आयुष्मान योजना का लाभ उठाने में दक्षिणी राज्य हैं कई गुना आगे, आरटीआइ से खुलासा | Opposition and Southern states are ahead in availing Ayushman scheme | News 4 Social
केंद्र और राज्य दोनों करते हैं फाइनेंस
गौरतलब है कि आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध सरकारी अस्पतालों की हिस्सेदारी 58% है, जबकि इस योजना को केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से 60:40 (उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों के मामले में 90:10) के अनुपात में फाइनेंस किया जाता है। चरमराती सरकारी चिकित्सा सेवाओं के चलते भारत में अधिकांश संख्या में लोग प्राइवेट अस्पतालों में ही भर्ती होते हैं। आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों के 60% और ग्रामीण क्षेत्रों के 52% लोग प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होते हैं। जबकि सरकार का अपना डेटा बताता है कि निजी अस्पतालों में औसत चिकित्सा खर्च सरकारी अस्पतालों की तुलना में 6-8 गुना है। ऐसे में आंकड़े बताते हैं कि आयुष्मान भारत योजना ने लोगों की स्वास्थ्य देखभाल खर्च को काफी कम कर दिया है।
जारी हो चुके हैं 32.40 करोड़ आयुष्मान कार्ड अब तक 32.40 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत कार्ड जारी किये जा चुके हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 और 2023 के बीच 5.47 करोड़ मरीजों ने इस योजना के तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज कराया। जहां पहले तीन वर्षों में औसतन लगभग 49 लाख मरीजों ने योजना का लाभ उठाया, वहीं बाद के करीब ढाई वर्षों में इसमें वृद्धि देखी गई और सालाना औसतन 1.33 करोड़ मरीज इस योजना के तहत इलाज करा रहे हैं।
योजना में शामिल 60 फीसदी अस्पताल सरकारी
योजना में शामिल 10 अस्पतालों में से छह सरकारी हैं। देशभर में कुल 27000 अस्पताल योजना में पंजीकृत हैं। लेकिन जब अस्पताल में भर्ती होने की बात आई, तो 100 में से 54 मरीजों ने इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख किया। इस तरह पिछले पांच वर्षों में योजना का लाभ उठाने वाले कुल 5.47 करोड़ लोगों में से 2.95 करोड़ लोगों ने निजी अस्पतालों में योजना का लाभ उठाया। देश के कुल 15 राज्यों में निजी अस्पतालों में इलाज चाहने वाले लोगों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 54% से अधिक रहा। आठ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में तो योजना के तहत इलाज कराने वालों में से 70% ने तो निजी अस्पतालों का रुख किया।
कोविड के बाद सरकार अस्पतालों पर बढ़ा भरोसा पिछले दो वर्षों में योजना के तहत इलाज कराने वाले मरीजों का रुझान सरकारी सुविधाओं की ओर बढ़ा है।2022-23 में 64.96 लाख रोगियों ने निजी अस्पतालों को चुना, जबकि 70.69 लाख ने सरकारी अस्पतालों को चुना। अगले वर्ष, 2023-24 में 57.56 लाख रोगियों ने निजी सुविधाओं को प्राथमिकता दी, जबकि 70.89 लाख ने सरकारी चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठाया। हालांकि खर्च के मामले में निजी अस्पताल ही आगे रहे।
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केंद्र और राज्य दोनों करते हैं फाइनेंस
गौरतलब है कि आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध सरकारी अस्पतालों की हिस्सेदारी 58% है, जबकि इस योजना को केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से 60:40 (उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों के मामले में 90:10) के अनुपात में फाइनेंस किया जाता है। चरमराती सरकारी चिकित्सा सेवाओं के चलते भारत में अधिकांश संख्या में लोग प्राइवेट अस्पतालों में ही भर्ती होते हैं। आंकड़ों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों के 60% और ग्रामीण क्षेत्रों के 52% लोग प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होते हैं। जबकि सरकार का अपना डेटा बताता है कि निजी अस्पतालों में औसत चिकित्सा खर्च सरकारी अस्पतालों की तुलना में 6-8 गुना है। ऐसे में आंकड़े बताते हैं कि आयुष्मान भारत योजना ने लोगों की स्वास्थ्य देखभाल खर्च को काफी कम कर दिया है।
जारी हो चुके हैं 32.40 करोड़ आयुष्मान कार्ड अब तक 32.40 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत कार्ड जारी किये जा चुके हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 और 2023 के बीच 5.47 करोड़ मरीजों ने इस योजना के तहत सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज कराया। जहां पहले तीन वर्षों में औसतन लगभग 49 लाख मरीजों ने योजना का लाभ उठाया, वहीं बाद के करीब ढाई वर्षों में इसमें वृद्धि देखी गई और सालाना औसतन 1.33 करोड़ मरीज इस योजना के तहत इलाज करा रहे हैं।
योजना में शामिल 60 फीसदी अस्पताल सरकारी
योजना में शामिल 10 अस्पतालों में से छह सरकारी हैं। देशभर में कुल 27000 अस्पताल योजना में पंजीकृत हैं। लेकिन जब अस्पताल में भर्ती होने की बात आई, तो 100 में से 54 मरीजों ने इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख किया। इस तरह पिछले पांच वर्षों में योजना का लाभ उठाने वाले कुल 5.47 करोड़ लोगों में से 2.95 करोड़ लोगों ने निजी अस्पतालों में योजना का लाभ उठाया। देश के कुल 15 राज्यों में निजी अस्पतालों में इलाज चाहने वाले लोगों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 54% से अधिक रहा। आठ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में तो योजना के तहत इलाज कराने वालों में से 70% ने तो निजी अस्पतालों का रुख किया।
कोविड के बाद सरकार अस्पतालों पर बढ़ा भरोसा पिछले दो वर्षों में योजना के तहत इलाज कराने वाले मरीजों का रुझान सरकारी सुविधाओं की ओर बढ़ा है।2022-23 में 64.96 लाख रोगियों ने निजी अस्पतालों को चुना, जबकि 70.69 लाख ने सरकारी अस्पतालों को चुना। अगले वर्ष, 2023-24 में 57.56 लाख रोगियों ने निजी सुविधाओं को प्राथमिकता दी, जबकि 70.89 लाख ने सरकारी चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठाया। हालांकि खर्च के मामले में निजी अस्पताल ही आगे रहे।