अब MBBS स्टूडेंट्स गोद लेंगे परिवार: गांवों में 78 घंटे की सेवा देंगे; मेडिकल शिक्षा में बदलाव – Bhopal News

2
अब MBBS स्टूडेंट्स गोद लेंगे परिवार:  गांवों में 78 घंटे की सेवा देंगे; मेडिकल शिक्षा में बदलाव – Bhopal News
Advertising
Advertising

अब MBBS स्टूडेंट्स गोद लेंगे परिवार: गांवों में 78 घंटे की सेवा देंगे; मेडिकल शिक्षा में बदलाव – Bhopal News

एमबीबीएस की पढ़ाई अब सिर्फ अस्पताल की चार दीवारी तक सीमित नहीं रहेगी। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (NMC) की नई गाइडलाइंस के तहत, शैक्षणिक सत्र 2026 से हर मेडिकल छात्र ‘फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम (FAP)’ का हिस्सा बनेगा।

Advertising

.

इसके तहत एडमिशन लेते ही प्रत्येक छात्र को कम से कम एक परिवार को गोद लेना होगा, जिसकी संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की जिम्मेदारी उस छात्र की होगी। इसके अलावा, हर मेडिकल कॉलेज दो गांवों को गोद लेगा, जहां एमबीबीएस छात्र 78 घंटे तक सीधे ग्रामीणों के बीच रहकर इलाज, जागरूकता और सेवा का काम करेंगे।

Advertising

जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा से जुड़ाव इस बड़े बदलाव का मुख्य उद्देश्य मेडिकल शिक्षा को जमीनी हकीकत से जोड़ना है। छात्रों को अब केवल बीमारियों का इलाज ही नहीं, बल्कि मरीज की सामाजिक और पारिवारिक स्थिति को समझने का भी व्यावहारिक अनुभव मिलेगा।

फैमिली एडॉप्शन प्रोग्राम इसलिए खास गोद लिए गए परिवार में यदि कोई बच्चा कुपोषित है, बुजुर्ग को उच्च रक्तचाप (BP) या मधुमेह (शुगर) है, या कोई महिला एनीमिक है, तो छात्र को उसकी पहचान कर उसका उचित इलाज सुनिश्चित करना होगा। इतना ही नहीं, छात्र को इन परिवारों को विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ दिलवाने में भी मदद करनी होगी।

ग्रामीण क्षेत्रों में अनिवार्य सेवा:

  • पहले साल में 9 गांव विजिट।
  • दूसरे साल में 10 गांव विजिट।
  • तीसरे साल में 7 गांव विजिट।
  • पूरे कोर्स के दौरान कुल 78 घंटे गांवों में रहकर काम करना अनिवार्य होगा।
  • छात्रों को गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाने होंगे, बीमार लोगों को अपनी देखरेख में अस्पताल पहुंचाना होगा और पूरे कोर्स के दौरान उनके स्वास्थ्य पर नजर रखनी होगी।
  • हर मेडिकल कॉलेज गोद लिए गए दो गांवों में हर महीने हेल्थ कैंप, टीकाकरण, स्क्रीनिंग और जागरूकता कार्यक्रम चलाएगा। छात्र वहां टेलीमेडिसिन और मोबाइल यूनिट्स के ज़रिए मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों से भी जोड़ेंगे।
Advertising

MBBS पाठ्यक्रम में अन्य महत्वपूर्ण बदलाव:

  • अब बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी और फोरेंसिक साइंस का केवल एक ही पेपर होगा।
  • मेडिकल कॉलेजों में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए स्टेम सेल और मॉलिक्यूलर लैब स्थापित की जाएंगी।
  • ग्रेस मार्क्स की व्यवस्था पूरी तरह खत्म कर दी गई है। अब ‘पूरक बैच’ (Supplementary Batch) की जगह 3 से 6 हफ्तों के भीतर दोबारा परीक्षा देने की सुविधा मिलेगी।
  • प्री-क्लीनिकल, क्लीनिकल और पैरा-क्लीनिकल विषयों को अब ‘इंटीग्रेटेड क्लीनिकल कोर्स’ के रूप में देखा जाएगा।

इससे व्यावहारिक ज्ञान बढ़ाएगा चिकित्सा शिक्षा विभाग की डायरेक्टर, डॉ. अरुणा कुमार के अनुसार, डॉक्टर को सिर्फ मरीज की बीमारी नहीं, उसकी सामाजिक और पारिवारिक स्थिति भी समझनी चाहिए। यह नया पाठ्यक्रम डॉक्टरों में सेवा भावना और व्यावहारिक ज्ञान बढ़ाएगा।

मध्यप्रदेश की और खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News

Advertising