आज का एक्सप्लेनर: ‘पोल्लाची कांड’ की शिकार स्कूल गर्ल से शादीशुदा तक; गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग करने वाले 9 दोषी उम्रकैद तक कैसे पहुंचे

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आज का एक्सप्लेनर:  ‘पोल्लाची कांड’ की शिकार स्कूल गर्ल से शादीशुदा तक; गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग करने वाले 9 दोषी उम्रकैद तक कैसे पहुंचे
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आज का एक्सप्लेनर: ‘पोल्लाची कांड’ की शिकार स्कूल गर्ल से शादीशुदा तक; गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग करने वाले 9 दोषी उम्रकैद तक कैसे पहुंचे

तमिलनाडु के कोयंबटूर शहर से करीब 40 किमी दूर, एक खूबसूरत और शांत सा कस्बा है- पोल्लाची। 24 फरवरी 2019 को पोल्लाची ईस्ट पुलिस स्टेशन में 19 साल की एक कॉलेज छात्रा अपने भाई के साथ दाखिल हुई। उसने पुलिस को जो बताया, उसके बाद न सिर्फ पोल्लाची की शांति भं

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6 साल बाद 13 मई 2025 को इस केस का फैसला आया है, जिसमें सभी 9 दोषियों को कई-कई बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

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आखिर उस छात्रा ने पुलिस को ऐसा क्या बताया, कैसे हुआ खुलासा दोस्ती, गैंगरेप और ब्लैकमेलिंग वाले ‘पोल्लाची कांड’ का और दोषियों को कई बार क्यों मिली उम्रकैद; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: 19 साल की कॉलेज छात्रा ने पोल्लाची पुलिस को क्या-क्या बताया? जवाबः 24 फरवरी 2019 को पुलिस स्टेशन पहुंची छात्रा ने बताया- एक लड़के ने फेसबुक पर मुझसे लड़की बनकर दोस्ती की और मिलने के लिए बुलाया। जब मैं मिलने पहुंची तो 4 लड़कों ने मुझे जबरदस्ती कार में बैठाया और चलती कार में मेरे साथ गैंगरेप करने की कोशिश की। जब मैं चीखने-चिल्लाने लगी तो वो मुझे छोड़कर भाग गए। उन्होंने मेरी सोने की चेन भी लूट ली।’

छात्रा ने बताया कि लड़कों ने उसके साथ जबरदस्ती का वीडियो बना लिया था और उसे लीक करने की धमकी देकर यौन संबंध बनाने की मांग की। छात्रा ने हिम्मत दिखाते हुए परिवार को घटना की पूरी जानकारी दी और पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने आ गई।

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छात्रा के बयान के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। धीरे-धीरे जांच आगे बढ़ी तो पुलिस को पता चला कि पोल्लाची में इस तरह के केस की शिकार ये इकलौती छात्रा नहीं है।

सवाल-2: ‘पोल्लाची कांड’ का खुलासा कैसे हुआ, जिसकी शिकार स्कूल गर्ल से शादीशुदा महिलाएं तक बनीं? जवाब: छात्रा की शिकायत पर पुलिस ने आरोपियों की शिनाख्त की तो सभी पोल्लाची के ही रहने वाले थे। गिरफ्तारी और जब्ती शुरू हुई। आरोपियों के मोबाइल और लैपटॉप से दर्जनों लड़कियों के वीडियो मिले। इन लड़कियों के साथ 3 साल से गैंगरेप किया जा रहा था और ब्लैकमेल करके पैसे भी वसूले गए।

ज्यादातर गैंगरेप और उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग पोल्लाची के पास चिन्नाप्पलायम के इसी फार्महाउस पर हुए थे।

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शुरू मे स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच की थी। बाद में इसे क्राइम ब्रांच-CID ​​को सौंप दिया गया। हालांकि घटना को लेकर राज्यभर में आक्रोश के बीच तत्कालीन AIADMK सरकार ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को ट्रांसफर कर दिया। एजेंसी ने 25 अप्रैल, 2019 से मामले की जांच शुरू की थी।

