आदिवासी छात्र की आत्महत्याः आक्रोशित छात्रों ने घेरा यूनिवर्सिटी गेट, 7 दिन का अल्टीमेटम | Angry students surrounded the university gate, 7 days ultimatum | News 4 Social h3>
सुबह से गेट का घेराव कर नारेबाजी मादेश जामरे की आत्महत्या से आक्रोशित छात्रों ने महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने सुबह 9 बजे से इक्कठे होने लगे थे। 10 बजे तक यहा छात्रों का हुजूम इक्कठा हो गया था। इसमें अभाविप और एनएसयूआई दोनों संगठनों के छात्र शामिल होकर नारेबाजी शुरू कर दिए और विश्वविद्यालय गेट का घेराव शुरू कर दिया। स्थिति को देखते हुए विवि प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी। इस दौरान लगभग तीन घंटे घेराव चला। फिर नायब तहसीलदार को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
यह दिया ज्ञापन राज्यपाल के नाम सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि मृतक मादेश जामरे (22) कृषि संकाय का छात्र था। किसी विवाद को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना कारण बताओ नोटिस जारी किए, बिना उसका पक्ष सुने मादेश सहित तीन छात्रों के ऊपर एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए विश्व विद्यालय से निष्काषित कर दिया। जबकि उसके मित्रों और परिजनों ने थाने में आवेदन देकर बताया है कि मादेश का विवाद से कोई संबंध नहीं था। इस पर भी भावेश ने कुलपति भरत मिश्रा, कुलानुशासक पवन सिरोठिया और अधिष्ठाता डीपी राय से अपनी सफाई दी। लेकिन ये तीनो लोग उसकी सुनने के बजाय उसे आतंकवादी कहते हुए अपशब्दों का प्रयोग कर हमेशा भगाते रहे। कहीं से न्याय नहीं मिलने पर निराश मादेश ने फांसी के फंदे पर झूल कर आत्महत्या कर ली। ज्ञापन में इन तीनों अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। चेताया गया है कि अगर 7 दिन में कार्यवाही नहीं होती है तो विवि गेट बंद कर वृहद आंदोलन किया जाएगा।
वाट्सएप ग्रुप में जारी किया प्रतिबंधात्मक आदेश उधर छात्रों के प्रदर्शन को लेकर अधिष्ठाता डॉ डीपी राय ने वाट्सएप ग्रुपों में एक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया। जिसमें कहा गया कि सभी विद्यार्थियों का विश्वविद्यालय कैम्पस या फैकल्टी में प्रवेश 1 अप्रैल को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है।
मौत के बाद गठित की गई कमेटी आदिवासी छात्र मादेश की आत्महत्या के बाद बिगड़े माहौल को देखते हुए अब विश्वविद्यालय प्रबंधन सक्रिय नजर आ रहा है। आनन फानन में सभी डीन को शामिल करते हुए छात्रों के निलंबन और निष्कासन को समाप्त करने के आवेदन पर निर्णय करने कमेटी गठित की गई है। सवाल यह है कि अगर यह कमेटी पहले गठित हो गई होती तो शायद यह घटना रोकी जा सकती थी।
” विश्वविद्यालय के छात्रों ने निलंबन और निष्कासन वापस करने की मांग की है। इस पर निर्णय लेने के लिए कुलपति ने अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो, शशिकांत त्रिपाठी को जिम्मेदारी सौंपी है। प्रो. त्रिपाठी ने सभी डीन की कमेटी गठित की है। जल्द ही इस मामले पर निर्णय लिया जाएगा.” – जय प्रकाश शुक्ला, जनसंपर्क अधिकारी ग्रामोदय विवि
सुबह से गेट का घेराव कर नारेबाजी मादेश जामरे की आत्महत्या से आक्रोशित छात्रों ने महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के सामने सुबह 9 बजे से इक्कठे होने लगे थे। 10 बजे तक यहा छात्रों का हुजूम इक्कठा हो गया था। इसमें अभाविप और एनएसयूआई दोनों संगठनों के छात्र शामिल होकर नारेबाजी शुरू कर दिए और विश्वविद्यालय गेट का घेराव शुरू कर दिया। स्थिति को देखते हुए विवि प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी। सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी। इस दौरान लगभग तीन घंटे घेराव चला। फिर नायब तहसीलदार को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
यह दिया ज्ञापन राज्यपाल के नाम सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि मृतक मादेश जामरे (22) कृषि संकाय का छात्र था। किसी विवाद को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बिना कारण बताओ नोटिस जारी किए, बिना उसका पक्ष सुने मादेश सहित तीन छात्रों के ऊपर एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए विश्व विद्यालय से निष्काषित कर दिया। जबकि उसके मित्रों और परिजनों ने थाने में आवेदन देकर बताया है कि मादेश का विवाद से कोई संबंध नहीं था। इस पर भी भावेश ने कुलपति भरत मिश्रा, कुलानुशासक पवन सिरोठिया और अधिष्ठाता डीपी राय से अपनी सफाई दी। लेकिन ये तीनो लोग उसकी सुनने के बजाय उसे आतंकवादी कहते हुए अपशब्दों का प्रयोग कर हमेशा भगाते रहे। कहीं से न्याय नहीं मिलने पर निराश मादेश ने फांसी के फंदे पर झूल कर आत्महत्या कर ली। ज्ञापन में इन तीनों अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। चेताया गया है कि अगर 7 दिन में कार्यवाही नहीं होती है तो विवि गेट बंद कर वृहद आंदोलन किया जाएगा।
वाट्सएप ग्रुप में जारी किया प्रतिबंधात्मक आदेश उधर छात्रों के प्रदर्शन को लेकर अधिष्ठाता डॉ डीपी राय ने वाट्सएप ग्रुपों में एक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया। जिसमें कहा गया कि सभी विद्यार्थियों का विश्वविद्यालय कैम्पस या फैकल्टी में प्रवेश 1 अप्रैल को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है।
मौत के बाद गठित की गई कमेटी आदिवासी छात्र मादेश की आत्महत्या के बाद बिगड़े माहौल को देखते हुए अब विश्वविद्यालय प्रबंधन सक्रिय नजर आ रहा है। आनन फानन में सभी डीन को शामिल करते हुए छात्रों के निलंबन और निष्कासन को समाप्त करने के आवेदन पर निर्णय करने कमेटी गठित की गई है। सवाल यह है कि अगर यह कमेटी पहले गठित हो गई होती तो शायद यह घटना रोकी जा सकती थी।
” विश्वविद्यालय के छात्रों ने निलंबन और निष्कासन वापस करने की मांग की है। इस पर निर्णय लेने के लिए कुलपति ने अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो, शशिकांत त्रिपाठी को जिम्मेदारी सौंपी है। प्रो. त्रिपाठी ने सभी डीन की कमेटी गठित की है। जल्द ही इस मामले पर निर्णय लिया जाएगा.” – जय प्रकाश शुक्ला, जनसंपर्क अधिकारी ग्रामोदय विवि