Home Top stories आज का एक्सप्लेनर: भारत से भिड़ने चले पाकिस्तान से क्या छिन जाएगा बलूचिस्तान; BLA के लड़ाकों ने कैसे सरकार की नाक में दम किया

आज का एक्सप्लेनर: भारत से भिड़ने चले पाकिस्तान से क्या छिन जाएगा बलूचिस्तान; BLA के लड़ाकों ने कैसे सरकार की नाक में दम किया

आज का एक्सप्लेनर:  भारत से भिड़ने चले पाकिस्तान से क्या छिन जाएगा बलूचिस्तान; BLA के लड़ाकों ने कैसे सरकार की नाक में दम किया

आज का एक्सप्लेनर: भारत से भिड़ने चले पाकिस्तान से क्या छिन जाएगा बलूचिस्तान; BLA के लड़ाकों ने कैसे सरकार की नाक में दम किया

6 मई 2025 को पाकिस्तानी सेना की टुकड़ी बलूचिस्तान में एक मिलिट्री ऑपरेशन पर थी। रास्ते में काफिले पर रिमोट कंट्रोल से IED ब्लास्ट हुआ और 12 जवानों के परखच्चे उड़ गए। ये हमला बलूच लिबरेशन आर्मी यानी BLA ने किया था।

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उसी रात भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर दी। पाकिस्तानी मिलिट्री को उलझा देखकर BLA लगातार 4 दिनों से पाक सैनिकों पर दर्जनों अटैक कर चुका है। कुछ इलाकों पर कब्जा करके आजाद बलूचिस्तान का झंडा फहरा दिया है।

बलूच लिबरेशन आर्मी क्या है, अलग बलूचिस्तान के लिए क्यों मचा है विद्रोह और क्या 1971 जंग की तरह पाकिस्तान फिर टूट सकता है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: भारत से उलझा पाकिस्तान, उधर उसके बलूचिस्तान प्रांत में क्या चल रहा है?

जवाबः 9 मई को बलूच विद्रोहियों ने क्वेटा के फैजाबाद इलाके में पाकिस्तानी सेना पर हमला किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक अलग हमले में इस्लामाबाद के सुरक्षा बलों को सिब्बी में एक सैन्य शिविर पर हैंड ग्रेनेड से निशाना बनाया गया। इससे पहले 8 मई को भी क्वेटा में BLA ने पाकिस्तानी सेना पर कम से कम चार हमले किए।

बलूचिस्तान स्थित रेडियो ज्रुम्बेश के मुताबिक क्वेटा में लगातार विस्फोट और भीषण गोलीबारी हो रही है। 8 मई को बलूच लिबरेशन आर्मी के विद्रोहियों ने केच, मस्तुंग और काची में 6 अलग-अलग हमलों में पाकिस्तानी सेना और उसके सहयोगियों को निशाना बनाया।

बलूच लेखक मीर यार बलूच ने एक्स पर लिखा-

बलूच लोगों ने अपने झंडे फहराने और पाकिस्तानी झंडे उतारने शुरू कर दिए हैं। अब समय आ गया है कि दुनिया पाकिस्तान से अपने राजनयिक मिशन वापस ले और उन्हें नए उभरते देश बलूचिस्तान में स्थानांतरित कर दे। पाकिस्तान को अलविदा, बलूचिस्तान में आपका स्वागत है।

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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने भी पिछले दिनों कहा था कि पाकिस्तान की सरकार और सेना बलूचिस्तान प्रांत पर अपना नियंत्रण खो रही है। सीनियर अधिकारी और मंत्री बिना सुरक्षा गार्ड के अब बलूचिस्तान में नहीं घूम सकते।

सवाल-2: आखिर पाकिस्तान से आजाद क्यों होना चाहते हैं बलूच?

जवाबः कहानी शुरू होती है 1946 से। जब तय हो गया कि अंग्रेज भारत छोड़ रहे हैं। तब बलूचिस्तान पर कलात रियासत का शासन था। पाकिस्तान की तरह उन्होंने भी आजाद देश की मांग तेज कर दी और अंग्रेजों के सामने पक्ष रखने के लिए मोहम्मद अली जिन्ना को अपना सरकारी वकील बताया।

मोहम्मद अली जिन्ना के साथ कलात के शासक मीर अहमद खान।

बलूचिस्तान नाम से एक नया देश बनाने के लिए 4 अगस्त 1947 को दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई। इसमें कलात रियासत के मीर अहमद खान के साथ जिन्ना और जवाहर लाल नेहरू भी शामिल हुए। बैठक में जिन्ना ने कलात की आजादी की वकालत की और सुझाव दिया कि चार जिलों- कलात, खरान, लास बेला और मकरान को मिलाकर एक आजाद बलूचिस्तान बनाया जाए।

