आज का एक्सप्लेनर: सुनीता विलियम्स की वापसी का प्लान फाइनल, लेकिन खतरे कम नहीं; धरती पर चलना याद करने में लग जाएंगे कई महीने h3>
8 दिनों के लिए अंतरिक्ष गई सुनीता विलियम्स 8 महीनों से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फंसी हैं। उनके धंसे गाल, कमजोर शरीर देखकर डॉक्टर भी चिंता जाहिर कर चुके हैं। राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रम्प ने इलॉन मस्क से कहा था- बहादुर अंतरिक्ष यात्रियों को वापस
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सुनीता विलियम्स को अंतरिक्ष से कैसे लाएंगे, इस मिशन में क्या-क्या खतरे हैं और 280 दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद सुनीता की जिंदगी में क्या-क्या बदल जाएगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: सुनीता विलियम्स की वापसी का लेटेस्ट प्लान क्या है? जवाब: 12 फरवरी को अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट शेयर करते हुए सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को धरती पर वापस लाने का ऐलान किया। NASA इस मिशन को इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ मिलकर पूरा करेगी। इसके लिए पुराना स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल का इस्तेमाल किया जाएगा।
बीते दिनों खबरें आईं थीं कि सुनीता को लेने के लिए नया कैप्सूल बनाया जा रहा है, लेकिन देरी के चलते पुराने कैप्सूल से मिशन पूरा करने का फैसला लिया गया।
12 मार्च को NASA स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल से क्रू-10 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजेगा। इसमें एस्ट्रोनॉट ऐनी मैकक्लेन, निकोल एयर्स, ताकुया ओनिशी और रोस्कोस्मोस होंगे। फिर इसी कैप्सूल से सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को धरती पर वापस लाया जाएगा।
सवाल-2: सुनीता और बुच को धरती पर वापस कैसे लाया जाएगा? जवाब: ISS में अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट की पार्किंग के लिए अभी सिर्फ 2 स्पॉट हैं…
एक स्पॉट पर लगातार एक ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट खड़ा है ताकि स्पेस स्टेशन में आग लगने जैसी किसी इमरजेंसी में एस्ट्रोनॉट इस पर सवार हो सकें। ये एक लाइफ बोट की तरह है।
दूसरे स्पॉट पर स्पेसक्राफ्ट आते-जाते रहते हैं। यहीं पर स्पेसएक्स का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट कैप्सूल क्रू-10 को लेकर पहुंचेगा।
इसके बाद सुनीता और बुच इसी कैप्सूल में बैठेंगे और अनडॉकिंग प्रोसेस शुरू होगी।
सवाल-3: ISS से धरती तक वापसी के सफर में क्या-क्या खतरे हैं? जवाब: ISS से धरती की दूरी 400 किमी है। धरती से पृथ्वी का वायुमंडल आसमान की ओर 100 किमी दूर है। ISS से धरती पर पहुंचने के लिए लगभग 3 घंटे का समय लगता है। ISS से निकलने के बाद सुनीता और बुच का स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वायुमंडल यानी एटमॉस्फियर में एंटर करेगा, जिसे ‘रीएंट्री’ कहते हैं। यह प्रोसेस सबसे ज्यादा खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है…
सवाल-4: अंतरिक्ष में 280 दिन बिताने के बाद सुनीता विलियम्स को धरती पर क्या-क्या मुश्किलें आएंगीं? जवाब: जब कोई एस्ट्रोनॉट धरती पर लौटता है तो उसकी बॉडी में कई तरह के बदलाव होते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण (माइक्रोग्रैविटी) का नहीं होना है। इधर धरती पर हर एक एक्टिविटी ग्रैविटी पर निर्भर करती है। ऐसे में अंतरिक्ष से वापस धरती पर आने के बाद सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है…
