अमित शाह का बयान, नूंह हिंसा के बाद अलग सुर… क्या हरियाणा में चल पाएगा BJP-JJP गठबंधन? उठने लगे सवाल
चंडीगढ़: हरियाणा की गठबंधन सरकार में दोनों घटक दलों के बीच इस समय तल्खी साफ देखी जा रही है। यह तल्खी मौजूदा हालात पर बयानबाजी को लेकर है। हालांकि 2019 से समय-समय पर दोनों दलों का आपसी समन्वय बिगड़ता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन बीजेपी और जेजेपी दोनों दल के नेता बीजेपी आलाकमान से मिलकर हर बार यह संदेश दे रहे थे कि गठबंधन की सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है। कुछ समय पहले भी जब ऐसी चर्चाएं तेज हुई तो उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर मामले को शांत किया था। दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर आए थे। हालांकि नूंह हिंसा के बाद राजनीतिक चर्चाएं फिर तेज हो गईं हैं।
दरअसल, 2019 में मनोहर लाल की दोबारा सरकार बनने के बाद से गठबंधन के हालात बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि मनोहर लाल निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर सरकार बनना चाहते थे, लेकिन दुष्यंत ने इससे पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर गठबंधन की पटकथा लिख दी थी।
दोनों दलों का अलग वोटबैंक
हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का अलग तरह का वोट बैंक है। जब भी किसी मामले में दोनों दलों ने अपना रुख प्रकट करना होता है तो अपने वोट बैंक को साधने के लिए दोनों दलों के नेताओं के अलग-अलग सुर दिखाई देते हैं। 31 जुलाई को मेवात हिंसा के बाद यही हुआ। दोनों दल के नेताओं के स्वर अलग-अलग सुनाई दिए। जहां भाजपा नेता हिंसा को लेकर सरकार में होने के कारण संभलकर बयानबाजी करती नजर आई। वहीं जेजेपी ने जलाभिषेक यात्रा पर सवाल खड़े किए।
नूंह हिंसा के बाद बीजेपी में ही फूट
वैसे तो जहां तक बीजेपी का प्रश्न है, इस हिंसा को लेकर बीजेपी में अंदर ही दो तरह की आवाज आने लगी हैं। प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने तो इस मामले में यहां तक कह दिया कि हिंसा से जुड़े सवालों का जवाब मुख्यमंत्री देंगे। अब मुख्यमंत्री की परेशानियां उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह कहकर बढ़ा दी हैं कि उनके कार्यकर्ताओं ने घटना के दिन दोपहर को ही हिंसा की जानकारी दे दी थी। इस तरह उन्होंने, सरकार और खुफिया एजेंसियों पर सवाल खड़े कर दिए कि उन्हें इस घटना का पता था। इससे पहले भी उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह कहकर राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी कि यात्रा के आयोजकों ने स्थानीय प्रशासन को यात्रा की पूरी जानकारी नहीं दी थी। हरियाणा में 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले इस बयानबाजी के अर्थ राजनीतिक हलकों में अलग-अलग तरीके से लगाए जा रहे हैं।
गठबंधन पर पक रही खिचड़ी?
वैसे भी हरियाणा बीजेपी का एक धड़ा इस गठबंधन को लेकर खुश नहीं है। खासकर तब से जब हरियाणा संगठन में बीजेपी प्रभारी त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री विप्लव देव ने चार्ज संभाला है। प्रदेश प्रभारी ने आते ही निर्दलीय विधायकों से मिलने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और यह संदेश दिया कि आने वाले दिनों में हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन की संभावनाएं बदलेंगी। वैसे तो दोनों दलों के नेता खुलकर इस पर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन ब्यानबाजी से यह तो स्पष्ट है कि आने वाले चुनाव में गठबंधन को लेकर कोई खिचड़ी पक रही है। हालात बता रहे हैं कि हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन का वर्तमान ठीक नहीं चल रहा है। इससे भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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दरअसल, 2019 में मनोहर लाल की दोबारा सरकार बनने के बाद से गठबंधन के हालात बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि मनोहर लाल निर्दलीय विधायकों को साथ लेकर सरकार बनना चाहते थे, लेकिन दुष्यंत ने इससे पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर गठबंधन की पटकथा लिख दी थी।
दोनों दलों का अलग वोटबैंक
हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी का अलग तरह का वोट बैंक है। जब भी किसी मामले में दोनों दलों ने अपना रुख प्रकट करना होता है तो अपने वोट बैंक को साधने के लिए दोनों दलों के नेताओं के अलग-अलग सुर दिखाई देते हैं। 31 जुलाई को मेवात हिंसा के बाद यही हुआ। दोनों दल के नेताओं के स्वर अलग-अलग सुनाई दिए। जहां भाजपा नेता हिंसा को लेकर सरकार में होने के कारण संभलकर बयानबाजी करती नजर आई। वहीं जेजेपी ने जलाभिषेक यात्रा पर सवाल खड़े किए।
नूंह हिंसा के बाद बीजेपी में ही फूट
वैसे तो जहां तक बीजेपी का प्रश्न है, इस हिंसा को लेकर बीजेपी में अंदर ही दो तरह की आवाज आने लगी हैं। प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने तो इस मामले में यहां तक कह दिया कि हिंसा से जुड़े सवालों का जवाब मुख्यमंत्री देंगे। अब मुख्यमंत्री की परेशानियां उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह कहकर बढ़ा दी हैं कि उनके कार्यकर्ताओं ने घटना के दिन दोपहर को ही हिंसा की जानकारी दे दी थी। इस तरह उन्होंने, सरकार और खुफिया एजेंसियों पर सवाल खड़े कर दिए कि उन्हें इस घटना का पता था। इससे पहले भी उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह कहकर राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी कि यात्रा के आयोजकों ने स्थानीय प्रशासन को यात्रा की पूरी जानकारी नहीं दी थी। हरियाणा में 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे पहले इस बयानबाजी के अर्थ राजनीतिक हलकों में अलग-अलग तरीके से लगाए जा रहे हैं।
गठबंधन पर पक रही खिचड़ी?
वैसे भी हरियाणा बीजेपी का एक धड़ा इस गठबंधन को लेकर खुश नहीं है। खासकर तब से जब हरियाणा संगठन में बीजेपी प्रभारी त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री विप्लव देव ने चार्ज संभाला है। प्रदेश प्रभारी ने आते ही निर्दलीय विधायकों से मिलने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी और यह संदेश दिया कि आने वाले दिनों में हरियाणा में बीजेपी और जेजेपी के गठबंधन की संभावनाएं बदलेंगी। वैसे तो दोनों दलों के नेता खुलकर इस पर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन ब्यानबाजी से यह तो स्पष्ट है कि आने वाले चुनाव में गठबंधन को लेकर कोई खिचड़ी पक रही है। हालात बता रहे हैं कि हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन का वर्तमान ठीक नहीं चल रहा है। इससे भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकता है।