आस्था की अनोखी कहानी: ट्रेन में आत्माओं के नाम से होती है टिकट बुकिंग, खुद से ज्यादा पितृदंड का रखते हैं ख्याल h3>
गया का नाम गयाजी होते ही लोगों के मन में यहां का महत्व और धार्मिक आस्था समाहित होने लगता है। साथ ही पितृदंड की अनोखी कहानी की भी चर्चा शुरू हो जाती है। पितृपक्ष मेला के दौरान मृत आत्माओं के नाम से ट्रेन में टिकट बुक की जाती है। बिहार के गया जी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान एक अनोखी आस्था भी देखने को मिलती है। गयाजी में पिंडदान की एक अनोखी परंपरा भी है। यहां विभिन्न राज्यों से आए पिंडदानी अपने पितरों के आत्माओं का ट्रेन में रिजर्वेशन करा कर गया जी आते हैं। पिंडदानी पितृदंड में को ट्रेन के बोगी में उनके आत्माओं को सुलकर गयाजी आते हैं। कहा जाता है कि ट्रेन में सीट बुक होने के बाद अगर उस सीट पर कोई नहीं है तो ट्रेन में मौजूद टीटीई दूसरे को सीट दे देते हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता। क्योंकि टीटीई भी आस्था को देखते हुए कुछ भी नहीं कर पाते हैं और पितृदंड उस सीट पर लेटे रहते हैं।
Trending Videos
Advertising
Advertising
बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Bihar News
Advertising
गया का नाम गयाजी होते ही लोगों के मन में यहां का महत्व और धार्मिक आस्था समाहित होने लगता है। साथ ही पितृदंड की अनोखी कहानी की भी चर्चा शुरू हो जाती है। पितृपक्ष मेला के दौरान मृत आत्माओं के नाम से ट्रेन में टिकट बुक की जाती है। बिहार के गया जी में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला के दौरान एक अनोखी आस्था भी देखने को मिलती है। गयाजी में पिंडदान की एक अनोखी परंपरा भी है। यहां विभिन्न राज्यों से आए पिंडदानी अपने पितरों के आत्माओं का ट्रेन में रिजर्वेशन करा कर गया जी आते हैं। पिंडदानी पितृदंड में को ट्रेन के बोगी में उनके आत्माओं को सुलकर गयाजी आते हैं। कहा जाता है कि ट्रेन में सीट बुक होने के बाद अगर उस सीट पर कोई नहीं है तो ट्रेन में मौजूद टीटीई दूसरे को सीट दे देते हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता। क्योंकि टीटीई भी आस्था को देखते हुए कुछ भी नहीं कर पाते हैं और पितृदंड उस सीट पर लेटे रहते हैं।