आगरा में शुरू हुई तीन दिन की यूपीकॉन 2025: पहले दिन हुई वर्कशॉप्स, नई तकनीकों का दिया गया प्रशिक्षण – Agra News h3>
पहले दिन यूपीकॉन में हुई वर्कशॉप्स का उदघाटन करते आयोजन समिति के सदस्य
आगरा में एसएन मेडिकल कॉलेज के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग व एओजीएस द्वारा 36वें यूपीकॉन 2025 की शुरुआत शुक्रवार से हुई। पहले दिन वर्कशॉप्स हुईं। जिसमें विशेषज्ञों ने प्रजनन, बांझपन, कॉस्मेटिक एंड स्थेटिक गाइनी, अट्रासाउंड, पीपीएच, क्रिटिकल केयर पर चर्
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डमी पर डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया गया
वर्कशॉप में विशेषज्ञों ने डमी पर प्रजनन, बांझपन, कॉस्मेटिक एंड स्थेटिक गाइनी, अट्रासाउंड, पीपीएच, क्रिटिकल केयर जैसे विषयों का अभ्यास कराया। रवि वुमेन हॉस्पीटल में एंडोस्कोपी वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में आयोजन समिति की डॉ. शिखा सिंह डॉ. निधि गुप्ता, डॉ. आरती मनोज, डॉ. सीमा सिंह, डॉ. अनुपम गुप्ता, डॉ. सुषमा गुप्ता, डॉ. पूनम यादव, डॉ. निहारिका मल्होत्रा डॉ. रत्ना शर्मा, डॉ. हेमा सडाना, डॉ. मनीषा गुप्ता, डॉ. नीलम रावत, डॉ. मोहिता पैंगोरिया, डॉ. मीनल जैन, डॉ. उर्वशी, डॉ. अनु पाठक, डॉ. अभिलाषा यादव, डॉ. आकांक्षा गुप्ता, डॉ. रत्ना शर्मा, डॉ. सविता त्यागी, डॉ. कीर्ति दुबे, भारती माहेश्वरी आदि उपस्थित थीं।
डॉ.महेश गुप्ता ने अपने पेटेंट की जानकारी दी
नहीं होंगी ब्लीडिंग से मौत प्रसव के दौरान अधिक ब्लीडिंग(पीपीएच) होने से एक लाख में 90 महिलाओं का मौत हो जाती है। अक्सर ऐसे मामलों में प्रसूता की जान बचाने के लिए गर्भाशय निकालना पड़ता है। लेकिन अब ऐसी कई नई तकनीकें (बच्चेदानी में टांके लगाना, बैलून) मौजूद हैं, जिससे गर्भाशय को बचाया जा सकता है। अहमदाबाद के डॉ. महेश गुप्ता ने भारत सरकार में पैटेंट अपनी (comoc-mg) तकनीक पर व्याख्यान के दौरान बताया कि (comoc-mg) तकनीक से गर्भाशय निकाले बिना शत प्रतिशत महिला की जान को बचाया जा सकता है। इसके लिए डॉ. महेश देश विदेश में डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने का काम भी कर रहे हैं।
डॉ. उषा शर्मा ने कहा कि नसबंदी जरूरी है
जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना जरूरी अब तक चार लाख से अधिक नसबंदी कर चुकी पद्मश्री डॉ. उषा शर्मा ने कहा कि हमें महिला स्वास्थ के साथ जनसंख्या नियंत्रण पर भी ध्यान देना होगा। भारत में विकास हो रहा है, परन्तु अनियंत्रित जनसंख्या के कारण वह प्रभावशाली नहीं हो पाता। सरकार को बड़े परिवारों में सुविधाएं देना (फ्री राशन, नौकरी में प्रमोशन, आरक्षण) कम कर देना चाहिए। छोटे परिवार वालों को अधिक सुविधाएं मिले तो लोगों में जागरूकता बढ़ेगी। 70 के दशक में नसबंदी कराने में पुरुषों का प्रतिशत केवल 2-3 ही था। आज लगभग 10-12 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि नसबंदी के लिए कैफेटेरिया एप्रोच के साथ काउंसिलिंग की जानी चाहिए थी। ऐसा नहीं हुआ, देश के लिए बढ़ती जनसंख्या एक बडी समस्या है, इसे नसबंदी से रोका जा सकता है।
डॉ. सुनीता तेंदुलवाडकर करेंगी कार्यशाला का शुभारंभ कार्यशाला का आधिकारिक उद्घाटन 22 मार्च को सुबह 11.30 बजे मुख्य अतिथि डॉ. सुनीता तेंदुलवाडकर व विशिष्ठ अतिथि एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रशान्त गुप्ता करेंगे। जिसमें उप्र के विभिन्न शहरों के अलावा दिल्ली, रोहतक, फरीदाबाद, जयपुर, मुम्बई, अहमदाबाद, नागपुर, चैन्नई, मनीपाल बैंगलुरु, भोपाल, इंदौर, शिमला, भुवनेश्वर से प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया जाएगा।