आपकी बात…युवा वर्ग में अवसाद की समस्या क्यों बढ रही है ? | Why is the problem of depression increasing among the youth? | News 4 Social h3>
अवसरों की कमी से युवाओं को मिल रहे कम आमदनी वाले रोजगार
परिवार चलने की जिम्मेदारी और युवाओं की कम आमदनी से युवा कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। अवसरों की कमी के चलते कई युवा सरकारी विभागों में संविदाकर्मी के रूप में कार्य कर रहे हैं। इससे अच्छा कमाने की उम्र निकल जाती है और युवा अवसाद में आ जाते हैं।
आनंद सिंह राजावत, पाली
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वित्तीय असुरक्षा का दबाव
आधुनिक जीवनशैली में तनाव, असमंजस, सामाजिक दबाव और सोशल मीडिया युवाओं को प्रभावित कर रहा है। करियर, पर्सनल रिलेशनशिप्स, और सामाजिक दबाव के बीच संतुलन की कमी भी उसे उदासीन करती है। वित्तीय असुरक्षा भी अवसाद का बडा कारण है। युवाओं को असफलताओं से नहीं घबराना चाहिए और लगातार परिश्रम करते रहना चाहिए।
संजय माकोड़े, बैतूल छत्तीसगढ
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समूह से दूर, एकांत जीवनशैली से अवसाद
युवा वर्ग बदलती जीवनशैली में एकांतप्रिय बन रहे हैं। बुजुर्गों के साथ और समूह में बैठने से कतराते हैं। उनमें भविष्य की चिंता, मोबाइल पर अधिक समय बिताना भी अवसाद के कारण हैं। नशे के सहारा लेने से अधिक अवसादग्रस्त हो जाता है।
—कमल किशोर, बरसनी
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युवाओं में बढते नशे से अवसाद
शिक्षा तथा रोजगार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा युवाओं को अवसादग्रस्त बना रहा है। इसके साथ ही ड्रग्स के कारोबार ने आग में घी का काम किया है। उच्च शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों में युवाओं को नशे में जकड रखा है। बढती बेरोजगारी से भी युवा परेशान है।
—हुकुम सिंह पंवार, टोड़ी इन्दौर
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सामाजिक दबाव के चलते बढ रहा अवसाद
युवाओं में बढते अवसाद का मुख्य कारण सामाजिक दबाव है। जो जितने बडे ओहदे पर हो या अधिक धन संपत्ति वाला हो, समाज उसे सिर आंखों पर बिठाता है। चाहे वह गलत व अवैध काम करके अमीर बना हो। इससे कम आय वाले व बेरोजगार युवा उपेक्षित हो जाते हैं। वे भी जल्द अमीर होना चाहते हैं। समाज मेें कई लोग युवाओं की तुलना अमीर लोगों से करते हैं। युवा जल्द ही अमीर बनने के सपने देखते हैं। लेकिन बन नहीं पाते। यहीं से वे धीरे—धीरे अवसाद में आ जाते हैं।
—रचना मलिक, (गोहाना) हरियाणा
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समाज और बुजुर्गों से ताल मेल का अभाव
युवा ऊर्जा से भरपूर होते हैं और हर काम को तीव्र गति से करके तुरंत परिणाम चाहते हैं। आशातीत सफलता नहीं मिलने से वे जल्द ही अवसाद से घिर जाते हैं। बुजुर्गों, माता-पिता तथा साथियों की अपनी अलग समस्याएं और अलग जिम्मेदारी होती है इसकी वजह से भी अपने काम में और अधिक लगे रहते हैं। अकेलापन युवाओं को और जल्दी कुंठित कर देता है। युवाओं की समस्या को पहचान कर काउंसलिंग की जाए तथा उनको मानसिक सहारा दिया जाए तो युवा वर्ग अधिक ऊर्जा वान व काम करने वाले बन सकते हैं।
