अलविदा 2023 : सबके सिर चढ़ बोल रहा ग्लास ब्रिज का आकर्षण, नहीं मिल रहा टिकट h3>
अलविदा 2023 : नालंदा में पर्यटन को मिली उड़ान, लाखों सैलानी आते रहते हैं सालोंभर
सैलानियों के सिर चढ़ बोल रहा ग्लास ब्रिज का आकर्षण, नहीं मिल रहा टिकट
3 साल में बदल गयी राजगीर की तस्वीर, नेचर सफारी व जू सफारी देख अचंभित हो रहे लोग
घोड़ाकटोरा में ग्रीन पार्क बनाने की चल रही तैयारी
वर्ष 2024 में पार्क निर्माण का काम हो सकता है शुरू
फोटो :
नेचर 01 : राजगीर शहर का विहंगम दृश्य।
नेचर 02 : राजगीर का ग्लास ब्रिज।
नेचर 03 : संध्या में घोड़ा कटोरा का मनोरम नजारा।
बिहारशरीफ, निज संवाददाता।
नालंदा की धरती के कण-कण में इतिहास छुपा है। नालंदा, तेल्हाड़ा, राजगीर, कुंडलपुर, पावापुरी समेत कई स्थानों की ऐतिहासिकता अपने आप में एक मिसाल है। लेकिन, पर्यटन के क्षेत्र में हाल के तीन साल में सबसे अधिक विकास राजगीर में हुआ है। इस कारण पर्यटकों व सैलानियों का यहां सालोंभर आना-जाना भी काफी बढ़ा है।
राजगीर का ग्लास ब्रिज (स्काई वॉक) का आकर्षण पर्यटकों के सिर चढ़कर बोल रहा है। यहां आए लोग एक बार ग्लास ब्रिज का दीदार अवश्य करना चाहते हैं। हालांकि, कुछ ही लोगों को इस पर चढ़ने व टहलने का मौका मिलता है। तीन साल में राजगीर की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। यहां की पंच वादियों में बनी नेचर सफारी व जू सफारी देख लोग अचंभित हो रहे हैं। जिस जंगल में लोग कल तक जाने से डरते थे। अब वहीं जंगल पर्यटकों से गुलजार रहने लगा है। यहां तक कि सैकड़ों लोगों को इसका टिकट भी नहीं मिल पाता है। वे बाहर से ही मनोरम प्रकृति का दर्शन कर व सेल्फी लेकर खुद को भाग्यवान समझते हैं।
घोड़ाकटोरा में जलाशय के पास ग्रीन पार्क बनाने की योजना बनायी जा रही है। यह योजना वर्ष 2024 में धरातल पर उतर सकती है। समाजसेवी श्याम सुंदर प्रसाद, चंद्रसेन प्रसाद, मनोज कुमार व अन्य कहते हैं कि जिले में सबसे अधिक विकास राजगीर का हुआ है। यहां अब भी पर्यटन के क्षेत्र में विकास की काफी संभावनाएं हैं। यहां दो रोपवे चल रहे हैं। फिर दो ग्लास ब्रिज भी बनाये जा सकते हैं। सस्पेंशन ब्रिज, साइक्लिंग, साइक्लोपियन वॉल, आरआईसीसी, पुलिस एकेडमी समेत कई स्थल आकर्षण के केंद्र हैं।
वैतरणी घाट नये अवतार में :
राजगीर में आए लोग एक बार वैतरणी अवश्य पार करना चाहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस नदी में गाय की पूंछ पकड़कर पार कर लेने भर से आदमी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसका आकर्षण भी समय के साथ बढ़ता जा रहा था। वर्ष 2022 में जिला प्रशासन ने वैतरणी घाट का कायाकल्प कर इसे काफी मनोरम बना दिया। इसके साथ ही सरस्वती कुंड का भी कायाकल्प किया गया। यहां आए लोग एक बार इसके पानी से खुद को अवश्य शुद्ध करते हैं।
सम्राट जरासंध पार्क का निर्माण होगा पूरा :
वर्ष 2024 भी राजगीर के लिए उम्मीदों भरा रहने वाला है। पहाड़ पर बाबा सिद्धनाथ मंदिर का निर्माण काम शुरू हो चुका है। युद्ध स्तर पर सम्राट जरासंध पार्क का निर्माण चालू है। वहां उनकी अष्टधातु से निर्मित आदमकद प्रतिमा स्थापीत की जानी है। उनकी जीवनी पर आधारित आर्ट गैलरी भी बनायी जा रही है। 117 साल बाद अजातशत्रु किला मैदान की खुदाई शुरू हुई है। इसमें ऐतिहासिकता का नया अध्याय खुलेगा।
किला मैदान में मिले थे स्तूप व पिलर :
किला मैदान में स्तूप के 100 यार्ड पर स्नानागार व 50 फीट का पिलर मिला था। सातवीं सदी में आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी यात्रा वृतांत में इसकी चर्चा की है। बाहरी राजगृह को आंतरिक राजगृह से अलग करने के लिए 15 से 18 फीट मोटी दीवार थी। देश के 16 महाजनपदों में सबसे मजबूत शासन मगध का था। इसकी राजधानी प्राचीन राजगृह थी। महाभारत काल के इतिहास से लेकर कई साम्राज्यों और वंशों के साथ वर्तमान अवधि के इतिहास इस किले में दफन हैं। खुदाई से इनका खुलासा होगा। कई काल खंड के पौराणिक अवशेष व साक्ष्य मिल सकते हैं। इससे पर्यटन को भी नई ऊंचाई मिलेगी।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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अलविदा 2023 : नालंदा में पर्यटन को मिली उड़ान, लाखों सैलानी आते रहते हैं सालोंभर
