आगरा आए कोटा फैक्ट्री के रियल जीतू भइया: बच्चों और पेरेंट्स बोले- प्रेशर से काम नहीं चलेगा, टार्गेट पर पहुंचना जरूरी – Agra News h3>
मोटीवेशनल स्पीकर नितिन विजय ने कहा कि अपने लक्ष्य से भटको नहीं
अरे समझ आया या नहीं….लक्ष्य पाना है तो संघर्ष करना है…संघर्ष के लिए डरो नहीं…लड़ो, जब तक सफलता न मिल जाए….इन पंक्तियों के साथ मोटीवेशनल स्पीकर नितिन विजय आगरा में जेईई, नीट की तैयारी करने बच्चों से मुखातिब हुए।
.
कोटा फैक्ट्री वेब सीरिज में जीतू भइया का किरदार नितिन विजय पर ही बना है। सूरसदन में आयोजित सेशन में छात्र अपने माता-पिता के साथ आए थे। आंखों में सपने थे, सफलता की राह पर चलने का जुनून था। दैनिक NEWS4SOCIALने जाना ऐसे ही छात्रों और उनके माता पिता से कि समाज, माता-पिता की इच्छा और कोचिंग कल्चर कितना प्रभावित करता है।
नितिन विजय के सेशन को अटैंड करने पहुंचे पेरेंट्स और छात्र
हमने अपने बेटे पर दबाव नहीं बनाया शमसाबाद से सक्षम गुप्ता अपने माता-पिता के साथ आए थे। सक्षम नीट की तैयारी करना चाहते हैं। कहते हैं कि खुद का मन है कि मैं तैयारी करूं। माता-पिता ने दबाव नहीं बनाया। सक्षम का कहना है कि बोर्ड एग्जाम में 6-7 घंटे पढ़ता था। अब 12-15 घंटे स्मार्ट पढ़ाई करूंगा।
वहीं उनके पिता प्रदीप गुप्ता का कहना है कि हमने अपने बेटे पर दबाव नहीं बनाया। बच्चे ने ही इच्छा जाहिर की है। अगर वो नहीं कर पाता है तो हमारा बिजनेस संभालेगा। नंबर कम आए तो भी कोई गम नहीं है। सक्षम की मां का कहना है कि यहीं रहकर पढ़ाई करेगा। हमारी तरफ से कोई प्रेशर नहीं है।
प्रवीन भी नीट की तैयारी करने की इच्छा रखते हैं। एनवी सर को सुनने के बाद प्रवीन का कहना है कि क्यों और कैसे का रास्ता समझना है। नीट क्यों करनी है और कैसे करनी है। 10वीं के लिए 8-9 घंटे पढ़े थे, लेकिन अब उससे ज्यादा पढ़ाई करनी है। 12-13 घंटे पढ़ने का लक्ष्य है। मेरी मम्मी ने पूछा था कि क्या करना है। मेरी इच्छा पर उन्होंने हामी भरी।
अपने बेटे के साथ आए जेपी गौतम का कहना है कि कोचिंग कल्चर हावी हो गया है। स्कूल की बजाय कोचिंग जाते हैं। कोचिंग में एकाउंटेबिलिटी नहीं है। बच्चे के कम नंबर आ रहे हैं तो भी मतलब नहीं है। कोचिंग सेंटर्स क्रीम को फोकस करते हैं।
कोटा में बहुत ज्यादा प्रेशर है। बच्चों को सपने दिखाते हैं। बच्चे प्रेशर नहीं झेल पाते हैं। तभी वो गलत कदम उठाते हैं। कोचिंग सेंटर्स बताएं कि कितने बच्चों ने एडमिशन लिया और कितने सफल हुए।
मेरे अंदर क्षमता और हिम्मत है शमसाबाद के अपूर्व का कहना है कि वो कोटा जाकर पढ़ाई करना चाहते हैं। वहां के प्रेशऱ् को झेल लेंगे। इतनी क्षमता और हिम्मत है। अकेले रहेंगे कोई दिक्कत नहीं है। अगर सफलता नहीं मिलती है तो आगरा से ही डिप्लोमा कर लेंगे।
अपने बेटे के साथ आए दिगंबर सिंह का कहना है कि बेटा ही इंजीनियरिंग करना चाहता है। हमारी तरफ से कोई प्रेशर नहीं है। बस, माता-पिता अपने बच्चे का साथ दें। उन पर दबाव न बनाएं। माता-पिता सपोर्ट करें।
अपने बेटे के साथ आई हेमलता ने बताया कि हमने अपने बच्चे पर प्रेशर नहीं डाला। कोटा जाने की कह रहा था, लेकिन कोटा का माहौल हमें नहीं अच्छा लगता। घर पर ही बच्चा रहकर मेहनत करे। बच्चे पर कोई दबाल न बनाएं। अंकों पर नहीं बल्कि बच्चे की योग्यता पर ध्यान दें। नंबर कुछ नहीं होते।
सुनैना का कहना है कि एनवी सर को सुनकर मोटीवेशन मिलता है। प्रेशर पहले था, लेकिन सुनने के बाद सब क्लीयर हो गया। टार्गेट पर चलो। मनी का कहना है कि बच्चे पर प्रेशर होता है। पेरेंट्स मोटीवेट करें तो अच्छा लगता है। पेरेंट्स का ही बच्चे को साथ चाहिए होता है। मुस्कान का कहना है कि फैमिली के साथ रहकर तैयारी करनी चाहिए। पेरेंट्स के साथ माहौल अलग होता है।