12 अगस्त 1947 को बलूचिस्तान एक अलग देश बन गया। हालांकि इसमें एक पेंच ये था कि बलूचिस्तान की सुरक्षा पाकिस्तान के हवाले थी। आजादी घोषित करने के ठीक एक महीने बाद 12 सितंबर को ब्रिटेन ने प्रस्ताव पारित कर कहा कि बलूचिस्तान एक अलग देश बनने की हालत में नहीं है। वह अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियां नहीं उठा सकता।

कलात के खान ने अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान का दौरा किया। उन्हें उम्मीद थी कि जिन्ना उनकी मदद करेंगे, लेकिन जिन्ना ने बलूचिस्तान का पाकिस्तान में विलय करने की बात कही। कलात खान ने इनकार कर दिया।

जिन्ना ने कई बलूच सरदारों को अपनी तरफ मिला लिया। 26 मार्च 1948 को पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में घुस गई। अब खान के पास जिन्ना की शर्तें मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन इस कब्जे से बलूचिस्तान की एक बड़ी आबादी के मन में पाकिस्तान के लिए नफरत पैदा हो गई। बलूचिस्तान सिर्फ 227 दिनों तक ही आजाद देश बना रह सका।

बलूचिस्तान आज पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है और 44 फीसदी हिस्सा कवर करता है। इसके बावजूद यहां पूरे पाकिस्तान की महज 6% आबादी रहती है।

बलूचिस्तान तेल, सोना, तांबा और अन्य खदानों से सम्पन्न है। इन संसाधनों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान अपनी जरूरतें पूरी करता है। इसके बाद भी ये इलाका सबसे पिछड़ा है। यहां पाकिस्तानी सेना खूब अत्याचार करती है और यही वजह है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ नफरत बढ़ती जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 15 साल में पाकिस्तानी सेना ने 5 हजार से ज्यादा बलूचों को गायब कर दिया है। इन्हें मार दिया गया है या फिर इन्हें ऐसी जगह कैद कर रखा है, जिसकी कोई खबर नहीं है।

सवाल-3: क्या पहले भी बलूचिस्तान की आजादी के लिए विद्रोह हुए?

जवाबः बलूच रियासत के ही प्रिंस करीम खान ने बलूच राष्ट्रवादियों का एक दस्ता तैयार किया और 1948 में पाकिस्तान के खिलाफ पहला विद्रोह शुरू किया। पाकिस्तान ने 1948 के विद्रोह को कुचल दिया। करीम खान समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।

विद्रोह को तब भले ही दबा दिया गया, लेकिन ये कभी खत्म नहीं हुआ। बलूचिस्तान की आजादी के लिए शुरू हुए इस विद्रोह को नए नेता मिलते रहे। 1950, 1960 और 1970 के दशक में वे पाकिस्तान सरकार के लिए चुनौती बनते रहे। 2000 तक पाकिस्तान के खिलाफ चार बलूच विद्रोह हुए।

2005 की एक घटना से शुरू हुआ पांचवां विद्रोह आज तक जारी है। दरअसल, 2 जनवरी 2005 की रात। बलूचिस्तान के सुई इलाके में एक महिला डॉक्टर शाजिया खालिद का पाकिस्तानी सेना के कैप्टन ने रेप कर दिया। उस वक्त जनरल मुशर्रफ की पाकिस्तानी हुकूमत ने उल्टे डॉक्टर पर इल्जाम लगा दिए। मजबूर होकर शाजिया और उनके पति पाकिस्तान छोड़कर ब्रिटेन चले गए।

यह घटना बलूचिस्तान में हुई थी। तब बुगती जनजाति के मुखिया नवाब अकबर खान बुगती ने इसे अपने कबीले के संविधान का उल्लंघन बताया।

नवाब अकबर खान बुगती के नेतृत्व में 2005 में बलूच विद्रोहियों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह किया।

उन्होंने किसी भी कीमत पर बदला लेने की कसम खाई। बलूच विद्रोहियों ने सुई गैस फील्ड पर रॉकेटों से हमला कर दिया। कई सैनिक मारे गए। जवाब में मुशर्रफ ने मुकाबले के लिए 5000 और सैनिक भेज दिए। बमबारी करके बुगती और उनके साथियों पर मार गिराया।

सवाल-4: आजाद बलूचिस्तान के लिए लड़ने वाली बलूच लिबरेशन आर्मी यानी BLA क्या है?

