इंदौर के गोपाल मंदिर प्रबंधन ने पेमेंट में किया गड़बड़झाला: 1 हजार तक लेते हैं; शाही शादी के लिए 25 हजार रु. लिए, हल्ला मचा तो 75 हजार और लिए – Indore News

6
इंदौर के गोपाल मंदिर प्रबंधन ने पेमेंट में किया गड़बड़झाला:  1 हजार तक लेते हैं; शाही शादी के लिए 25 हजार रु. लिए, हल्ला मचा तो 75 हजार और लिए – Indore News
Advertising
Advertising

इंदौर के गोपाल मंदिर प्रबंधन ने पेमेंट में किया गड़बड़झाला: 1 हजार तक लेते हैं; शाही शादी के लिए 25 हजार रु. लिए, हल्ला मचा तो 75 हजार और लिए – Indore News

इंदौर के प्राचीन गोपाल मंदिर में शाही शादी की अनुमति देने के मामले में मंदिर के मैनेजर केएल कौशल को बर्खास्त कर दिया गया है। कमिश्नर दीपक सिंह ने इस मामले में डिप्टी कलेक्टर विनोद राठौर को भी प्रभारी पद से हटाकर जिला कलेक्ट्रेट में अटैच किया है। राठौ

Advertising

.

अब तक की जांच के दौरान सामने आया है कि मंदिर में 10-15 लोगों के मांगलिक कार्य- बच्चों के नामकरण, जनेऊ, शादी आदि के लिए एक हजार रुपए तक किराया लिया जाता है। लेकिन जिस शाही शादी को लेकर सारी कार्रवाई हुई है, उसके लिए 25 हजार रुपए लेकर अनुमति दी गई थी।

Advertising

शादी वाले दिन जब लोगों को जानकारी लगी और आपत्तियां आईं तो मंदिर मैनेजर ने तुरंत 75 हजार रुपए कैश जमा करा लिए। ये रुपए बैंक में जमा भी नहीं कराए गए थे। इसके अलावा पहले हुए आयोजनों की राशि भी समिति के बैंक खाते में जमा नहीं कराई गई है।

मांगलिक अनुमति के नाम पर नियमों का उल्लंघन किया बता दें कि 12 जनवरी को इंदौर में करीब 190 साल पुराने श्री गोपाल मंदिर में एक परिवार ने शादी समारोह आयोजित किया। इसमें मांगलिक अनुमति के नाम पर नियमों का उल्लंघन किया गया। शादी के लिए गर्भगृह के सामने हवन कुंड बनाया गया। मेहमानों को शाही बर्तनों में भोजन परोसा गया। इस दौरान मंदिर परिसर में गंदगी फैल गई।

मंदिर में फूलों से सजावट की गई। गलियारों में सोफे और कुर्सियां लगाई गईं। चौंकाने वाली बात यह रही कि भोजन की तैयारी मंदिर परिसर में ही हुई। फूड स्टॉल्स और टेंट लगाकर रास्ता बंद कर दिया गया। इससे यातायात भी प्रभावित हुआ।

Advertising

शाही शादी के लिए गर्भगृह के सामने हवन कुंड बनाया गया था। मंदिर को फूलों से सजाया गया था।

कारोबारी ने 25 हजार में किराए पर लिया था शहर के कारोबारी राजकुमार अग्रवाल ने बेटे की शादी के लिए केवल 25 हजार रुपए की रसीद कटवाकर गोपाल मंदिर को किराए पर लिया था। प्रबंधन को उसने बताया था कि शादी हो चुकी है। यहां केवल आशीर्वाद लेने और भोजन प्रसादी बांटने की योजना है।

इसके बाद दो दिन तक मंदिर में सजावट और मेहमानों के स्वागत की भव्य तैयारियां हुईं। मंदिर के अंदर और बाहर रेड कार्पेट बिछाए गए। स्टेज लगाया गया। डीजे की धुनों पर गीत बजते रहे। इस दौरान दर्शन के लिए आए भक्तों को भी रोका गया।

Advertising

29 जुलाई 2024 को दी थी शादी की अनुमति कलेक्टर आशीष सिंह ने 24 घंटे में मामले की जांच कराई। मंदिर मैनेजर केएल कौशल, डिप्टी कलेक्टर विनोद राठौर, पुजारी बालमुकुंद पाराशर और कारोबारी राजकुमार अग्रवाल के बयान लिए गए। इसके अलावा शादी से जुड़े दस्तावेज और साक्ष्य जुटाए गए।

मैनेजर कौशल के बयान से खुलासा हुआ कि इस शाही शादी के लिए 29 जुलाई 2024 को ही अनुमति दे दी गई थी। इसके एवज में 25,551 रुपए जमा करवाकर रसीद दी गई थी। कौशल ने पहले यह बताया कि उन्होंने राजकुमार अग्रवाल से 6 जनवरी 2025 को दूसरी बार 75 हजार रुपए लिए थे। उनका कहना था कि उन्होंने इसके लिए डिप्टी कलेक्टर राठौर से मौखिक रूप से अनुमति ले ली गई थी।

कौशल ने यह भी बताया कि कार्यक्रम में करीब 200 लोग शामिल हुए थे। इसके लिए 10 जनवरी से ही मंदिर परिसर की साफ-सफाई शुरू हो गई थी। 11 जनवरी को शाही सजावट की गई। 12 जनवरी को शादी और रिसेप्शन हुआ। शाम 4 बजे तक पूरा कार्यक्रम निपट गया था। कौशल का कहना था कि इस दौरान भक्तों को कोई परेशानी नहीं हुई।

