अफगानिस्तान पर सही साबित हुई अजीत डोभाल की भविष्यवाणी? वायरल वीडियो का सच जानिए h3>
हाइलाइट्स
- अफगानिस्तान पर 2013 के लेक्चर का हिस्सा ट्विटर पर वायरल
- रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने ट्वीट किया डोभाल का छोटा वीडियो
- अफगानिस्तान सेना के बारे में बनी धारणा का जिक्र कर रहे थे
- डोभाल ने 2013 में कहा था- अफगान सेना में कई सारी कमियां
नई दिल्ली
अफगानिस्तान के ताजा हालात को लेकर 2013 में अजीत डोभाल ने जो कहा, क्या वह गलत था? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने डोभाल का एक वीडियो शेयर किया है। ले. जनरल (रिटा.) एचएस पनाग ने ‘द ग्रेट स्पाईमास्टर’ कैप्शन के साथ 2013 के वीडियो का एक हिस्सा ट्वीट किया। वीडियो में डोभाल कह रहे हैं कि अफगान सेना और पुलिस एकजुट होकर रक्षा करने में कामयाब रहेंगे, ऐसा महसूस किया गया।
डोभाल ने पाकिस्तानी जनरल्स के साथ बातचीत के अनुभव भी बताए थे। बकौल डोभाल, सभी ने यह कहा था कि अफगान सेना कभी तालिबान के आगे नहीं टिक पाएगी क्योंकि अधिकारियों और कैडर में जमीन-आसमान का अंतर है। कबीलाई एकता भारी पड़ेगी और सेना टूट जाएगी। डोभाल ने 2013 में कहा था कि उन्हें पाकिस्तानी जनरल्स की बात पर यकीन नहीं है। मगर ट्वीट के जरिए पनाग यह बताना चाहते थे कि डोभाल की बात कितनी गलत साबित हुई है।
2013 में अजीत डोभाल तीन तरह की धारणाओं की बात करते हैं।
पहली: अफगानिस्तान में स्वत: ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति सत्ता का हस्तांतरण होगा। अलग-अलग समूहों के लोग भी सरकार में शामिल होंगे। शांतिपूर्ण चुनाव होंगे। इसी के ठीक उलट धारणा यह है कि गृहयुद्ध जैसे हालात होंगे। खून-खराबे के बाद किसके हाथ में सत्ता आती है, यह देखना होगा।
दूसरी: तालिबान बदल जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जो लोग लंबे समय से किसी स्क्रिप्ट के तहत काम कर रहे हैं, वे पीछे हटेंगे। एक ऐसा समूह बन सकता है जो सक्रिय राजनीति में शामिल नहीं होगा मगर दखल पूरा देगा।
तीसरी: 325 हजार अफगान नैशनल आर्मी और पुलिस के जवान एक होंगे। उन्हें ट्रेनिंग दी गई है, उनके अधिकारियों में पर्याप्त मोटिवेशन है। ऐसा महसूस किया गया कि अफगानिस्तान में राजनीतिक स्तर पर जो कुछ भी हो, मजबूत सेना और पुलिस एक अनुशासनात्मक फोर्स बनी रहेगी जो अफगानिस्तान राज्य के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेगी। मैंने पिछले 12 महीनों में लेफ्टिनेंट जनरल या उससे ऊपर के 15-20 अफसरों से बात की है, उनमें से एक ने भी नहीं कहा कि ये सेना बचाव कर पाएगी। वे कहते हैं कि अधिकारियों और कैडर में बहुत मिसमैच है। अजीत डोभाल ने कहा कि वे उनका (पाकिस्तानी जनरलों) यकीन नहीं करते।
वह जख्म अब भी दे रहा बहुत तकलीफ… अफगानिस्तान में तालिबान रिटर्न्स से मुंबई को टेंशन
डोभाल का पूरा भाषण देखिए
चुनौतियों से तब भी वाकिफ थे डोभाल
अपने लेक्चर में डोभाल आगे समझाते हैं कि नजीबुल्लाह की सेना कहीं बेहतर ढंग से ट्रेन की गई थी, मगर वह (तालिबान के आगे) टिक नहीं पाई। अमेरिका ने काफी अच्छा काम किया है मगर कई कमियां हैं जिन्हें दूर किया जाना बाकी है। डोभाल ने कहा, ‘वो कमियां इसलिए नहीं हैं क्योंकि अफगानिस्तान सरकार ऐसा नहीं चाहती थी या अमेरिका ऐसा नहीं चाहता था या खुद अफगान सेना ऐसा नहीं चाहती थी… वे कमियां इसलिए हैं क्योंकि पाकिस्तान नहीं चाहता था कि अफगान सेना मजबूत बने। डोभाल इसके बाद पाकिस्तान की बात करते हैं और कहते हैं कि एक धारणा यह भी है कि पाकिस्तान भी अपना रवैया बदलेगा।
