अयोध्या में HRP से जूझ रही 2215 गर्भवती महिलाएं: मसौधा में सर्वाधिक 370 महिलाएं प्रभावित, आयरन-सुक्रोज इंजेक्शन और पोषण पर विशेष ध्यान – Ayodhya News h3>
अयोध्या15 मिनट पहले
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जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 1 से 20 अप्रैल तक की गई जांच में 2,215 गर्भवती महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) की श्रेणी में पाई गई हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इन महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) मुख्य समस्या के रूप में सामने आई है।
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क्षेत्रवार आंकड़ों के अनुसार, मसौधा में सर्वाधिक 370 गर्भवती महिलाएं एचआरपी से प्रभावित हैं। इसके बाद रुदौली में 277, तारन में 273, मवई में 265 और मिल्कीपुर में 264 महिलाएं इस श्रेणी में शामिल हैं। वहीं, बीकापुर में 88, मया बाजार में 80 और खण्डासा में 120 महिलाएं प्रभावित पाई गईं।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के तहत प्रत्येक माह की 1, 9, 16 और 24 तारीख को विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों में आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच करती हैं, जिसमें रक्त परीक्षण और अल्ट्रासाउंड शामिल हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुशील कुमार बनियान ने बताया कि सरकार का मुख्य फोकस सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करना है।
शिविरों में गर्भवती महिलाओं को पोषण युक्त आहार जैसे फल, दूध, हलवा और दलिया प्रदान किया जा रहा है। सभी प्रभावित महिलाओं को आयरन-सुक्रोज इंजेक्शन दिए गए हैं। साथ ही, उन्हें बेहतर खानपान, आराम और नियमित जांच की सलाह दी गई है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान विशेष सतर्कता बरतने से महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी की स्थिति से बच सकती हैं। एचआरपी का जच्चा और बच्चा दोनों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए समय पर जांच, पौष्टिक आहार और चिकित्सीय सलाह का पालन आवश्यक है।
सीएमओ डॉ. सुशील कुमार बनियान ने आश्वासन दिया कि स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए प्रतिबद्ध है। विशेष शिविरों और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की इस पहल से जिले में गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद है, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
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जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 1 से 20 अप्रैल तक की गई जांच में 2,215 गर्भवती महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) की श्रेणी में पाई गई हैं। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इन महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) मुख्य समस्या के रूप में सामने आई है।
क्षेत्रवार आंकड़ों के अनुसार, मसौधा में सर्वाधिक 370 गर्भवती महिलाएं एचआरपी से प्रभावित हैं। इसके बाद रुदौली में 277, तारन में 273, मवई में 265 और मिल्कीपुर में 264 महिलाएं इस श्रेणी में शामिल हैं। वहीं, बीकापुर में 88, मया बाजार में 80 और खण्डासा में 120 महिलाएं प्रभावित पाई गईं।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के तहत प्रत्येक माह की 1, 9, 16 और 24 तारीख को विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों में आशा कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच करती हैं, जिसमें रक्त परीक्षण और अल्ट्रासाउंड शामिल हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुशील कुमार बनियान ने बताया कि सरकार का मुख्य फोकस सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करना है।
शिविरों में गर्भवती महिलाओं को पोषण युक्त आहार जैसे फल, दूध, हलवा और दलिया प्रदान किया जा रहा है। सभी प्रभावित महिलाओं को आयरन-सुक्रोज इंजेक्शन दिए गए हैं। साथ ही, उन्हें बेहतर खानपान, आराम और नियमित जांच की सलाह दी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान विशेष सतर्कता बरतने से महिलाएं हाई रिस्क प्रेगनेंसी की स्थिति से बच सकती हैं। एचआरपी का जच्चा और बच्चा दोनों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए समय पर जांच, पौष्टिक आहार और चिकित्सीय सलाह का पालन आवश्यक है।
सीएमओ डॉ. सुशील कुमार बनियान ने आश्वासन दिया कि स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए प्रतिबद्ध है। विशेष शिविरों और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की इस पहल से जिले में गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद है, जिससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।