अब गवर्नर नहीं सीएम भगवंत मान होंगे यूनिवर्सिटी के चांसलर, पश्चिम बंगाल के बाद पंजाब में बिल पास

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अब गवर्नर नहीं सीएम भगवंत मान होंगे यूनिवर्सिटी के चांसलर, पश्चिम बंगाल के बाद पंजाब में बिल पास

अब गवर्नर नहीं सीएम भगवंत मान होंगे यूनिवर्सिटी के चांसलर, पश्चिम बंगाल के बाद पंजाब में बिल पास

चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा में सर्वसम्मति के साथ विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया गया है। इसके तहत अब मुख्यमंत्री के पास राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की शक्तियां निहित हो गई हैं। यानी अब राज्यपाल नहीं बल्कि सीएम भगवंत मान यूनिवर्सिटीज के चांसलर होंगे। पंजाब विधानसभा में ‘द पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ अमेंडमेंट बिल 2023’ पास कर दिया गया। अब राज्य के सरकारी यूनिवर्सिटीज के चांसलर गवर्नर की बजाय चुने गुए सीएम होंगे। बिल सर्वसम्मति से पास हुआ है जिसे मंजूरी के लिए गवर्नर के पास भेजा जाएगा।

पंजाब विधानसभा का दो दिवसीय सत्र यहां सोमवार को शुरू हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 संक्षिप्त बहस के बाद पारित किया गया। सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के अलावा अकाली दल और बीएसपी के इकलौते विधायक ने इसका समर्थन किया।

पंजाब में सीएण बनाम गवर्नर
आप सरकार का यह कदम पूर्व में कई मुद्दों पर भगवंत मान सरकार और राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच मतभेदों के बीच आया है, जिसमें कुलपति पद के लिए राज्य सरकार की ओर से किए गए कुछ चयन भी शामिल हैं।

विधेयक पर बहस के दौरान मान ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में भी इसी तरह का विधेयक पिछले साल पारित किया गया था। भगवंत मान ने सदन में कहा, ‘अगर हम किसी विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं नियुक्त कर सकते हैं, तो यह हमें मिले जनादेश का असम्मान है।’ उन्होंने दावा किया कि पुरोहित ने पिछले साल कुछ कुलपतियों की नियुक्ति में बाधा उत्पन्न की थी।

इस विधेयक को दोपहर में पेश किए जाने से पहले कांग्रेस सदस्यों ने वर्तमान सत्र में प्रश्नकाल या शून्यकाल का कोई प्रावधान नहीं होने के विरोध में पंजाब विधानसभा से बहिर्गमन किया।

विधेयक में क्या कहा गया?
विधेयक में कहा गया है कि पंजाब के राज्यपाल अपने पद के कारण सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं, लेकिन राज्यपाल एक संवैधानिक पद भी धारण करता है और उसे भारत के संविधान के तहत प्रदत्त विभिन्न संवैधानिक कार्यों का निर्वहन भी करना होता है।

विधेयक में कहा गया है, ‘भारत सरकार ने न्यायमूर्ति एम. एम. पुंछी की अध्यक्षता में केंद्र-राज्य संबंधों पर आयोग का गठन किया था जिसने विश्वविद्यालयों के कुलपति के संबंध में राज्यपाल की स्थिति के इस पहलू पर प्रकाश डाला है। आयोग ने कहा कि राज्यपाल पर उन पदों और शक्तियों का बोझ नहीं डालना चाहिए जिनका उल्लेख संविधान में नहीं है, क्योंकि इससे विवाद पैदा हो सकता है।’

विधेयक में कहा गया है कि यह जरूरी समझा गया कि विश्वविद्यालयों के कानून में संशोधन किया जाए ताकि पंजाब के मुख्यमंत्री को प्रांत के सभी राज्य विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाया जा सके। इससे पहले पश्चिम बंगाल में भी ऐसा ही बिल पारित हो चुका है हालांकि इसे कानून बनाने की अभी तक मंजूरी नहीं मिल पाई है।

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