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी CBI की रिपोर्ट के मुताबिक…

  • इस कांड का मास्टरमाइंड था थिरुनावुक्कारासु और उसके 8 अन्य साथी। जो एक गिरोह बनाकर पूरी प्लानिंग से अपराध को अंजाम देते थे।
  • सभी 9 आरोपी फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लड़कियों का फर्जी अकाउंट बनाते। फिर लड़कियों से लड़की बनकर बातें करते और जब किसी लड़की को भरोसा हो जाता, तो फिर मिलने का समय और जगह तय की जाती।
  • जब लड़कियां इनके झांसे में आकर मिलने पहुंची, तो ये लोग उसे कार में बिठाकर सुनसान जगह ले जाते और गैंगरेप करते।
  • ये लोग पूरी घटना का वीडियो बना लेते और लड़कियों को धमकी दी जाती कि अगर उन्होंने पैसे नहीं दिए या फिर उनके साथ दोबारा नहीं आईं, तो वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया जाएगा या उनके परिवार को दिखा दिया जाएगा।
  • इस डर की वजह से लड़कियां चुप रहतीं और बार-बार इन लोगों का शिकार बनतीं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन लोगों ने 2016 से 2018 के बीच 100 से ज्यादा लड़कियों को निशाना बनाया, जिनमें कॉलेज स्टूडेंट्स, टीचर्स, वर्किंग विमेंस और स्कूल की स्टूडेंट्स भी थीं।

इस मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया। तमिलनाडु में कई जगह प्रदर्शन भी हुए और आरोपियों को सजा दिलाने की मांग ने जोर पकड़ लिया। आरोपियों ने अपनी करतूत कुबूल की।

एक वीडियो में आरोपी कहता दिख रहा है,

मैंने उसे (पीड़िता) चूमा तो उसने कोई आपत्ति नहीं की। जब मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए तो उसने मना किया, लेकिन फिर भी मैं रुका नहीं। जब उसने किस करने पर कुछ नहीं कहा, तो वह कपड़े उतारने पर आपत्ति कैसे कर सकती है।

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2019 में गैंगरेप के दोषियों को सजा दिलाने के लिए तमिलनाडु में प्रदर्शन करती छात्राएं।

सवाल-3: गैंगरेप के सभी 9 आरोपियों पर किन धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ? जवाब: पोल्लाची पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ IPC की 13 धाराओं के तहत गैंगरेप, यौन उत्पीड़न, डकैती, निर्वस्त्र करने और धमकी के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और तमिलनाडु के यौन उत्पीड़न कानून के तहत एफआईआर दर्ज की…

  • IPC सेक्शन 34: अगर दो या दो से ज्यादा लोग किसी अपराध को करने के लिए साझा इरादा रखते हों और साथ में मिलकर उस अपराध को अंजाम दें, तो इनमें हर एक व्यक्ति उतना ही जिम्मेदार माना जाएगा, जितना कि उसने खुद अकेले अपराध किया हो। यानी कोई एक व्यक्ति अपराध कर रहा है और बाकी लोग उसका साथ दे रहे हैं, जैसे निगरानी करना या गाड़ी चलाना, तो सभी बराबर दोषी होंगे।
  • IPC सेक्शन 376D: अगर दो या दो से ज्यादा लोग मिलकर किसी महिला के साथ बलात्कार करते हैं, तो यह गैंगरेप माना जाएगा। इसमें शामिल हर एक व्यक्ति बराबर दोषी होगा, भले ही उसने बलात्कार न किया हो। यानी वह सिर्फ महिला के हाथ-पैर ही क्यों न पकड़ रहा हो। इस सेक्शन के तहत 20 साल तक जेल या उम्रकैद और जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। इसमें कोई रियायत या सजा में कमी नहीं होती।
  • IPC सेक्शन 376(2)(N): जब कोई व्यक्ति एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार करता है, तो इस धारा के तहत उम्रकैद और जुर्माने की सजा दी जाती है।
  • IPC सेक्शन 366: जब किसी महिला का अपहरण करके जबरन अवैध संबंध बनाए जाते हैं, तो इस सेक्शन के तहत 10 साल तक जेल और जुर्माने की सजा दी जाती है।
  • IPC सेक्शन 354-A और 354-B: किसी महिला के साथ यौन उत्पीड़न करने यानी यौन संबंध बनाने की मांग करना, अश्लील टिप्पणी करना या अश्लील कंटेंट दिखाने से जुड़ी है। इसके तहत 3 साल तक कठोर कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, 354-B के तहत किसी महिला को निर्वस्त्र करना या ऐसा करने पर मजबूर करने के लिए 3 से 7 साल तक जेल और जुर्माने की सजा होती है।
  • IPC सेक्शन 370: किसी व्यक्ति को शोषण के लिए खरीदना, बेचना या जबरन कहीं ले जाना अपराध है। इसके तहत 7 साल से लेकर उम्रकैद की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
  • IPC सेक्शन 509: किसी महिला की गरिमा यानी मॉडेस्टी का अपमान करना या ठेस पहुंचाने के लिए एक साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