जवाबः बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) एक संगठन है जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहा है। इसकी स्थापना 2000 के दशक की शुरुआत में हुई और इसे कई देशों द्वारा आतंकी संगठन भी घोषित किया गया है।

BLA का दावा है कि बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण हो रहा है और बलूच लोगों के अधिकार छीन लिए गए हैं। यह संगठन पाकिस्तानी सेना, सरकार और चीनी प्रोजेक्ट्स जैसे CPEC को निशाना बनाता रहा है।

BLA अपनी गुरिल्ला शैली के लिए जाना जाता है। यानी पहाड़ी इलाकों में छिपकर सेना पर हमला करना और तुरंत वापस लौट जाना। BLA में दो प्रमुख ब्रिगेड हैं…

1. मजीद ब्रिगेड: इसे कामीकाजे यूनिट भी कहा जाता है क्योंकि इसके सदस्य आत्मघाती हमलों के लिए तैयार रहते हैं।

2. फतेह स्क्वॉडः एक छोटी, लेकिन सटीक हमला करने वाली यूनिट। हालिया पाक आर्मी काफिला हमले में इसका नाम सामने आया।

जाफर एक्सप्रेस की हाईजैकिंग का सीन। इसे भी BLA ने करवाया था।

सवाल-5: क्या BLA से भारत का कोई कनेक्शन है?

जवाबः आजादी के बाद से भारत बलूचिस्तान के मुद्दे पर बोलने से बचता था। वह किसी देश के आंतरिक टकराव में दखल देते नहीं दिखना चाहता था।

2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त पर अपने भाषण में बलूचिस्तान में चल रहे संघर्ष का जिक्र किया था।

बलूचिस्तान में चले रहे संघर्ष को पाकिस्तानी सरकार अक्सर भारत प्रायोजित बताती रहती है। उसका कहना है कि बलूचिस्तान से गिरफ्तार कुलभूषण जाधव भारत का भेजा जासूस था।

हालांकि इसके कोई सबूत आज तक सामने नहीं आ सके हैं।

सवाल-6: क्या आखिरकार पाकिस्तान से अलग हो जाएगा बलूचिस्तान?

जवाबः पाक सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने हाल में एक बयान में कहा कि बलूचिस्तान में महज 1500 लोगों की वजह से अशांति फैली है और वो पाकिस्तान की लाखों की प्रोफेशनल फौज का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

ब्रिटिश ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट पीटर टैचेल का मानना है कि पाकिस्तान बलूचिस्तान की स्वतंत्रता में देरी कर सकता है, लेकिन इसे हमेशा के लिए रोका नहीं जा सकता। उन्होंने बलूच संघर्ष की तुलना वियतनाम के आंदोलन से की है।

बलूच लेखक मीर यार का कहना है कि बलूचिस्तान अब आजादी से सिर्फ दो कदम दूर है। उन्होंने इसकी 1971 के बांग्लादेश की स्थिति से तुलना करते हुए कहा कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियां इस वास्तविकता को स्वीकार नहीं कर रही हैं।

पाकिस्तान के कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि जनरल परवेज मुशर्रफ और बाद के हुक्मरानों ने बलूचिस्तान के मसले को मिस-हैंडल किया। उनकी बातें नहीं सुनी गईं। प्रशासनिक ज्यादती लाद दी गईं।

इसी का नतीजा था कि पहले बलूच लिबरेशन आर्मी, जो पहले गोरिल्ला वार तक सीमित थी, अब आत्मघाती हमले और प्रिसाइज अटैक करने लगी है। पहले जिस BLA का दायरा बलूचिस्तान के कुछ इलाकों तक सीमित था, अब वो पूरे पाकिस्तान में फैल गया है। ये पाकिस्तान के लिए चिंता का सबब है।

कुछ इसी तर्ज पर 1971 में बांग्लादेश बना था। भारत-पाक के बीच 1971 का युद्ध बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के रूप में शुरू हुआ था। बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बंट गया था। पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को पश्चिम में बैठी केंद्र सरकार अपने तरीके से चला रही थी। उन पर भाषाई और सांस्कृतिक पांबदियां थोप दी गई थीं। इस कारण पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे। इन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने फौज को इनका दमन करने के आदेश दिए।

इस दौरान पूर्वी पाकिस्तानी अवामी लीग के बड़े नेता जैसे शेख मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना द्वारा लगभग दो लाख महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। करीब 20 से 30 लाख लोग मारे गए थे। करीब 80 से एक करोड़ लोगों ने भागकर भारत में शरण ली थी। 13 दिनों तक चले युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना से 16 दिसंबर को हथियार डाल दिए।

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