आज का एक्सप्लेनर: नीली वैगनआर छोड़ ग्लोस्टर चुनी, बच्चों की कसम खाकर भी पलटे; केजरीवाल से भरोसा उठा तो दिल्ली में AAP दो-तिहाई सिमटी

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आज का एक्सप्लेनर:  नीली वैगनआर छोड़ ग्लोस्टर चुनी, बच्चों की कसम खाकर भी पलटे; केजरीवाल से भरोसा उठा तो दिल्ली में AAP दो-तिहाई सिमटी
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आज का एक्सप्लेनर: नीली वैगनआर छोड़ ग्लोस्टर चुनी, बच्चों की कसम खाकर भी पलटे; केजरीवाल से भरोसा उठा तो दिल्ली में AAP दो-तिहाई सिमटी

2014 की सर्दियों के दिन थे। राजधानी दिल्ली में एक नीली वैगनआर कार अचानक सुर्खियों में आ गई। ये नए नवेले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सवारी थी। उनका कहना था कि ‘मैं वैगनआर जैसी सामान्य कार का इस्तेमाल करूंगा। मैं आम आदमी की तरह रहकर काम करूंगा।’

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धीरे-धीरे नीली वैगनआर की जगह इनोवा, फॉर्च्यूनर और ग्लोस्टर जैसी महंगी कारें लेती रहीं। उनका सरकारी बंगला भी बड़ा और लग्जूरियस होता गया। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से बनी पार्टी खुद भ्रष्टाचार में फंस गई। पिछले 15 सालों में केजरीवाल की पब्लिक और राजनीतिक जिंदगी ऐसे विरोधाभासों से भरी पड़ी है।

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5 अप्रैल 2011… दिल्ली के जंतर-मंतर पर अन्ना हजारे ने संसद से जन लोकपाल विधेयक पारित करने की मांग के साथ भूख हड़ताल शुरू कर दी। अरविंद केजरीवाल को अन्ना का ‘अर्जुन’ कहा जाने लगा। सिर पर सफेद रंग की ‘आइ एम अन्ना’ लिखी टोपी और जुबान पर भ्रष्टाचार विरोधी नारे।

ढीली-ढाली शर्ट-पेंट और पैरों में हवाई चप्पल। केजरीवाल सरकारी नौकरी छोड़कर समाजसेवा में जुटे थे। सरकारी घर छोड़कर झोपड़-पट्टी में रहने लगे थे। वो आम आदमी के बीच के लगते। अन्ना का अनशन तो 16 महीनों में खत्म हो गया, लेकिन केजरीवाल की नई पारी शुरू हो गई। इसके साथ ही उनके विरोधाभासों की फेहरिस्त भी…

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2011 में अनशन के दौरान अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल।

1. केजरीवाल ने कहा- मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं, फिर AAP लॉन्च कर दी 3 अगस्त 2012… अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल खत्म की। अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘मैं कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बनाऊंगा। मैं अपने जीवन में कभी चुनाव नहीं लड़ूंगा। मैं अपने जीवन में कोई पद नहीं लेना चाहता। मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है।’

दिल्ली वालों के बीच केजरीवाल की दीवानगी बढ़ गई। दशकों बाद दिल्ली ऐसा समाजसेवी देख रही थी, जिसे सत्ता का लालच नहीं था, लेकिन यह भरम ज्यादा समय तक कायम नहीं रहा।

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विरोधाभास: 2 अक्टूबर 2012 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हजारों की भीड़ जमा थी। समाजसेवी अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी यानी AAP की घोषणा की। केजरीवाल ने कहा, ‘यह जगह भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जानी जाती है, आम आदमी पार्टी का उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करना है और देश में अच्छे प्रशासन की स्थापना करना है।’

2 अक्टूबर 2012 को पार्टी के ऐलान के समय गीत गाते केजरीवाल।

26 नवंबर 2012 को केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी नाम से नई राजनीतिक पार्टी लॉन्च कर दी। केजरीवाल ने कहा,

सभी पार्टियों ने धोखा दिया है। सभी पार्टियां पर्दे के पीछे से एक-दूसरे की मदद करती हैं। जब तक राजनीति नहीं बदलेगी तब तक भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिल सकती। इसलिए हमने मजबूरी में AAP का गठन किया।

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केजरीवाल ने पहली बार अपना नैतिक विचार तोड़ा। राजनीति से परहेज करने वाले केजरीवाल ने खुद की पार्टी ही बना ली। इससे अन्ना की टीम में दरार पड़ गई। अन्ना हजारे, किरण बेदी, संतोष हेगड़े समेत अन्य लोगों ने केजरीवाल से नाता तोड़ लिया।

