आयुर्वेद से फाइलरिया रोग का बेहतर इलाज संभव: प्रो. मोपेड h3>
बेगूसराय, निज प्रतिनिधि। राजकीय अयोध्या शिव कुमारी आयुर्वेद महाविद्यालय में चरक जयंती पर एक सिंपोजियम एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें प्राध्यापकों, चिकित्सा अधिकारियों एवं छात्र-छात्राएं शामिल हुए। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी, लंदन की प्रोफेसर एमेरिटस क्रिस्टीना मोफेड ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फाइलेरिया रोगों पर सबसे कम ध्यान दिया गया है। इसलिए फाईलेरिया जन्य हाथीपांव साइलेंट रूप से पूरे विश्व में महामारी का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि लिंफोइडिमा फाइलेरियोसिस के कारण पांव में सूजन हो जाता है। फाइलेरिया के इलाज में केवल एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से ही इलाज संभव नहीं है। हमें अन्य पद्धतियों का भी सहारा लेना होगा, जिसमें आयुर्वेद भी मुख्य हो सकता है। प्रो. मोफेड ने कहा कि यह कभी-कभी कैंसर के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इससे यह बीमारी मोटे लोगों, मधुमेह रोगियों, हार्ट फेल्योर के रोगियों में तथा कैंसर के रोगियों में जिनका कैंसर अन्यत्र फैल गया है, ज्यादातर पाया जा रहा है। यह बीमारी अधिकतर गरीबों और वंचितों में मुख्य रूप से फैल रहा है। प्रो. मोफेड ने कहा कि इससे बचाव के लिए सिर्फ मच्छरदानी ही नहीं अन्य उपाय भी अपनाना पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि केरल के इंस्टीट्यूट आफ अप्लाइड डर्मेटोलॉजी द्वारा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के द्वारा यहां पर एक चिकित्सा केंद्र खोला गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा व गरीबों के बीच तेजी से फैल रहा है फाइलेरिया रोग शालाक्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मुन्ना कुमार ने कहा कि लिंफेटिक सिस्टम के रोग अधिकतर सामान्य लोगों में मिलते हैं। लेकिन इनकी जांच एवं चिकित्सा पर कम ध्यान दिया जाता है। फाइलेरियेसिस लसीका ग्रंथि की एक विशेष व्याधि है जो एक विशेष जीवाणु द्वारा होता है। ऐसे रोगी चाहे वे अमीर हो या गरीब समाज एवं परिवार में बहिष्कृत हो जाते हैं। एनाटॉमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. लाल कौशल कुमार ने फलेरिया रोगों से बचाव के उपाय बताए। प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास त्रिपाठी ने प्रो. क्रिस्टीना मोफेड का स्वागत किया। इन चिकित्सकों ने महर्षि चरक के तैलचित्र पर किया माल्यार्पण इसके आयोजन में आवासीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिलीप कुमार वर्मा, प्रसिद्ध फिजिशियन डॉ. रामनंदन सहनी, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह, डॉ. राम सागर दास, डॉ. नंद कुमार सहनी, डॉ. शंभू कुमार, डॉ. इंदु कुमारी समेत अन्य प्राध्यापकों एवं छात्रों ने महर्षि चरक के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया। साथ ही कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया।
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बेगूसराय, निज प्रतिनिधि। राजकीय अयोध्या शिव कुमारी आयुर्वेद महाविद्यालय में चरक जयंती पर एक सिंपोजियम एवं कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें प्राध्यापकों, चिकित्सा अधिकारियों एवं छात्र-छात्राएं शामिल हुए। नॉटिंघम यूनिवर्सिटी, लंदन की प्रोफेसर एमेरिटस क्रिस्टीना मोफेड ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फाइलेरिया रोगों पर सबसे कम ध्यान दिया गया है। इसलिए फाईलेरिया जन्य हाथीपांव साइलेंट रूप से पूरे विश्व में महामारी का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि लिंफोइडिमा फाइलेरियोसिस के कारण पांव में सूजन हो जाता है। फाइलेरिया के इलाज में केवल एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से ही इलाज संभव नहीं है। हमें अन्य पद्धतियों का भी सहारा लेना होगा, जिसमें आयुर्वेद भी मुख्य हो सकता है। प्रो. मोफेड ने कहा कि यह कभी-कभी कैंसर के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इससे यह बीमारी मोटे लोगों, मधुमेह रोगियों, हार्ट फेल्योर के रोगियों में तथा कैंसर के रोगियों में जिनका कैंसर अन्यत्र फैल गया है, ज्यादातर पाया जा रहा है। यह बीमारी अधिकतर गरीबों और वंचितों में मुख्य रूप से फैल रहा है। प्रो. मोफेड ने कहा कि इससे बचाव के लिए सिर्फ मच्छरदानी ही नहीं अन्य उपाय भी अपनाना पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर की कि केरल के इंस्टीट्यूट आफ अप्लाइड डर्मेटोलॉजी द्वारा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के द्वारा यहां पर एक चिकित्सा केंद्र खोला गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षा व गरीबों के बीच तेजी से फैल रहा है फाइलेरिया रोग शालाक्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मुन्ना कुमार ने कहा कि लिंफेटिक सिस्टम के रोग अधिकतर सामान्य लोगों में मिलते हैं। लेकिन इनकी जांच एवं चिकित्सा पर कम ध्यान दिया जाता है। फाइलेरियेसिस लसीका ग्रंथि की एक विशेष व्याधि है जो एक विशेष जीवाणु द्वारा होता है। ऐसे रोगी चाहे वे अमीर हो या गरीब समाज एवं परिवार में बहिष्कृत हो जाते हैं। एनाटॉमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. लाल कौशल कुमार ने फलेरिया रोगों से बचाव के उपाय बताए। प्राचार्य डॉ. श्रीनिवास त्रिपाठी ने प्रो. क्रिस्टीना मोफेड का स्वागत किया। इन चिकित्सकों ने महर्षि चरक के तैलचित्र पर किया माल्यार्पण इसके आयोजन में आवासीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिलीप कुमार वर्मा, प्रसिद्ध फिजिशियन डॉ. रामनंदन सहनी, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. अनिल कुमार, डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह, डॉ. राम सागर दास, डॉ. नंद कुमार सहनी, डॉ. शंभू कुमार, डॉ. इंदु कुमारी समेत अन्य प्राध्यापकों एवं छात्रों ने महर्षि चरक के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया। साथ ही कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया।