आज का एक्सप्लेनर: पीएम मोदी का साथ खुलकर क्यों नहीं दे रहे ट्रम्प, भारत-पाक को एक बराबर तौला; नहीं चाहते iPhone भारत में बने

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आज का एक्सप्लेनर:  पीएम मोदी का साथ खुलकर क्यों नहीं दे रहे ट्रम्प, भारत-पाक को एक बराबर तौला; नहीं चाहते iPhone भारत में बने
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आज का एक्सप्लेनर: पीएम मोदी का साथ खुलकर क्यों नहीं दे रहे ट्रम्प, भारत-पाक को एक बराबर तौला; नहीं चाहते iPhone भारत में बने

‘हाउडी मोदी’ से ‘नमस्ते ट्रम्प’ तक, कई मौकों पर ट्रम्प और मोदी एक-दूसरे को अच्छा दोस्त बता चुके हैं। लेकिन जब जंग के हालात बने, तो ट्रम्प ने भारत को भी पाकिस्तान के बराबर तौल दिया। इससे पहले रेसिप्रोकल टैरिफ में भी कोई रियायत नहीं दी और अब तो iPhone

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पीएम मोदी के साथ खुलकर क्यों नहीं खड़े हैं ट्रम्प, क्या भारत को भारी पड़ रही ट्रम्प से ‘दोस्ती’ और सरकार इससे कैसे निपट सकती है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

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सवाल-1: भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान ट्रम्प के रवैये पर भारत में सवाल क्यों उठ रहे हैं?

जवाबः 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 लोगों की निर्मम हत्या की। धर्म पूछ-पूछकर पुरुषों को अलग किया और उनके परिवार के सामने गोली मार दी। इसका बदला लेने के लिए 6-7 मई की रात भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। PoK और पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक स्ट्राइक की।

इसके बाद से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के रुख पर भारत में सवाल खड़े हो रहे हैं…

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7 मई 2025: भारत के ऑपरेशन सिंदूर पर ट्रम्प ने पहली प्रतिक्रिया में कहा-

ये शर्म की बात है। हमने अभी-अभी इसके बारे में सुना है। वे लोग दशकों, बल्कि सदियों से लड़ रहे हैं… उम्मीद है कि ये जल्दी खत्म हो।

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ट्रम्प ने अपने बयान में भारत और पाकिस्तान को समान रूप से संबोधित किया, जबकि भारत खुद को आतंकवाद का शिकार और पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थक मानता है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि ट्रम्प का रुख आतंकवाद के शिकार और प्रायोजक को एक-समान मानता है, जो भारत के हितों के खिलाफ है।

10 मई 2025: ट्रम्प ने ‘ट्रुथ सोशल’ में अपने हैंडल पर एक पोस्ट में कहा-

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अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई है।

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अमेरिका की इस घोषणा पर भारत की प्रतिक्रिया गर्मजोशी वाली नहीं थी। भारत ने कहा कि पाकिस्तान के DGMO के भारतीय DGMO को फोन कॉल के बाद दोनों देशों में सहमति बनी है। इसमें अमेरिका की मध्यस्थता का जिक्र नहीं था। यही बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में दोहराई।

ट्रम्प के पोस्ट के बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 10 मई को 05:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीजफायर की जानकारी दी।

11 मई 2025: ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा,

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मैं इन दोनों महान राष्ट्रों के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे, जो एक हजार साल से विवाद में है, उसका समाधान निकालने की आशा करता हूं। ताकि क्षेत्र में शांति और समृद्धि कायम हो सके, और अमेरिका और विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ सके!

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ट्रम्प ने अपने बयान में कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया, लेकिन भारत कहता रहा है कि वो किसी तीसरे देश की मध्यस्थता इस मसले में स्वीकार नहीं करेगा।

13 मई 2025: अपनी सऊदी यात्रा के दौरान ट्रम्प ने कहा है,

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मैंने काफी हद तक व्यापार का इस्तेमाल किया। मैंने कहा कि चलो एक सौदा करते हैं, परमाणु मिसाइलों का ट्रेड रोकते हैं और उन चीजों का व्यापार करते हैं, जिन्हें आप इतनी खूबसूरती से बनाते हैं।

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भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि बातचीत में व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ। यह बयान भारत में ट्रम्प की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का कारण बना।

15 मई 2025: ट्रम्प भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने के बयान से पलट गए। उन्होंने दोहा में कार्यक्रम के दौरान कहा,

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मैं ये नहीं कहता कि ये (सीजफायर) मैंने किया, लेकिन ये पक्का है कि पिछले हफ्ते भारत-पाकिस्तान के बीच जो हुआ, मैंने उसे सेटल करने में मदद की।

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दोहा में कार्यक्रम के दौरान ट्रम्प भारत-पाक में सीजफायर कराने की बात से पलट गए।

सवाल-2: दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रम्प के किन फैसलों से भारत को बड़ा धक्का लगा है?

