आपकी बात…विलासितापूर्ण जीवन शैली के क्या दुष्प्रभाव हो रहे हैं ? | What are the side effects of luxurious lifestyle? | News 4 Social

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आपकी बात…विलासितापूर्ण जीवन शैली के क्या दुष्प्रभाव हो रहे हैं ? | What are the side effects of luxurious lifestyle? | News 4 Social

आपकी बात…विलासितापूर्ण जीवन शैली के क्या दुष्प्रभाव हो रहे हैं ? | What are the side effects of luxurious lifestyle? | News 4 Social

आर्थिक और मानसिक नुकसान
इसने मनुष्य को शारीरिक, मानसिक, और आर्थिक रूप से पंगु बना दिया है। व्यक्ति खुद का मूल्यांकन ना कर के दूसरे व्यक्ति से प्रतिस्पर्धा करने लग जाता है। चाहे उसे कर्ज भी क्यूँ ना लेना पड़े। जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तुओं के होते हुए भी विलासिता पूर्ण जीवन शैली पर पैसे की बर्बादी से व्यक्ति को आर्थिक और शारीरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है।
शिवकांत शर्मा, भरतपुर
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आपसी संबंधों में बढती दूरी
इससे सामाजिक असमानता और आपसी संबंधों में दूरी बढती है। मानसिक तनाव, सहनशीलता की कमी होती है। संवेदनशीलता में कमी व मानवीय मूल्यों से दूरी बनती है। यह व्यक्ति की आत्मसमर्पण को कम कर सकता है और उसके जीवन को निरर्थक बना सकता है।
—मृत्युंजय आशीष, बारां
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प्रकृति के अनुसार जीना ही सही है
प्रकृति के खिलाफ मानव जीवन एक तरह से अभिशाप है। जब व्यक्ति सुख वैभव भोगता है तो उससे बाद में शारीरिक परिश्रम नहीं हो पाता । कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। बाद में जिंदगी का अधिकांश हिस्सा डॉक्टरों के चक्कर लगाते हुए ही बीतता है।
बुढ़ापे की बीमारियां यौवनावस्था अवस्था में ही जाती हैं। सादा जीवन स्वास्थ्य और दीर्घायु होने के लिए बहुत जरूरी है।
अमृतलाल मारू ‘रवि’ इन्दौर मप्र
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श्रमसाध्य काम करने में परेशानी
विलासिता पूर्ण जीवन शैली से शरीर की इम्युनिटी घटती है। उसका शरीर रोगों का घर बन जाता है। आज के दौर में हमारा शरीर सुख सुविधाओं का इतना अभ्यस्त हो चुका है कि जरा सा श्रम साध्य कार्य करने पर ही थकावट का अनुभव होने लगता है।
— ललित महालकरी, इंदौर
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देश की परंपरागत संस्कृति हो रही धूमिल
भोगवादी जीवनशैली भारत की परंपरागत संस्कृति एवं सभ्यता को धूमिल कर रही है। इससे आपसी भाईचारा व अपनत्व समाप्त हो रहा है। सोशल मीडिया भी सहयोग कर रहा आपसी संबंधों में जहर घोलने का। जो लोग अभावों में जी रहे हैं, लोगों को उनका सहयोग करना चाहिए। लोगों में दिखावे की चाहत बढ रही है, दान भी दिखाकर करते हैं, जिससे उनमें अहंकार हो जाता है।
-बलवीर प्रजापति, हरढा़णी जोधपुर
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विलासिता से होता नैतिक पतन
जहां विलासिता होती है वहां दूर-दूर तक नैतिकता नहीं होती। श्रम व जिम्मेदारी का महत्व खत्म हो जाता है। विलासिता में भोग व ऐशो आराम का महत्व ही सर्वोपरि होता है। अहम सर्वोपरि हो जाता है। सर्व जन सुखाए सर्व जन हिताय महत्वहीन हो जाता है विलासिता पूर्ण जीवन में संतान तथा माता-पिता तथा समाज और व्यक्ति के संबंध खराब हो जाते हैं और लोगों का नैतिक पतन होने लग जाता है।
माधव सिंह, श्रीमाधोपुर
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मानसिक रूप से बीमार
विलासी व्यक्ति को स्वास्थ्य के साथ आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है। व्यक्ति दिखावे के प्रयास में मानसिक रूप से पंगु हो रहा है। क्रेडिट कार्ड पर ऋण लेकर विलासी वस्तुओं का उपभोग उसे ऋण के दलदल में धंसा रहा है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। समाज में आय से ज़्यादा ख़र्च की प्रवृत्ति को बढ़ावे का मुख्य कारण हैं विलासिता ।
— बलवंतसिंह, साँकड़ा, जैसलमेर
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बच्चों के भविष्य से खिलवाड
विलासितापूर्ण जीवन शैली से व्यक्ति स्वयं आलसी बन जाता है। इसका परिवार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बच्चे कामचोर व निठल्ले हो जाते हैं। उनकी सेहत भी खराब हो जाती है और उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है ।
अरविंदर सिंह, कोटपुतली
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तन, मन और धन का नुकसान
आरामदायक जीवन जीने व मेहनत नही करने से मोटापा,बीपी, डायबिटीज,थायराइड और हृदय रोग बढ़ रहे हैं। समाज में स्टेटस के चक्कर में मानसिक तनाव से अवसाद में आ रहे हैं । युवा चोरी, अपहरण, एटीएम को उखाड़ना और चैन स्नेचिंग जैसी वारदातों को भी अंजाम दे रहे हैं। तन, मन और धन सभी की हानि हो रही है ।

— निर्मला वशिष्ठ राजगढ़ अलवर

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