इसके अलावा सभी अपराधियों पर तमिलनाडु के कानून TNPHW की धारा 4 (महिलाओं के उत्पीड़न के लिए उकसाना), IT अधिनियम की धारा 66e और 67 (अश्लील और प्राइवेट कंटेंट को अवैध तरीके से फैलाना) के तहत दोषी ठहराया गया।

28 अप्रैल, 2025 को कोयंबटूर स्थित कोर्ट कैंपस में यौन उत्पीड़न मामले के दोषियों की तस्वीर।

सवाल-4: पोल्लाची गैंगरेप केस का फैसला आने में 6 साल क्यों लग गए? जवाब: लोकल पुलिस पर केस की जांच में लापरवाही के आरोप लग रहे थे। उस समय कोयंबटूर के पुलिस अधीक्षक आर. पांड्याराजन ने एक लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीड़िता का नाम बता दिया, जिससे उसकी पहचान उजागर हो गई। इस घटना के बाद अप्रैल 2019 में केस की जांच CBI को सौंपी गई। CBI ने केस की गंभीरता और बारीकी से जांच के लिए लंबा समय लिया।

जांच में सामने आया कि लड़कियों से बातचीत करके उन्हें फंसाने से लेकर रेप की वीडियो रिकॉर्डिंग करने तक हर काम के लिए लोग तय थे।

CBI ने केस को पुख्ता करने के लिए 200 से ज्यादा दस्तावेज और 400 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक्स सबूत जुटाए। इसमें गैंगरेप के रिकॉर्ड किए गए वीडियो और मोबाइल फोन शामिल थे। 8 पीड़ित महिलाओं और 48 गवाहों को भी जुटाया। CBI ने कुल 1500 पन्नों की चार्जशीट तैयार की।

मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर 2023 में कोयंबटूर की महिला कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ। पीड़ितों की पहचान छिपाए रखने के लिए कोर्टरूम में अलग से कांच की एक दीवार बनाई गई। खास बात यह रही कि CBI ने जितने भी गवाह पेश किए, उनमें से किसी ने अपना बयान नहीं पलटा।

फैसला आने के बाद पब्लिक प्रोसिक्यूटर वी. सुरेंद्र मोहन ने भी कहा कि CBI की मेहनत बेकार नहीं गई।

13 मई को सुबह 9 बजे दोषियों को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया था।

सवाल-5: 13 मई को कोयंबटूर की स्पेशल महिला कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया? जवाब: 13 मई को कोयंबटूर की स्पेशल महिला कोर्ट में जस्टिस आर नंदिनी देवी ने केस की सुनवाई की। सभी आरोपियों को सलेम सेंट्रल जेल से अदालत लाया गया। जस्टिस नंदिनी ने फैसला सुनाते हुए सभी 9 आरोपियों को IPC की 13 धाराओं के तहत दोषी करार दिया।