1. धरती पर चलना भूल जाना 1 मार्च 2016 को अमरीकी एस्ट्रोनॉट स्कॉट केली और रूसी एस्ट्रोनॉट मिखाइल कॉर्निएंको अंतरिक्ष में 340 दिन बिताकर धरती पर वापस लौटते हैं। स्पेसक्राफ्ट से बाहर निकलते समय उनकी हालत काफी खराब दिखती है। ऐसे में चार लोग उन्हें उठाकर लाते हैं और फिर एक आरामदायक कुर्सी में बिठा देते हैं। स्कॉट केली एक इंटरव्यू में बताते हैं कि धरती पर लौटने के बाद वे ठीक से चल नहीं पा रहे थे।
- धरती पर चलना, दौड़ना, उठना-बैठना हमारी डेली लाइफ एक्टिविटीज हैं। साइंस की भाषा में समझें तो इन एक्टिविटीज में हमारी मांसपेशियां हमेशा ग्रैविटी के खिलाफ काम करती है। लेकिन अंतरिक्ष में ग्रैविटी नहीं होने से मांसपेशियों को काम करने की जरूरत नहीं होती। वहां एक तरह से एस्ट्रोनॉट्स उड़ते रहते हैं।
- ऐसे में लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने की वजह से मस्कुलर वीकनेस यानी मांसपेशियां कमजोर होने लगती है। वहीं, हर महीने हड्डियों का घनत्व 1% कम हो जाता है। इससे खासतौर पर पैर, पीठ और गर्दन की मांसपेशियों पर इसका ज्यादा असर पड़ता है। इस वजह से एस्ट्रोनॉट्स को धरती पर वापसी के लंबे समय तक चलने फिरने में परेशानी होती है।
स्पेसक्राफ्ट से बाहर आने के बाद एस्ट्रोनॉट स्कॉट ठीक से खड़े नहीं हो सके। उनके साथी उन्हें उठाकर ले जाते हैं।
2. खड़े होने में परेशानी, अचानक जमीन पर गिर जाना 21 सितंबर 2006 को अमेरिकी एस्ट्रोनॉट हेडेमेरी स्टेफानीशिन-पाइपर (Heidemarie Stefanyshyn-Piper) शटर अटलांटिस मिशन के तहत 12 दिनों तक अंतरिक्ष में रहकर धरती पर वापस लौटीं थीं। उनके लिए एक स्वागत समारोह रखा गया था। जैसे ही उन्होंने मंच पर बोलना शुरू किया तो उनके पैर लड़खड़ाने लगे और वो अचानक गिर पड़ीं।
- कानों और मस्तिष्क में एक वेस्टिबुलर सिस्टम (Vestibular System) होता है, जो हमारे शरीर को बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है। अंतरिक्ष में ग्रैविटी नहीं होने के कारण यह सिस्टम सही से काम नहीं करता।
- ऐसे में जब अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौटते हैं, तो कुछ दिनों तक उन्हें खड़ा होने, संतुलन बनाने और शरीर के विभिन्न अंगों जैसे कि आंखें, हाथ, पैर के बीच कोऑर्डिनेशन बनाए रखने में समस्या आती है। यही वजह है कि एस्ट्रोनॉट्स को खड़े होने तक में परेशानी होती है।
एस्ट्रोनॉट हेडेमेरी स्टेज पर बोलते समय अचानक लड़खड़ाकर गिर गईं।
3. चीजों को हवा में छोड़ देना NASA के एस्ट्रोनॉट टॉम मार्शबर्न एक इंटरव्यू में अपने अंतरिक्ष यात्रा के अनुभवों को साझा कर रहे थे। तभी वो एक वाटर बोल्ट और पैन को हवा में छोड़ देते हैं। दोनों ही चीज जमीन पर गिर जाती हैं। फिर अचानक उन्हें याद आता है कि वो तो धरती पर हैं, जहां ग्रैविटी काम करती है। वो कहते हैं… स्टूपिड ग्रैविटी।
- अंतरिक्ष में कई महीनों तक रहने के दौरान एस्ट्रोनॉट्स का मस्तिष्क और शरीर माइक्रोग्रैविटी के अनुकूल होने लगता है। वहां वे किसी भी चीज को हवा में छोड़ सकते हैं और वह तैरती रहती है, लेकिन धरती पर लौटने के बाद उनकी आदत बनी रहती है और वे अनजाने में चीजों को हवा में छोड़ देते हैं, यह भूलकर कि अब वे गिर जाएंगी।
एस्ट्रोनॉट टॉम धरती पर आने के बाद भी चीजों को हवा में छोड़ देते। उन्हें लगता वो जीरो-ग्रैविटी में ही हैं।
4. कम दिखाई देना, अंधा होने का खतरा कैनेडियन अंतरिक्ष यात्री क्रिस हैडफील्ड ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि अंतरिक्ष में रहने की वजह से मेरी दोनों ही आंखों में प्रॉब्लम होने लगी थी। मुझे लगा कि मैं अंधा न हो जाऊं।
- स्पेस में जीरो-ग्रैविटी के कारण शरीर का तरल पदार्थ सिर की ओर बढ़ता है, जिससे आंखों के पीछे की नसों पर दबाव पड़ता है। इसे स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ओकुलर सिंड्रोम (SANS) कहा जाता है।
- धरती पर आने के बाद जब एस्ट्रोनॉट्स का शरीर यहां के हिसाब से एडजस्ट करता है तो उस समय आंखों पर भी सीधा असर पड़ता है। इस वजह से कई एस्ट्रोनॉट्स को धरती पर आने के बाद चश्मा लगाना पड़ता है।