जवाबः 20 जनवरी 2025 को दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद 4 फैसलों से भारत को बड़ा धक्का लगा है…

1. भारतीय अवैध प्रवासियों को बेड़ियों में वापस भेजा

दूसरे टर्म की शुरुआत से ही ट्रम्प ने अमेरिका से अवैध प्रवासियों को निकालने का अभियान शुरू कर दिया। ट्रम्प ने 5 फरवरी को 104 भारतीयों से भरा सैन्य हवाई जहाज से भारत भेजा। इसमें अवैध प्रवासी भारतीयों के हाथ-पैर बांधकर रखे गए थे। उन्हें वॉशरूम जाने की भी इजाजत नहीं थी। मित्र देश के नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता। अप्रैल तक अमेरिका ऐसे 682 भारतीयों को डिपोर्ट किया है।

अमेरिका ने अवैध भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने का जो वीडियो जारी किया गया था उसमें भारतीयों के पैरों में बेड़ियां बंधी दिखाई दीं।

2. भारत पर 26% रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया

3 अप्रैल को ट्रम्प ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया। वहीं UK (10%), इजराइल (17%) और ऑस्ट्रेलिया (10%) जैसे देशों पर भारत से कम टैरिफ लगाया। ट्रम्प कई मौकों पर बोलते आए हैं कि भारत अमेरिका पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है और वे भी ऐसा ही करेंगे। हालांकि 9 अप्रैल को उन्होंने रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी।

इसके बाद ट्रम्प ने 15 मई को कहा कि भारत ने उनके सामने जीरो टैरिफ का प्रस्ताव रखा है। हालांकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका के साथ टैरिफ पर अभी बातचीत जारी है और कोई फैसला नहीं लिया गया है।

अमेरिका ने 3 अप्रैल को भारत सहित दुनिया के सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया।

3. जंग के हालात में भारत का खुलकर समर्थन न करना

भारत-पाकिस्तान के बीच जंग के हालात में ट्रम्प का रवैया किसी भी सूरत में भारत के समर्थन वाला नहीं रहा। उन्होंने आतंकवादी हमला और भारत की आतंकियों पर स्ट्राइक को एक ही तराजू पर तौला। साथ ही सीजफायर पर भी भारत की स्टैंडिंग से अलग बयान दिए।

4. भारत में एपल की फैक्ट्रियां नहीं लगने देना चाहते

ट्रम्प ने 15 मई को दोहा में एक कार्यक्रम में बताया कि उन्होंने एपल के CEO टिम कुक से कहा है कि उन्हें भारत में फैक्ट्रियां नहीं लगानी चाहिए। ट्रम्प ने कहा-

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टिम, तुम मेरे दोस्त हो, मैंने तुम्हारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। तुम 500 बिलियन डॉलर लेकर आ रहे हो, लेकिन अब मैं सुन रहा हूं कि तुम पूरे भारत में प्रोडक्शन कर रहे हो। मैं नहीं चाहता कि तुम भारत में प्रोडक्शन करो।

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15 मई को दोहा में ट्रम्प ने बताया कि वे नहीं चाहते हैं कि भारत में एपल की फैक्ट्रियां लगें।

सवाल-3: पीएम मोदी को फ्रेंड बताकर भारत को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं डोनाल्ड ट्रम्प?

जवाबः BHU में UNESCO चेयर फॉर पीस एंड इंटर-कल्चरल अंडरस्टैंडिंग के प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय कहते हैं- ‘ट्रम्प कि पॉलिसी ही यह है कि वह किसी को अपना परमानेंट दोस्त या दुश्मन नहीं मानते। चीन के साथ टैरिफ विवाद पर मरने-मारने को उतर आए, लेकिन अब समझौता कर लिया। ट्रम्प जब अगली बार पीएम मोदी से मिलेंगे तो उनकी बहुत तारीफ करेंगे, गले मिलेंगे, लेकिन करेंगे वही जो उन्हें करना होगा।’