शादी में मेहमानों के लिए खास तौर पर महंगे सोफे मंगाए गए थे।

चेक लौटाकर मैनेजर ने 75 हजार रुपए नकद लिए जांच के दौरान कौशल ने बताया कि 75 हजार रुपए की राशि विवाह वाले दिन 12 जनवरी को जमा कराई गई थी। इसके लिए अग्रवाल ने चेक दिया था, जिसे लौटाकर हाथों-हाथ कैश राशि ली गई। उस राशि को बैंक में जमा नहीं कराया जा सका था।

मंदिर के पुजारी बालमुकुंद पाराशर ने बताया कि पूरे विधि विधान के साथ विवाह कराया गया। भगवान को 56 भोग लगाने के बाद मेहमानों का भोजन हुआ। पाराशर का कहना था कि शादी के दौरान भक्तों को कोई परेशानी नहीं हुई। कार्यक्रम 5 बजे खत्म हो गया था।

गोपाल मंदिर में बेटे की शादी कराने वाले राजकुमार अग्रवाल का कहना था कि उन्होंने कुल एक लाख 51 हजार रुपए जमा कराए थे।

शादी में आए मेहमानों को शाही अंदाज में भोजन परोसा गया था।

डिप्टी कलेक्टर बोले- शादी रोकने के लिए कहा था मामले में डिप्टी कलेक्टर विनोद राठौर ने बताया कि उन्हें शादी वाले दिन सुबह सूचना मिली तो उन्होंने मंदिर मैनेजर कौशल से मोबाइल पर बात की। वे मंदिर में नहीं थे। राठौर ने कहा-

मैंने राजकुमार अग्रवाल से बात कर कार्यक्रम पर आपत्ति ली थी। शादी को तत्काल रोकने को कहा। मैनेजर कौशल मंदिर पहुंचे, तब तक कार्यक्रम हो चुका था।

QuoteImage

इन शादियों की अनुमतियां भी जांच के घेरे में जांच में यह भी पता चला है कि गोपाल मंदिर में पहले भी इसी तरह विवाह के लिए अनुमतियां दी गई थीं। 25 अप्रैल 2024 को प्रद्युम्न परिवार को 1 हजार रुपए में शादी की परमिशन दी तो 29 जुलाई 2024 को विनय और मयंक नाम के व्यक्तियों को एक हजार रुपए और 500 रुपए में अनुमति दी गई थी।

शाही शादी के लिए मंदिर के गर्भ गृह के सामने भव्य सजावट की गई थी।

इन शर्तों और नियमों की उड़ाईं धज्जियां

  • मंदिर परिसर को मैरिज हॉल की तरह भव्य रूप से सजाकर उपयोग किया गया।
  • भोजन प्रसादी के नाम पर शाही खाना परोसा गया। मेहमानों को टेबलों पर महंगे बर्तनों में भोजन कराया गया।
  • शादी के कारण मंदिर में आने वाले भक्तों को आवाजाही और पार्किंग में परेशानी हुई।
  • आयोजन के बाद मंदिर में फैली गंदगी पर ध्यान नहीं दिया। सफाई नहीं कराई गई।

आर्थिक घोटाले की अलग से जांच की सिफारिश प्राथमिक जांच में साबित हुआ है कि अग्रवाल फैमिली का कार्यक्रम मंदिर की गरिमा के अनुसार नहीं होकर निजी और भव्य शादी समारोह था। इसके लिए डिप्टी कलेक्टर विनोद राठौर ने सिर्फ मौखिक अनुमति दी थी। इसे तुरंत रोका जा सकता था लेकिन नहीं रोका गया।

खास बात यह है कि मंदिर के लेजर बुक, कैश बुक और रसीद कट्‌टे की भी जांच की गई थी। इसमें पता चला कि कई रसीदों की राशि अब तक बैंक में जमा नहीं कराई गई है। इसकी अलग से जांच कराने की सिफारिश की गई है।

विवाह समारोह के बाद न तो अग्रवाल परिवार ने सफाई कराई और न ही मंदिर प्रबंधन ने।

अग्रवाल बोले- संस्कृति को बचाना उद्देश्य मामले में ‘दैनिक भास्कर’ ने कारोबारी राजकुमार अग्रवाल से भी बात की। उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य पैसे बचाना नहीं था। मंदिर में शादी करने का मकसद अपनी संस्कृति को बचाना है। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चों को धार्मिक संस्कार मिलें।

मैंने इसके लिए मंदिर प्रबंधन के माध्यम से पहले 25 हजार और फिर 75 हजार रुपए जमा कर रसीद ली थी। यह पेमेंट कमिश्नर ऑफिस के जरिए किया। शादी में बमुश्किल सौ लोग शामिल हुए थे। मंदिर में पहले भी अन्य लोग शादी करवा चुके हैं।

वहीं, कमिश्नर दीपक सिंह ने कहा-

QuoteImage

गोपाल मंदिर की व्यवस्था और संचालन के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति मंदिर संचालन से जुड़े बिंदुओं पर नई गाइडलाइन तैयार करेगी।

QuoteImage

मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…

शादी के लिए मंदिर किराए पर दिया, मैनेजर बर्खास्त

इंदौर में करीब 190 साल पुराने श्री गोपाल मंदिर में रविवार को एक परिवार ने शादी समारोह आयोजित किया। इसमें मांगलिक अनुमति के नाम पर नियमों का उल्लंघन किया गया। शादी के लिए गर्भगृह के सामने हवन कुंड बनाया गया और मेहमानों को शाही बर्तनों में भोजन परोसा गया। इस दौरान मंदिर परिसर में गंदगी फैल गई। पढ़ें पूरी खबर…

मध्यप्रदेश की और खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News

Advertising