सैलानियों के सिर चढ़ बोल रहा ग्लास ब्रिज का आकर्षण, नहीं मिल रहा टिकट
3 साल में बदल गयी राजगीर की तस्वीर, नेचर सफारी व जू सफारी देख अचंभित हो रहे लोग
घोड़ाकटोरा में ग्रीन पार्क बनाने की चल रही तैयारी
वर्ष 2024 में पार्क निर्माण का काम हो सकता है शुरू
फोटो :
नेचर 01 : राजगीर शहर का विहंगम दृश्य।
नेचर 02 : राजगीर का ग्लास ब्रिज।
नेचर 03 : संध्या में घोड़ा कटोरा का मनोरम नजारा।
बिहारशरीफ, निज संवाददाता।
नालंदा की धरती के कण-कण में इतिहास छुपा है। नालंदा, तेल्हाड़ा, राजगीर, कुंडलपुर, पावापुरी समेत कई स्थानों की ऐतिहासिकता अपने आप में एक मिसाल है। लेकिन, पर्यटन के क्षेत्र में हाल के तीन साल में सबसे अधिक विकास राजगीर में हुआ है। इस कारण पर्यटकों व सैलानियों का यहां सालोंभर आना-जाना भी काफी बढ़ा है।
राजगीर का ग्लास ब्रिज (स्काई वॉक) का आकर्षण पर्यटकों के सिर चढ़कर बोल रहा है। यहां आए लोग एक बार ग्लास ब्रिज का दीदार अवश्य करना चाहते हैं। हालांकि, कुछ ही लोगों को इस पर चढ़ने व टहलने का मौका मिलता है। तीन साल में राजगीर की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। यहां की पंच वादियों में बनी नेचर सफारी व जू सफारी देख लोग अचंभित हो रहे हैं। जिस जंगल में लोग कल तक जाने से डरते थे। अब वहीं जंगल पर्यटकों से गुलजार रहने लगा है। यहां तक कि सैकड़ों लोगों को इसका टिकट भी नहीं मिल पाता है। वे बाहर से ही मनोरम प्रकृति का दर्शन कर व सेल्फी लेकर खुद को भाग्यवान समझते हैं।
घोड़ाकटोरा में जलाशय के पास ग्रीन पार्क बनाने की योजना बनायी जा रही है। यह योजना वर्ष 2024 में धरातल पर उतर सकती है। समाजसेवी श्याम सुंदर प्रसाद, चंद्रसेन प्रसाद, मनोज कुमार व अन्य कहते हैं कि जिले में सबसे अधिक विकास राजगीर का हुआ है। यहां अब भी पर्यटन के क्षेत्र में विकास की काफी संभावनाएं हैं। यहां दो रोपवे चल रहे हैं। फिर दो ग्लास ब्रिज भी बनाये जा सकते हैं। सस्पेंशन ब्रिज, साइक्लिंग, साइक्लोपियन वॉल, आरआईसीसी, पुलिस एकेडमी समेत कई स्थल आकर्षण के केंद्र हैं।
वैतरणी घाट नये अवतार में :
राजगीर में आए लोग एक बार वैतरणी अवश्य पार करना चाहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस नदी में गाय की पूंछ पकड़कर पार कर लेने भर से आदमी को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसका आकर्षण भी समय के साथ बढ़ता जा रहा था। वर्ष 2022 में जिला प्रशासन ने वैतरणी घाट का कायाकल्प कर इसे काफी मनोरम बना दिया। इसके साथ ही सरस्वती कुंड का भी कायाकल्प किया गया। यहां आए लोग एक बार इसके पानी से खुद को अवश्य शुद्ध करते हैं।
सम्राट जरासंध पार्क का निर्माण होगा पूरा :
वर्ष 2024 भी राजगीर के लिए उम्मीदों भरा रहने वाला है। पहाड़ पर बाबा सिद्धनाथ मंदिर का निर्माण काम शुरू हो चुका है। युद्ध स्तर पर सम्राट जरासंध पार्क का निर्माण चालू है। वहां उनकी अष्टधातु से निर्मित आदमकद प्रतिमा स्थापीत की जानी है। उनकी जीवनी पर आधारित आर्ट गैलरी भी बनायी जा रही है। 117 साल बाद अजातशत्रु किला मैदान की खुदाई शुरू हुई है। इसमें ऐतिहासिकता का नया अध्याय खुलेगा।
किला मैदान में मिले थे स्तूप व पिलर :
किला मैदान में स्तूप के 100 यार्ड पर स्नानागार व 50 फीट का पिलर मिला था। सातवीं सदी में आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी अपनी यात्रा वृतांत में इसकी चर्चा की है। बाहरी राजगृह को आंतरिक राजगृह से अलग करने के लिए 15 से 18 फीट मोटी दीवार थी। देश के 16 महाजनपदों में सबसे मजबूत शासन मगध का था। इसकी राजधानी प्राचीन राजगृह थी। महाभारत काल के इतिहास से लेकर कई साम्राज्यों और वंशों के साथ वर्तमान अवधि के इतिहास इस किले में दफन हैं। खुदाई से इनका खुलासा होगा। कई काल खंड के पौराणिक अवशेष व साक्ष्य मिल सकते हैं। इससे पर्यटन को भी नई ऊंचाई मिलेगी।
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