अंतरिक्ष में ग्रैविटी नहीं होने की वजह से एस्ट्रोनॉट के आंखों से निकलने वाले आंसू की बूंद नीचे गिरती ही नहीं है।
इनके अलावा भी अंतरिक्ष से वापस धरती पर लौटने वाले एस्ट्रोनॉट्स को इम्यून सिस्टम का कमजोर होना, हाई लेवल रेडिएशन से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा, डीएनए में बदलाव, कार्डियोवैस्कुलर प्रॉब्लम, मानसिक बीमारियों जैसी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।
सवाल-5: तो फिर सुनीता विलियम्स को पूरी तरह रिकवर होने में कितना वक्त लगेगा? जवाब: धरती पर लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट के लिए सबसे बड़ा चैलेंज शारीरिक और मानसिक तौर पर नॉर्मल जीवन में आना होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आमतौर पर किसी भी एस्ट्रोनॉट को नॉर्मलाइज्ड होने में 45 दिन से लेकर कुछ महीने, या कभी-कभी एक साल तक का समय भी लग जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितने समय तक अंतरिक्ष में रहे।
NASA के एस्ट्रोनॉट डगलस एच. व्हीलॉक ने 179 दिन अंतरिक्ष में बिताए थे। वो बताते हैं कि जब लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहते हैं तो बॉडी में कई फिजिकल चेंज होते हैं। जीरो-ग्रैविटी की वजह से हम यहां तक सोचने लगते हैं कि हमें पैरों की जरूरत नहीं है। ऐसे में वापसी आकर पृथ्वी के वातावरण के हिसाब से खुद को ढालना चैलेंजिंग है। इसके लिए डॉक्टर और फिजिकल एक्सपर्ट से रिकवरी ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। मांसपेशियों और हड्डियों की रिकवरी करने के लिए कई महीनों तक एक्सरसाइज करनी पड़ी।
NASA के एस्ट्रोनॉट डगलस एच. व्हीलॉक।
एस्ट्रोनॉट स्कॉट केली कहते हैं कि उन्होंने स्पेस से आने के बाद शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए फिजिकल थेरेपी ली। वहीं, आई पावर की प्रॉब्लम को भी ठीक करने के लिए ट्रीटमेंट लिया।
सुनीता विलियम्स मार्च 2025 में 280 दिन बाद अंतरिक्ष से वापस लौटेंगी तो उन्हें पूरी तरह नॉर्मल होने में सालभर का समय लग सकता है।
सवाल-6: सुनीता विलियम्स स्पेस में क्यों गईं थीं और ISS पर कैसे फंस गईं? जवाब: 5 जून 2024 को सुनीता स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट में सवार होकर स्पेस मिशन पर गई थीं। सुनीता और बुच विलमोर बोइंग और NASA के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इसमें सुनीता, स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं। उनके साथ गए बुच विलमोर इस मिशन के कमांडर थे। दोनों को ISS में 8 दिन रुकने के बाद वापस धरती पर आना था, लेकिन स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी दिक्कतों के कारण सुनीता वहीं फंस गईं।
5 जून 2024 की तस्वीर। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए टेकऑफ से पहले सुनीता विलियम्स।
स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के लॉन्च के समय से ही उसमें कई दिक्कतें थीं। इनके चलते 5 जून से पहले भी कई बार लॉन्च फेल हुआ था। लॉन्च के बाद 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए। 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे। इसके अलावा एक प्रॉपलेंट वॉल्व पूरी तरह बंद नहीं किया जा सका। स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर मिलकर भी इसे ठीक नहीं कर पाए।
11 सितंबर को सुनीता और बुच ने दुनिया की पहली स्पेस प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। सुनीता ने स्पेस में रहने के दौरान होने वाली परेशानियों का भी जिक्र किया। सुनीता और बुच को ISS ले जाने वाला बोइंग स्पेसक्राफ्ट 7 सितंबर को धरती पर वापस लौट आया था, लेकिन इसमें वे दोनों नहीं आ सके।
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