डॉ माधव सिंह, श्रीमाधोपुर राजस्थान
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अवसरों की कमी से युवाओं को मिल रहे कम आमदनी वाले रोजगार
परिवार चलने की जिम्मेदारी और युवाओं की कम आमदनी से युवा कुंठाग्रस्त हो जाते हैं। अवसरों की कमी के चलते कई युवा सरकारी विभागों में संविदाकर्मी के रूप में कार्य कर रहे हैं। इससे अच्छा कमाने की उम्र निकल जाती है और युवा अवसाद में आ जाते हैं।
आनंद सिंह राजावत, पाली
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वित्तीय असुरक्षा का दबाव
आधुनिक जीवनशैली में तनाव, असमंजस, सामाजिक दबाव और सोशल मीडिया युवाओं को प्रभावित कर रहा है। करियर, पर्सनल रिलेशनशिप्स, और सामाजिक दबाव के बीच संतुलन की कमी भी उसे उदासीन करती है। वित्तीय असुरक्षा भी अवसाद का बडा कारण है। युवाओं को असफलताओं से नहीं घबराना चाहिए और लगातार परिश्रम करते रहना चाहिए।
संजय माकोड़े, बैतूल छत्तीसगढ
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समूह से दूर, एकांत जीवनशैली से अवसाद
युवा वर्ग बदलती जीवनशैली में एकांतप्रिय बन रहे हैं। बुजुर्गों के साथ और समूह में बैठने से कतराते हैं। उनमें भविष्य की चिंता, मोबाइल पर अधिक समय बिताना भी अवसाद के कारण हैं। नशे के सहारा लेने से अधिक अवसादग्रस्त हो जाता है।
—कमल किशोर, बरसनी
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युवाओं में बढते नशे से अवसाद
शिक्षा तथा रोजगार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा युवाओं को अवसादग्रस्त बना रहा है। इसके साथ ही ड्रग्स के कारोबार ने आग में घी का काम किया है। उच्च शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों में युवाओं को नशे में जकड रखा है। बढती बेरोजगारी से भी युवा परेशान है।
—हुकुम सिंह पंवार, टोड़ी इन्दौर
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सामाजिक दबाव के चलते बढ रहा अवसाद
युवाओं में बढते अवसाद का मुख्य कारण सामाजिक दबाव है। जो जितने बडे ओहदे पर हो या अधिक धन संपत्ति वाला हो, समाज उसे सिर आंखों पर बिठाता है। चाहे वह गलत व अवैध काम करके अमीर बना हो। इससे कम आय वाले व बेरोजगार युवा उपेक्षित हो जाते हैं। वे भी जल्द अमीर होना चाहते हैं। समाज मेें कई लोग युवाओं की तुलना अमीर लोगों से करते हैं। युवा जल्द ही अमीर बनने के सपने देखते हैं। लेकिन बन नहीं पाते। यहीं से वे धीरे—धीरे अवसाद में आ जाते हैं।
—रचना मलिक, (गोहाना) हरियाणा
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समाज और बुजुर्गों से ताल मेल का अभाव
युवा ऊर्जा से भरपूर होते हैं और हर काम को तीव्र गति से करके तुरंत परिणाम चाहते हैं। आशातीत सफलता नहीं मिलने से वे जल्द ही अवसाद से घिर जाते हैं। बुजुर्गों, माता-पिता तथा साथियों की अपनी अलग समस्याएं और अलग जिम्मेदारी होती है इसकी वजह से भी अपने काम में और अधिक लगे रहते हैं। अकेलापन युवाओं को और जल्दी कुंठित कर देता है। युवाओं की समस्या को पहचान कर काउंसलिंग की जाए तथा उनको मानसिक सहारा दिया जाए तो युवा वर्ग अधिक ऊर्जा वान व काम करने वाले बन सकते हैं।
डॉ माधव सिंह, श्रीमाधोपुर राजस्थान