आपकी बात…विपक्ष के वरिष्ठ नेता भी चुनाव लडने से क्यों बच रहे हैं? | Why are senior opposition leaders also avoiding contesting elections? | News 4 Social h3>
———————————————————————— सत्ता में मौजूद दल की मजबूत स्थिति
सत्ता में मौजूद दल की मजबूती के चलते विपक्ष के नेताओं को हार की आशंका सता रही है। वे अपनी राजनैतिक साख बचाने और राजनीति का स्तंभ बना रहना चाहते हैं। इसके लिए अन्य राज्यों के प्रभारी, महासचिव व अन्य दायित्वों का हवाला दे रहे हैं। विपक्षी पार्टी को नेता व कार्यकताओं की आवश्यकता है। जिससे वे अपना मुंह मोड रहे हैं, जो कि उचित नहीं है।
गजेंद्र चौहान, कसौदा, जिला डीग
——————————————————————————– कमजोर गठबंधन व उचित रणनीति का अभाव
विपक्ष की कमजोर रणनीति, कमजोर गठबंधन और जनता की बेरुखी को नहीं भांप पाना, ये वजहें हैं कि विपक्ष की स्थितियां अच्छी नहीं हैं। इसकी वजह से वरिष्ठ नेता चुनाव नहीं लडना चाहते हैं। वर्तमान हालात, गुटबाजी व आंतरिक बिखराव भी चुनाव लडने से कतराने की अन्य वजहें हैं।
सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़ एमसीबी छत्तीसगढ़
—————————————————————————————— चुनाव जीतने का नहीं नैतिक बल
विपक्षी नेताओं में चुनाव जीतने का नैतिक बल नहीं बचा है। वे अपना राजनीतिक करियर खत्म नहीं करना चाहते। आजकल चुनाव जीतने के लिए ही दिखावटी ‘जनता सेवा’ की जाती है। बाकी पूरा कार्यकाल अपना घर भरने में लगे रहते हैं। किसी भी दल का राजनेता राष्ट्र या जनहित के लिए राजनीति में नहीं आता। राजनीति में आकर मोटी कमाई और स्वयं को शक्तिशाली बनाना एकमात्र उद्देश्य रह गया है। जनता भी यह सब समझने लगी है।
— ईश्वर जैन ‘कौस्तुभ‘,उदयपुर
——————————————————————— विपक्ष के संगठन में मजबूती नहीं
विपक्ष के संगठन में मजबूती नजर नही आ रही है। चुनावों में अकेले लडना भारी नजर दिख रहा है। चुनावी खर्च के लिए स्वयं पर ही अधिक निर्भर रहना पडेगा। दूसरे, करोडों रुपए खर्च करने के बाद भी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हैं।
— निर्मला वशिष्ठ, राजगढ़ अलवर
—————————————————— सत्ताधारी दल की अधिक लोकप्रियता
कहावत है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस – यानी जो राजनीतिक दल जितना मजबूत होता है, नेता उसी की टिकट लेने के इच्छुक रहते हैं। वर्तमान समय मे भाजपा की लोकप्रियता है। इस वजह से विपक्ष के वरिष्ठ नेता भी चुनाव लडने से बच रहे हैं।
—रचना मलिक (गोहाना) हरियाणा
विपक्ष के पास मुद्दों का अभाव
विपक्ष के वरिष्ठ नेता संभावित हार को देखते हुए चुनाव लड़ने से बचना चाह रहे हैं। बढती गुटबाज़ी से इन नेताओं को चुनाव में हार का डर सता रहा है। इन विपक्षी दलों के पास ऐसे कोई दमदार मुद्दे भी नहीं हैं जिनके आधार पर मजबूत सत्ता वाले दल भाजपा से टक्कर ली जा सके। जीत के प्रति आश्वस्त भाजपा से मुकाबला करने का इन नेताओं में दम नजर नहीं आ रहा।
-नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.
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———————————————————————— सत्ता में मौजूद दल की मजबूत स्थिति
सत्ता में मौजूद दल की मजबूती के चलते विपक्ष के नेताओं को हार की आशंका सता रही है। वे अपनी राजनैतिक साख बचाने और राजनीति का स्तंभ बना रहना चाहते हैं। इसके लिए अन्य राज्यों के प्रभारी, महासचिव व अन्य दायित्वों का हवाला दे रहे हैं। विपक्षी पार्टी को नेता व कार्यकताओं की आवश्यकता है। जिससे वे अपना मुंह मोड रहे हैं, जो कि उचित नहीं है।
गजेंद्र चौहान, कसौदा, जिला डीग
——————————————————————————– कमजोर गठबंधन व उचित रणनीति का अभाव
विपक्ष की कमजोर रणनीति, कमजोर गठबंधन और जनता की बेरुखी को नहीं भांप पाना, ये वजहें हैं कि विपक्ष की स्थितियां अच्छी नहीं हैं। इसकी वजह से वरिष्ठ नेता चुनाव नहीं लडना चाहते हैं। वर्तमान हालात, गुटबाजी व आंतरिक बिखराव भी चुनाव लडने से कतराने की अन्य वजहें हैं।
सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़ एमसीबी छत्तीसगढ़
—————————————————————————————— चुनाव जीतने का नहीं नैतिक बल
विपक्षी नेताओं में चुनाव जीतने का नैतिक बल नहीं बचा है। वे अपना राजनीतिक करियर खत्म नहीं करना चाहते। आजकल चुनाव जीतने के लिए ही दिखावटी ‘जनता सेवा’ की जाती है। बाकी पूरा कार्यकाल अपना घर भरने में लगे रहते हैं। किसी भी दल का राजनेता राष्ट्र या जनहित के लिए राजनीति में नहीं आता। राजनीति में आकर मोटी कमाई और स्वयं को शक्तिशाली बनाना एकमात्र उद्देश्य रह गया है। जनता भी यह सब समझने लगी है।
— ईश्वर जैन ‘कौस्तुभ‘,उदयपुर
——————————————————————— विपक्ष के संगठन में मजबूती नहीं
विपक्ष के संगठन में मजबूती नजर नही आ रही है। चुनावों में अकेले लडना भारी नजर दिख रहा है। चुनावी खर्च के लिए स्वयं पर ही अधिक निर्भर रहना पडेगा। दूसरे, करोडों रुपए खर्च करने के बाद भी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हैं।
— निर्मला वशिष्ठ, राजगढ़ अलवर
—————————————————— सत्ताधारी दल की अधिक लोकप्रियता
कहावत है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस – यानी जो राजनीतिक दल जितना मजबूत होता है, नेता उसी की टिकट लेने के इच्छुक रहते हैं। वर्तमान समय मे भाजपा की लोकप्रियता है। इस वजह से विपक्ष के वरिष्ठ नेता भी चुनाव लडने से बच रहे हैं।
—रचना मलिक (गोहाना) हरियाणा
विपक्ष के पास मुद्दों का अभाव
विपक्ष के वरिष्ठ नेता संभावित हार को देखते हुए चुनाव लड़ने से बचना चाह रहे हैं। बढती गुटबाज़ी से इन नेताओं को चुनाव में हार का डर सता रहा है। इन विपक्षी दलों के पास ऐसे कोई दमदार मुद्दे भी नहीं हैं जिनके आधार पर मजबूत सत्ता वाले दल भाजपा से टक्कर ली जा सके। जीत के प्रति आश्वस्त भाजपा से मुकाबला करने का इन नेताओं में दम नजर नहीं आ रहा।
-नरेश कानूनगो, देवास, म.प्र.