प्रियंकर उपाध्याय के मुताबिक, ‘ट्रम्प राजनेता से ज्यादा एक बिजनेसमैन हैं, जो अपना फायदा-नुकसान देखकर ही काम करते हैं। वह ‘अमेरिका फर्स्ट’ की पॉलिसी को तवज्जो देते हैं।’

वहीं JNU में इंटरनेशनल रिलेशंस के एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक-

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ट्रम्प भारत को बैलेंस ऑफ पावर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें चीन के विरोध में एक शक्तिशाली देश चाहिए, जोकि भारत है। वह पाकिस्तान को भी पूरी तरह चीन की गोद में नहीं जाने देना चाहते। साथ ही उन्हें चीन से व्यापारिक फायदा भी है, इसलिए वह उससे भी संबंध रख रहे हैं।

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राजन कुमार के मुताबिक ट्रम्प ने टिम कुक से iPhone मैन्युफेक्चरिंग भारत में ना करने भी इसलिए कहा क्योंकि उनका फोकस अपने देश में इंडस्ट्री को प्रमोट करना है। भारत को लग रहा था कि चीन में ज्यादा टैरिफ के कारण इंडस्ट्री भारत आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं है। अमेरिका अपने देश में यह इंडस्ट्री लगाने पर जोर देगा।

सवाल-4: ट्रम्प के सामने भारत ने अभी तक क्या पॉलिसी अपनाई है?

जवाबः चाहे टैरिफ का मुद्दा हो या हालिया भारत-पाक संघर्ष… भारत की स्ट्रैटजी अमेरिका के साथ पर्दे के पीछे नेगोशिएशन की है। भारत फिलहाल ट्रम्प के साथ उलझना नहीं चाहता। PM मोदी ने अपने अमेरिका दौरे पर कहा था, ‘हम राष्ट्रीय हित से समझौता नहीं करेंगे, लेकिन अमेरिका के साथ साझेदारी बढ़ाएंगे।’

प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय के मुताबिक-

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भारत के पीएम मोदी भी चतुर राजनयिक की तरह सभी को अपना दोस्त बताते हैं। वह भी किसी को अपना दुश्मन नहीं बताते। अमेरिका में मोदी की BJP ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी से ज्यादा लगाव महसूस करती है।

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प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच कोई जियो-पॉलिटिकल मुद्दा नहीं है। अमेरिका भारत को एक पार्टनर की तरह देखता है। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय प्रवासियों के मुद्दे या किसी व्यापारिक मामले पर भारत, अमेरिका से बातचीत के जरिए मतभेद सुलझाने पर काम करता आया है।

14 फरवरी को वॉशिंगटन डीसी के ओवल ऑफिस में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की थी।

सवाल-5: क्या अब अमेरिका को लेकर भारत को अपनी स्ट्रैटजी में कुछ बदलाव करना चाहिए?

जवाबः प्रोफेसर राजन कुमार के मुताबिक, अमेरिका से अच्छे संबंंध रखना भारत की मजबूरी है। चीन उसके खिलाफ खड़ा हुआ है। ऐसे में जियो-पॉलिटिकल स्थितियां बैलेंस करने के लिए भारत को अमेरिका से अच्छे संबंध रखने ही होंगे। वहीं अमेरिका, चीन और पाकिस्तान की तुलना में भारत से ज्यादा करीब है। भारत को अगर पाकिस्तान से कोई लड़ाई लड़नी है तो उसे अपने दम पर लड़नी चाहिए, अमेरिका के जरिए नहीं।

हालांकि डिफेंस एक्सपर्ट अजय साहनी का मानना है कि आप ट्रम्प के सामने अगर खड़े नहीं होंगे तो ट्रम्प अपनी जगह बनाएंगे ही। आप उन्हें जगह देंगे तो वह फैलते जाएंगे। ट्रम्प बिना बुलाए तो भारत-पाकिस्तान मुद्दे में नहीं आए। उनके जरिए ही भारत पाकिस्तान सीजफायर के बारे में बात कर रहे थे। अगर ऐसा नहीं है और सिर्फ DGMO स्तर पर बात हुई है, तो ट्रम्प के शामिल होने की बात को झुठलाना चाहिए।

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10 मई की शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बयान सामने आया। उन्होंने कहा- “मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि अमेरिका की तरफ से पूरी रात की बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान तत्काल पूरी तरह से सीजफायर के लिए तैयार हो गए हैं।” पूरी खबर पढ़िए…

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