आतंक का बेताज बादशाह ददुआ गिरोह लोकसभा चुनाव से गायब, क्या हवा होता जा रहा मिनी चंबल के डाकू का रसूख? | Uncrowned king of terror Dadua gang disappears from Lok Sabha election | News 4 Social h3>
ददुआ ने 30 सालों तक चलाई बुंदेलखंड में सामानांतर सरकार
बुंदेलखंड में दस्यु सरगना-ददुआ ने 30 सालों तक समानांतर सरकार चलाई थी। बिना उसकी मर्जी से कोई भी पॉलिटिकल पार्टी अपने उम्मीदवार नहीं उतारते थे। साल 2007 में पुलिस मुठभेड़ में उसके मारे जाने के बाद उसका परिवार सक्रिय राजनीति में आया।
उसके छोटे भाई बालकुमार ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर सीट से जोर आजमाया और सांसद बने। बालकुमार का बेटा राम सिंह पटेल 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रतापगढ़ जिले की पट्टी सीट से विधायक हुए। वहीं, ददुआ के बेटे वीर सिंह चित्रकूट जिले की कर्वी सदर सीट से विधायक चुने गए। इसके पहले वीर सिंह पिता ददुआ की हनक की बदौलत साल 2000 में चित्रकूट जिला पंचायत के निर्विरोध अध्यक्ष भी चुने गए थे।
2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के सीट पर चुनाव लड़े थे बालकुमार पटेल
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट से बालकुमार पटेल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। लोकसभा के इस महासमर में बाल कुमार पटेल की जबरदस्त हार हुई। इस चुनाव में सपा के श्यामा चरण गुप्ता और भाजपा प्रत्याशी आरके सिंह पटेल के बीच रोचक मुकाबला हुआ था। इसमें बीजेपी के आरके सिंह पटेल ने बाजी मारी थी। दस्यु सरगना ददुआ के परिवार के बालकुमार पटेल को तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा था।
गठबंधन में सपा को मिली सीट, जेल में बंद हैं बालकुमार, राजनितिक विरासत पर ग्रहण
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में चित्रकूट-बांदा संसदीय सीट पर सपा कांग्रेस का गठबंधन है। इस स्थिति में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कैंडिडेट चुनाव लड़ेगा। कांग्रेस यहां से अपने कैंडिडेट को खड़ा नहीं करेगी। फिलहाल बालकुमार सपा में हैं और धोखाधड़ी के एक केस में जेल में बंद हैं। जेल में बंद रहते उनका चुनाव लड़ना मुश्किल नजर आ रहा है। सपा ने इस सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है।
ददुआ के बेटे ने खजुराहो से किस्मत आजमाई लेकिन किस्मत में मिली हार
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने ददुआ के बेटवीर सिंह को मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट से चुनाव लड़ाया था। लेकिन यहां से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस-सपा के गठबंधन के बाद इस बार भी मध्य प्रदेश क खजुराहो सीट सपा को मिली है। लेकिन, वीर सिंह को फिर से टिकट मिलने की संभावना नजर नहीं आती।
वीर सिंह का चुनाव लड़ना मुश्किल है। ददुआ का प्रभाव बुंदेलखंड सहित मध्य प्रदेश के एक दर्जन जिलों के कुर्मियों पर था। जातिगत समीकरण को देखते हुए ही वह कर्वी विधानसभा क्षेत्र से 2012 में विधायक चुन लिए गए थे। उसके बाद सपा ने उन्हें खजुराहो से चुनावी मैदान में उतारा था।
ददुआ ने 30 सालों तक चलाई बुंदेलखंड में सामानांतर सरकार
बुंदेलखंड में दस्यु सरगना-ददुआ ने 30 सालों तक समानांतर सरकार चलाई थी। बिना उसकी मर्जी से कोई भी पॉलिटिकल पार्टी अपने उम्मीदवार नहीं उतारते थे। साल 2007 में पुलिस मुठभेड़ में उसके मारे जाने के बाद उसका परिवार सक्रिय राजनीति में आया।
2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के सीट पर चुनाव लड़े थे बालकुमार पटेल
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट से बालकुमार पटेल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। लोकसभा के इस महासमर में बाल कुमार पटेल की जबरदस्त हार हुई। इस चुनाव में सपा के श्यामा चरण गुप्ता और भाजपा प्रत्याशी आरके सिंह पटेल के बीच रोचक मुकाबला हुआ था। इसमें बीजेपी के आरके सिंह पटेल ने बाजी मारी थी। दस्यु सरगना ददुआ के परिवार के बालकुमार पटेल को तीसरे नंबर से संतोष करना पड़ा था।
गठबंधन में सपा को मिली सीट, जेल में बंद हैं बालकुमार, राजनितिक विरासत पर ग्रहण
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में चित्रकूट-बांदा संसदीय सीट पर सपा कांग्रेस का गठबंधन है। इस स्थिति में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कैंडिडेट चुनाव लड़ेगा। कांग्रेस यहां से अपने कैंडिडेट को खड़ा नहीं करेगी। फिलहाल बालकुमार सपा में हैं और धोखाधड़ी के एक केस में जेल में बंद हैं। जेल में बंद रहते उनका चुनाव लड़ना मुश्किल नजर आ रहा है। सपा ने इस सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा भी कर दी है।
ददुआ के बेटे ने खजुराहो से किस्मत आजमाई लेकिन किस्मत में मिली हार
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने ददुआ के बेटवीर सिंह को मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट से चुनाव लड़ाया था। लेकिन यहां से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस-सपा के गठबंधन के बाद इस बार भी मध्य प्रदेश क खजुराहो सीट सपा को मिली है। लेकिन, वीर सिंह को फिर से टिकट मिलने की संभावना नजर नहीं आती।
वीर सिंह का चुनाव लड़ना मुश्किल है। ददुआ का प्रभाव बुंदेलखंड सहित मध्य प्रदेश के एक दर्जन जिलों के कुर्मियों पर था। जातिगत समीकरण को देखते हुए ही वह कर्वी विधानसभा क्षेत्र से 2012 में विधायक चुन लिए गए थे। उसके बाद सपा ने उन्हें खजुराहो से चुनावी मैदान में उतारा था।