आरोपियों को 1 से 5 बार तक मृत्यु तक उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके अलावा कानून की अन्य धाराओं के तहत 10 साल, 7 साल और 3 साल तक की अलग-अलग सजा सुनाई। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। सभी आरोपियों पर डेढ़ लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। 8 पीड़ितों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए 85 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया।

सवाल-6: जस्टिस आर नंदिनी देवी ने सभी आरोपियों को 1 से 5 बार उम्रकैद की सजा सुनाई, इसका मतलब क्या है? जवाब: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अश्विनी दुबे कहते हैं, ‘जस्टिस नंदिनी देवी ने सभी 9 अपराधियों को 13 धाराओं के तहत दोषी पाया। इसमें कई धाराओं में उम्रकैद की सजा है। इसके अलावा दोषियों का अपराध बेहद गंभीर होने की वजह से जस्टिस ने आरोपियों पर 1 से 5 बार तक उम्रकैद की सजा सुनाई। यानी उन्हें मृत्यु तक जेल में रहना होगा और उनकी सजा में किसी भी तरह की रियायत या जमानत नहीं दी जाएगी।’

उदाहरण से समझें- जस्टिस नंदिनी ने दोषी टी. वसंत कुमार को कई बार रेप करने के लिए IPC की धारा 376(2)(N) के तहत उम्रकैद दी। वहीं, धारा 370 भी लगाई, जिसमें भी उम्रकैद का प्रावधान है। यानी वसंत कुमार को 2 बार उम्रकैद की सजा मिली।

अश्विनी दुबे ने कहा,

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ऐसी सजा उन मामलों में दी जाती है, जब अपराधी ने उम्रकैद वाले एक से ज्यादा अपराध किए हों। भारत के कानून में सभी जगह उम्रकैद का मतलब मृत्यु तक जेल में रहना नहीं होता। कई मौकों पर उम्रकैद यानी 30 साल की सजा या 20 साल की सजा भी होती है। इस वजह से जस्टिस नंदिनी देवी ने 5 उम्रकैद दी, ताकि आरोपी मृत्यु से पहले जेल से बाहर न आ पाएं।

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सवाल-7: इस केस में तमिलनाडु की तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी AIADMK का नाम कैसे जुड़ा? जवाब: पोल्लाची गैंगरेप केस में जिन 9 आरोपियों को उम्रकैद को सजा सुनाई गई, उनमें से एक अपराधी के. अरुलानंदम पोल्लाची में AIADMK की स्टूडेंट विंग का सेक्रेटरी था। अरुलानंदम को CBI ने 2021 में गिरफ्तार किया, जिसके बाद AIADMK ने उसे पार्टी से निकाल दिया।

इससे पहले अरुलानंदम के करीबी और पार्टी की स्टूडेंट विंग के सदस्य ए. नागराज को भी 2019 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर पीड़िता के भाई के साथ मारपीट के आरोप थे। नागराज को भी पार्टी से निकाल दिया गया। इस मामले में AIADMK के सदस्यों का नाम आने के बाद विपक्षी DMK पार्टी ने AIADMK पर आरोपियों को बचाने के आरोप लगाए। DMK ने आरोपियों के AIADMK के वरिष्ठ नेताओं से करीबी संबंध होने का भी दावा किया।

AIADMK के पहले सदस्य की गिरफ्तारी 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले हुई। जबकि दूसरे की गिरफ्तारी 2021 के विधानसभा चुनाव के पहले हुई। ऐसे में मामले ने और ज्यादा राजनीतिक मोड़ ले लिया। 2019 में ही तमिलनाडु के गृह मंत्रालय ने केस की जांच CBI को सौंपी।

जांच ट्रांसफर के दस्तावेजों में पीड़ित लड़की, उसके कॉलेज और भाई के नाम का खुलासा हो गया। जबकि भारत में रेप विक्टिम और उसकी पहचान गुप्त रखी जाती है। इस घटना के बाद मामले ने और जोर पकड़ लिया। फैसला आने के बाद भी AIADMK पर आरोपियों का साथ देने के आरोप लगते रहे।

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रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े

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