2013 के एक कार्यक्रम में अजीत डोभाल (फोटो: USINPAC/यूट्यूब)
हाइलाइट्स
- अफगानिस्तान पर 2013 के लेक्चर का हिस्सा ट्विटर पर वायरल
- रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल ने ट्वीट किया डोभाल का छोटा वीडियो
- अफगानिस्तान सेना के बारे में बनी धारणा का जिक्र कर रहे थे
- डोभाल ने 2013 में कहा था- अफगान सेना में कई सारी कमियां
अफगानिस्तान के ताजा हालात को लेकर 2013 में अजीत डोभाल ने जो कहा, क्या वह गलत था? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने डोभाल का एक वीडियो शेयर किया है। ले. जनरल (रिटा.) एचएस पनाग ने ‘द ग्रेट स्पाईमास्टर’ कैप्शन के साथ 2013 के वीडियो का एक हिस्सा ट्वीट किया। वीडियो में डोभाल कह रहे हैं कि अफगान सेना और पुलिस एकजुट होकर रक्षा करने में कामयाब रहेंगे, ऐसा महसूस किया गया।
डोभाल ने पाकिस्तानी जनरल्स के साथ बातचीत के अनुभव भी बताए थे। बकौल डोभाल, सभी ने यह कहा था कि अफगान सेना कभी तालिबान के आगे नहीं टिक पाएगी क्योंकि अधिकारियों और कैडर में जमीन-आसमान का अंतर है। कबीलाई एकता भारी पड़ेगी और सेना टूट जाएगी। डोभाल ने 2013 में कहा था कि उन्हें पाकिस्तानी जनरल्स की बात पर यकीन नहीं है। मगर ट्वीट के जरिए पनाग यह बताना चाहते थे कि डोभाल की बात कितनी गलत साबित हुई है।
2013 में अजीत डोभाल तीन तरह की धारणाओं की बात करते हैं।
पहली: अफगानिस्तान में स्वत: ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति सत्ता का हस्तांतरण होगा। अलग-अलग समूहों के लोग भी सरकार में शामिल होंगे। शांतिपूर्ण चुनाव होंगे। इसी के ठीक उलट धारणा यह है कि गृहयुद्ध जैसे हालात होंगे। खून-खराबे के बाद किसके हाथ में सत्ता आती है, यह देखना होगा।
दूसरी: तालिबान बदल जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जो लोग लंबे समय से किसी स्क्रिप्ट के तहत काम कर रहे हैं, वे पीछे हटेंगे। एक ऐसा समूह बन सकता है जो सक्रिय राजनीति में शामिल नहीं होगा मगर दखल पूरा देगा।
तीसरी: 325 हजार अफगान नैशनल आर्मी और पुलिस के जवान एक होंगे। उन्हें ट्रेनिंग दी गई है, उनके अधिकारियों में पर्याप्त मोटिवेशन है। ऐसा महसूस किया गया कि अफगानिस्तान में राजनीतिक स्तर पर जो कुछ भी हो, मजबूत सेना और पुलिस एक अनुशासनात्मक फोर्स बनी रहेगी जो अफगानिस्तान राज्य के लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेगी। मैंने पिछले 12 महीनों में लेफ्टिनेंट जनरल या उससे ऊपर के 15-20 अफसरों से बात की है, उनमें से एक ने भी नहीं कहा कि ये सेना बचाव कर पाएगी। वे कहते हैं कि अधिकारियों और कैडर में बहुत मिसमैच है। अजीत डोभाल ने कहा कि वे उनका (पाकिस्तानी जनरलों) यकीन नहीं करते।
वह जख्म अब भी दे रहा बहुत तकलीफ… अफगानिस्तान में तालिबान रिटर्न्स से मुंबई को टेंशन
डोभाल का पूरा भाषण देखिए
चुनौतियों से तब भी वाकिफ थे डोभाल
अपने लेक्चर में डोभाल आगे समझाते हैं कि नजीबुल्लाह की सेना कहीं बेहतर ढंग से ट्रेन की गई थी, मगर वह (तालिबान के आगे) टिक नहीं पाई। अमेरिका ने काफी अच्छा काम किया है मगर कई कमियां हैं जिन्हें दूर किया जाना बाकी है। डोभाल ने कहा, ‘वो कमियां इसलिए नहीं हैं क्योंकि अफगानिस्तान सरकार ऐसा नहीं चाहती थी या अमेरिका ऐसा नहीं चाहता था या खुद अफगान सेना ऐसा नहीं चाहती थी… वे कमियां इसलिए हैं क्योंकि पाकिस्तान नहीं चाहता था कि अफगान सेना मजबूत बने। डोभाल इसके बाद पाकिस्तान की बात करते हैं और कहते हैं कि एक धारणा यह भी है कि पाकिस्तान भी अपना रवैया बदलेगा।
2013 के एक कार्यक्रम में अजीत डोभाल (फोटो: USINPAC/यूट्यूब)