2. बच्चों की कसम खाकर कहा कि कांग्रेस से नहीं जुडूंगा, फिर उसी के समर्थन से CM बने ‘मैं अपने बच्चों की कसम खाता हूं कि हम बीजेपी या कांग्रेस में से किसी का समर्थन नहीं करेंगे क्योंकि लोग उनके खिलाफ वोट करेंगे। मैं सत्ता का भूखा नहीं हूं। हम गठबंधन सरकार नहीं बनाएंगे क्योंकि हम बीजेपी या कांग्रेस के साथ गठबंधन करके भ्रष्टाचार को खत्म नहीं कर सकते।’

25 नवंबर 2013 को दिल्ली में चुनावी रैली के दौरान केजरीवाल ने यह लफ्ज कहे। 8 दिसंबर 2013 को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो AAP ने कुल 70 में से 28 सीटें जीतीं। कांग्रेस ने 8 और बीजेपी को 31 सीटें मिलीं। अब सरकार बनाने के लिए AAP को कांग्रेस का समर्थन चाहिए था। इसी के साथ केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम तोड़ दी।

विरोधाभास: 18 दिसंबर 2013 को अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करते हुए कहा,

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हमने कांग्रेस से समर्थन लिया है क्योंकि हमारी प्राथमिकता दिल्ली की जनता के हित में काम करना है। हम कांग्रेस के समर्थन के बदले में कोई विशेष समझौता या शर्तों को स्वीकार नहीं करेंगे।

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28 दिसंबर 2013 को अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने कांग्रेस की शीला दीक्षित की 15 साल की सत्ता पलट दी। बीजेपी ने केजरीवाल पर बच्चों की झूठी कसम खाने के आरोप लगाए। यह दूसरी बार था जब केजरीवाल ने नैतिक वादा तोड़ दिया।

28 दिसंबर 2013 को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

3. वैगनआर में सफर करने की बात कही और ग्लोस्टर में नजर आने लगे 28 दिसंबर 2013 को दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘मैं किसी भी प्रकार की VIP संस्कृति को बढ़ावा नहीं दूंगा। मैं न तो लाल बत्तियों वाली गाड़ी में सफर करूंगा, न ही कोई विशेष सुविधाएं लूंगा। मैं वैगनआर जैसी सामान्य कार का ही इस्तेमाल करूंगा। मैं आम आदमी की तरह रहकर काम करूंगा।’

विरोधाभास: दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के दो दिन बाद यानी 30 दिसंबर 2013 को ही केजरीवाल ने 5 कमरों वाले 2 आधिकारिक बंगलों की मांग कर दी। 2015 में दोबारा चुनाव जीतने के बाद केजरीवाल फॉर्च्यूनर, इनोवा और ग्लोस्टर जैसी महंगी कारों में नजर आए।

2013 में वैगनआर कार के अंदर अरविंद केजरीवाल (दाएं)।

4. पांच साल में 4 बार सीएम की कुर्सी छोड़ने का ऐलान किया, लेकिन डटे रहे

2014: अगर हम अपने वादों पर खरे नहीं उतरते हैं तो मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दूंगा।

2015: अगर मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने में विफल रहता हूं या अगर मेरी सरकार ने कोई भ्रष्टाचार किया, तो मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दूंगा।

2017: अगर प्रदूषण और स्मॉग के खिलाफ मेरी सरकार के प्रयासों के परिणाम नहीं आए, तो मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ने पर विचार करूंगा।

2018: अगर दिल्ली में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई, तो मैं सीएम की कुर्सी छोड़ दूंगा।

विरोधाभास: 5 सालों में केजरीवाल ने 4 बार सीएम की कुर्सी छोड़ने की बात कही, लेकिन अमल नहीं किया। हालांकि 14 फरवरी 2014 को केजरीवाल ने इस्तीफा दिया था क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट से हराना चाहते थे, लेकिन वे खुद हार गए। इसके बाद 2015 में दिल्ली में दोबारा चुनाव हुए और AAP को 70 में से 62 सीटें मिलीं।

2015 में अरविंद केजरीवाल ने दूसरी बार दिल्ली के सीएम पद की शपथ ली।

5. कभी झोपड़-पट्टी में रहे केजरीवाल, ‘शीशमहल’ पहुंच गए 14 फरवरी 2015 को दिल्ली में चुनावी सभा में केजरीवाल ने कहा, ‘मैं अपनी औकात जानता हूं। आज मेरे घर में 4-5 कमरे हैं। मैं जहां भी जाऊं, मुझे 4-5 कमरों से ज्यादा की क्या जरूरत है, लेकिन मुझे एक ऑफिस तो चाहिए ही, नहीं तो एक मुख्यमंत्री कैसे काम कर सकता है।’

