्कि वे निर्धारित आर्थिक क्षमता भी नहीं रखती थीं। हैरानी की बात है कि एजेंसियों की कार्य क्षमता का आकलन किए बिना ही कार्य सौंपा गया। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कार्य पूर्ण करवाने में भी नाकाम रहा। कई काम अब भी अधूरे हैं।
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रखरखाव में खामियां
संचालन अवधि के दौरान रखरखाव और निगरानी में गंभीर लापरवाही बरती गई। यही वजह है कि खामियों में सुधार करवाने में सड़क कंपनी नाकाम रही। लोगों को घटिया गुणवत्ता वाली सड़क पर चलने के लिए बाध्य होना पड़ता है। सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी में कंपनी ने हाथ खींचे। यही वजह है कि सड़क पर गड्ढे और दरारें काफी संख्या में देखी गईं। इसी तरह शोल्डर्स से मलबा नहीं हटाना, सड़कों पर पौधरोपण और रेस्ट एरिया को सुरक्षित नहीं रख सके। शोल्डर्स, साइड ढलान, नालियों और पुलियाओं का आवश्यकतानुसार रखरखाव नहीं किया गया। क्रैश बैरियर क्षति देखी गई। रोड साइड फर्नीचर की रेट्रो-रिफ्लेक्टिविटी भी क्षतिग्रस्त है।
इन तकनीकी खामियों से रोज दो-चार
– सड़क के भौतिक सत्यापन में सड़क की गुणवत्ता और रखरखाव में मानकों की अनदेखी सामने आई।
– कंपनी ने राज्य सरकार के स्तर पर निगरानी के लिए तंत्र विकसित नहीं किया। इससे प्रभावी निगरानी नहीं हो पाई और कई खामियां सामने आईं।
– सड़क में कैरिज-वे की कुल लंबाई, पुलों का निर्माण, चौड़ीकरण, बिटुमिन कांक्रीट का कार्य आदि पूर्ण किए बिना ही परियोजना के लिए अनंतिम प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया
– कंपनी ने परियोजना लक्ष्य में विलंब के लिए भी उनसे क्षतिपूर्ति की भी वसूली नहीं की।
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टोल पर मेहरबानी
इंदौर-देवास सड़क परियोजना में पिछले दिनों बड़ी गफलत सामने आई। नेशनल हाइवे (एनएच) अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने टोल कंपनी पर मेहरबानी दिखाते हुए 16.49 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान कर दिया। जांच में गड़बड़ी पकड़ी जाने के बाद अतिरिक्त भुगतान की राशि लौटाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन एनएचएआइ इसे वसूल करने में नाकाम रहा। दूसरी ओर, बोर्ड के अनुमोदन के खिलाफ समय अवधि में छूट देकर अनियमितता की गई। जांच में यह भी पाया गया कि 2020-21 में टोल संग्रह की राशि 47.08 करोड़ से 85.03 करोड़ रुपए की भारी वृद्धि दिखाई जो 2019-20 की तुलना में 80.03 फीसदी अधिक है। रियायत समझौते के प्रावधान के अनुसार टोल वालों ने मरम्मत की राशि 3.95 करोड़ सालाना से बढ़ाकर 20.74 करोड़ कर दी। टोल राजस्व में यह वृद्धि जांच एजेंसियाें ने संदिग्ध पाई। उनका मानना है कि प्रोजेक्ट के संचालन और मरम्मत में मेल दिखाने के लिए राजस्व में यह वृद्धि दिखाई गई होगी, ताकि योजना का अनुचित लाभ उठा सकें। यह वृद्धि नियम विरुद्ध होने के बावजूद एनएचएआइ ने इसकी समीक्षा तक नहीं की।
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