अयोध्या में करोड़ों की सरकारी जमीन का फर्जीवाड़ा: फर्जी दस्तावेजों से बैनामा करवा लिया नाम, मुकदमा दर्ज – Ayodhya News

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अयोध्या में करोड़ों की सरकारी जमीन का फर्जीवाड़ा:  फर्जी दस्तावेजों से बैनामा करवा लिया नाम, मुकदमा दर्ज – Ayodhya News
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अयोध्या में करोड़ों की सरकारी जमीन का फर्जीवाड़ा: फर्जी दस्तावेजों से बैनामा करवा लिया नाम, मुकदमा दर्ज – Ayodhya News

बाग बीजेसी क्षेत्र में जमीन का मामला।

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रामनगरी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद जहां एक ओर जमीनों की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं, वहीं दूसरी ओर भू-माफिया सक्रिय हो गए हैं। ताजा मामला अयोध्या कोतवाली के अंतर्गत आने वाले बाग बीजेसी क्षेत्र का है, जहां फर्जी दस्तावेजों के जरिए

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चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा फर्जीवाड़ा रमाकांत पांडे नामक व्यक्ति के नाम पर हुआ, जिसकी अब तक पहचान तक नहीं हो सकी है। प्रशासन को जब इस फर्जी बैनामे की जानकारी हुई तो पूरे जिले में हड़कंप मच गया।

एसडीएम सदर राम प्रकाश तिवारी ने फर्जीवाड़े की पुष्टि करते हुए मुकदमा दर्ज कराया

बताया जा रहा है कि बाग बीजेसी क्षेत्र में स्थित चार अलग-अलग प्लॉटों में बंटी यह जमीन राजस्व अभिलेखों में भीटा बंजर (सरकारी भूमि) के रूप में दर्ज है। लेकिन रमाकांत पांडे नामक शख्स ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर इस पूरी जमीन को अपने नाम बैनामा करा लिया।

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जब राजस्व अधिकारियों ने जांच की तो सामने आया कि न तो रमाकांत पांडे ने कभी तहसील में व्यक्तिगत रूप से हाजिरी दी और न ही उसका अता-पता स्पष्ट है। उसके द्वारा दिया गया पता भी फर्जी निकला।

प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्व परिषद से इस बैनामे की जांच कराई। जांच में पुष्टि हुई कि कागजात फर्जी और कूट रचित हैं। इसके बाद एसडीएम सदर राम प्रकाश तिवारी ने फर्जीवाड़े की पुष्टि करते हुए मुकदमा दर्ज कराया।

उन्होंने बताया कि जमीन की सरकारी श्रेणी भीटा बंजर है, जिसे निजी नाम पर दर्ज नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके, राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से यह जमीन रमाकांत पांडे के नाम बैनामा कर दी गई थी।

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मामले की विभागीय जांच की जिम्मेदारी तहसीलदार धर्मेंद्र सिंह को सौंपी गई है। साथ ही जांच में राजस्व निरीक्षक सुभाष चंद्र मिश्र और रवि प्रकाश श्रीवास्तव की भूमिका संदिग्ध पाई गई है, जिनके खिलाफ जल्द कार्रवाई हो सकती है।

फिलहाल प्रशासन ने फर्जी बैनामे को निरस्त कर दिया है और राजस्व अभिलेखों में दर्ज नाम को हटा दिया गया है। साथ ही, यह जांच भी की जा रही है कि आखिर इस बड़े फर्जीवाड़े के पीछे और कौन-कौन लोग शामिल हैं।

इस मामले ने अयोध्या में जमीनों की खरीद-फरोख्त और प्रशासनिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

फिलहाल रमाकांत पांडे की तलाश जारी है, और प्रशासन यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि यह व्यक्ति असल में कौन है, कहां से आया और इसके पीछे किसका समर्थन था।

यह घटना स्पष्ट संकेत देती है कि अयोध्या जैसे संवेदनशील शहर में सरकारी जमीनों की सुरक्षा और निगरानी को और अधिक सख्त करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हो सकें।

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