अरविंद केजरीवाल के क्लासमेट प्राण कुरूप ने बताया,

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मैं दिल्ली के सुंदर नगरी इलाके में अरविंद से मिलने लगा। ये झोपड़-पट्‌टी वाला इलाका था। मैं यकीन नहीं कर पा रहा था कि मेरा आईआईटीयन दोस्त जो इंडियन रेवन्यू सर्विस में था वो झोपड़-पट्‌टी में रह रहा था।

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कभी झोपड़-पट्‌टी में रहे केजरीवाल ने अपनी छवि आम आदमी वाली ही बनाई। दिल्ली के सीएम बनने के बाद उन्होंने छोटे घर की बात ही दोहराई, लेकिन 2020 में कोविड आते-आते उनका घर शीशमहल में बदल गया।

विरोधाभास: मई 2023 में पहली बार ‘शीशमहल’ का मामला सामने आया। जब दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने CBI डायरेक्टर प्रवीण सूद को चिट्ठी लिखकर सीएम हाउस रेनोवेशन मामले की जांच का काम सौंपा।

9 दिसंबर 2024 को बीजेपी ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें दिल्ली के सीएम हाउस का आलीशान इंटीरियर दिखाया गया। बीजेपी ने दिल्ली में 6, फ्लैग रोड पर बने सीएम हाउस को शीशमहल कहा है। ये दिल्ली के मुख्यमंत्री का सरकारी आवास है, जहां 2015 से 2024 तक दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल रहते थे।

बीजेपी ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने सीएम रहते हुए मुख्यमंत्री आवास में रेनोवेशन के लिए 45 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। शीशमहल में 4 करोड़ रुपए के सिर्फ पर्दे लगे। 64 लाख रुपए की स्मार्ट टीवी और 10 लाख रुपए का सोफा समेत कई लग्जूरियस आइटम थे।

6. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले केजरीवाल, शराब नीति घोटाले में फंसे तो इस्तीफा दिया 9 सितंबर 2021 को दिल्ली सचिवालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केजरीवाल ने कहा, ‘अगर मेरे ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का कोई सबूत मिला, तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। मेरी सरकार में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं।’

2021 में दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति लागू की थी, इसमें घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे। दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना की सिफारिश पर सीबीआई और ईडी ने मामले दर्ज किए। सितंबर 2022 में सरकार ने शराब नीति वापस ले ली। नवंबर 2023 से मार्च 2024 तक ईडी ने केजरीवाल को नौ समन जारी किए, केजरीवाल एक भी बार नहीं पहुंचे।

21 मार्च 2024 को ईडी ने उन्हें उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। 28 मार्च को केजरीवाल को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। 10 मई को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें 21 दिन की जमानत मिली। 2 जून को उन्हें फिर दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया। 20 जून को केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट से तो जमानत मिल गई, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।

विरोधाभास: केजरीवाल पर सीएम पद छोड़ने का प्रेशर बनने लगा। केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देने पर अड़े रहे। वे 177 दिन जेल में रहे और सरकार चलाई। सीबीआई के मामले में 13 सितंबर को जमानत मिलने के बाद ही वह जेल से बाहर आ सके।

आखिरकार 15 सितंबर को केजरीवाल ने समर्थकों से कहा,

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मैं सीएम की कुर्सी से इस्तीफा देने जा रहा हूं और मैं तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा जब तक जनता अपना फैसला न सुना दे।

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15 सितंबर 2024 को केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा दिया।

सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई का कहना है कि केजरीवाल की दिल्ली चुनाव में हार की वजह इकलौती वजह नैतिक बयानों से पलटना नहीं है। इस मामले में सभी राजनीतिक दल एक समान हैं। कोई भी नेता सत्ता में आने के बाद अपनी लाइफस्टाइल बदल ही लेता है। महंगी गाड़ियां, महंगे कपड़े और आलीशान घर में रहना पसंद करता है।

विरोधाभासों के साथ केजरीवाल की हार की बड़ी वजह अधूरे वादे हैं। यमुना की सफाई, सड़कों का डेवलपमेंट और स्वच्छ पेयजल जैसे वादे पूरे नहीं कर पाए। जनता ने इसी वजह से केजरीवाल को सत्ता से हटा दिया।

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रिसर्च सहयोग- गंधर्व झा

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