अनोखे श्याम भक्त, 1600 नुकीली कीलों पर 18 किलोमीटर दंडवत: 15 फीट का निशान लिए 13 साल के बच्चे की 60 किमी पदयात्रा – Rajasthan News h3>
ऊपर तस्वीर में नजर आ रहे श्याम भक्त हैं मध्यप्रदेश के मुरैना के रहने वाले सोनू शिवहरे। सोनू बाबा श्याम के दर्शन के लिए 18 किलोमीटर तक दंडवत करेंगे। दंडवत भी समतल जमीन पर नहीं 1600 नुकीली कीलों पर।
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ऐसी ही अटूट भक्ति है जयपुर के हसनपुरा के रहने वाले 13 साल के रणवीर की। परिवार के साथ 60 किलोमीटर की पदयात्रा कर रहा है। हाथ में 15 फीट का ध्वज थामे।
दैनिक NEWS4SOCIALने जयपुर से खाटूश्यामजी तक का सफर किया। इस दौरान भक्ति की शक्ति की कई कहानियां सामने आईं।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
सोनू ने दंडवत के लिए खास ये लकड़ी का पाटा बनवाया है, जिसमें 1600 कीलें हैं।
1600 नुकीली कीलों के साथ एक सप्ताह में होगा 18 किलोमीटर का सफर
NEWS4SOCIALरिपोर्टर रींगस से खाटूश्याम मंदिर के रास्ते पर पहुंचे तो रींगस से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर मध्यप्रदेश के मुरैना के रहने वाले सोनू शिवहरे दंडवत करते नजर आए।
सोनू लकड़ी के बनाए हुए पाटे पर लगी 1600 कीलों पर दंडवत करते हुए बाबा श्याम के मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे। सोनू पिछले पांच साल से बाबा के दरबार में दर्शन करने के लिए आ रहे हैं।
मध्यप्रदेश से रींगस तक किसी साधन से आते हैं। इसके बाद यहां से पैदल यात्रा करते हैं। मन्नत के बारे में पूछने पर बोले- कुछ मांगने की जरूरत नहीं पड़ती। बाबा बिना मांगे सब दे देते हैं।
मन में भाव आया कि कठिन दंडवत करके बाबा के दरबार में पहुंचना है। ऐसे में कीलों का पाटा तैयार करवाया। सोनू इस पाटे पर रोज 2 से 3 किलोमीटर का सफर कर रहे हैं।
दस मार्च तक उनका ये सफर पूरा होगा। उनसे पूछा कि शरीर पर कीलें चुभती होंगी? उनका जवाब था- दर्द तो बाबा हर लेते हैं, कोई फर्क नही पड़ता।
उनके साथ उनका साथी कृष्ण भी साथ चल रहा है जो कि कीलों के पाटे को आगे खिसकाता है। सोनू को दंडवत करते देख कई लोगों ने उनके साथ फोटो भी खिंचवाई।
जयपुर के हसनपुरा का 13 साल का रणवीर परिवार के साथ बाबा श्याम की पदयात्रा पर आया है।
दो दिन तक भूखे रहकर 60 किमी सफर, 13 साल के बच्चे ने थामा निशान
जयपुर के हसनपुरा का परिवार बाबा श्याम के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहा था। मुखिया शनि राणा ने बताया कि तीन मार्च को वह परिवार के साथ रींगस के लिए पैदल यात्रा पर निकले थे।
दो दिन में 60 किलोमीटर का सफर वह तय चुके हैं। शनि ने बताया कि पैदल यात्रा का यह उनका दूसरा साल है। सोमवार और मंगलवार को व्रत होने के चलते दो दिन भूखे रहकर ही पदयात्रा की।
इसी परिवार के साथ 13 साल का रणवीर भी 15 फीट का बाबा का निशान यानी झंडा थामे चल रहा था। शनि ने बताया कि इस बार जो पैदल यात्रियों के लिए जो कच्चा रास्ता बनाया गया है उससे काफी राहत मिली है।
छोटे बच्चे साथ हैं, लेकिन सफर के दौरान कोई दिक्कत नहीं हो रही है।
पैरों में छाले, चेहरे पर मुस्कान
रींगस से खाटूश्याम मंदिर मार्ग पर बने विश्राम स्थल के बाहर मेडिकल कैंप में लगातार ऐसे श्रद्धालु भी सामने आते रहे, जिनके पैरों में छाले थे, लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी।
कैंप से दवा लेकर फिर जयकारे लगाते आगे बढ़ते नजर आए। भक्तों से बात की ताे बोले- पैदल यात्रा में छोटी मोटी परेशानी तो आती रहती है, लेकिन बाबा के दर पर पहुंचने के बाद कोई पीड़ा नहीं रहती।
मेडिकल कैंप में एक पदयात्री के पैरों के छालों का इलाज करते हुए। खाटू मेले के रास्ते में ऐसे कई कैंप लगाए गए हैं।
महिलाएं भी दंडवत कर पहुंचीं
खाटू मंदिर रोड पर जयपुर के झोटवाड़ा की रहने वालीं अल्का शर्मा दंडवत करते हुए मंदिर की ओर बढ़ रही थीं। उन्होंने बताया कि पैदल यात्रा हर साल करतीं हूं। इस बार दंडवत यात्रा का विचार आया।
रींगस से दो दिन पहले दंडवत यात्रा शुरू की। उन्होंने बताया कि- सुबह और शाम को 3-4 घंटे दंडवत यात्रा करती हूं। विश्वास और आस्था है, उसी से इतनी हिम्मत मिल रही है।
तोरण द्वार से कुछ ही मीटर दूरी पर ग्वालियर निवासी आरती श्रीवास्तव नजर आईं। आरती ने 28 फरवरी से दंडवत यात्रा शुरू कर दी थी। चार मार्च की रात को वे तोरण द्वार के नजदीक पहुंचीं।
हालांकि सीधा तोरण द्वार पर जाने वाला रास्ता बंद किया हुआ है। आरती ने सुरक्षाकर्मियों ने उसे घूम कर पार्किंग की तरफ से जाने के लिए कह दिया। ऐसे में आठ किलोमीटर और उल्टा जाना पड़ेगा।
11 मार्च तक चलने वाले खाटू मेले में दुनियाभर से भक्त आ रहे हैं। कोई दंडवत करते हुए बाबा के दरबार तक पहुंच रहा है तो कई नंगे पांव।
बाबा का रथ लेकर खाटू तक यात्रा
सीकर रोड पर रामपुरा डाबडी से आगे बाबा का रथ यात्रा ले जाते भक्त नजर आए। भक्तों की टोली जयपुर के निर्माण नगर से यात्रा पर निकली थी। यात्रा में शामिल गौतम विजय ने बताया कि साल 2010 से यात्रा ऐसे ही निकाली जाती है।
बाबा की रथ यात्रा जयपुर से खाटूश्याम तक ले जाते हैं। करीब एक सप्ताह की पूरी यात्रा होती है। इसमें करीब डेढ़ दो सौ लोग शामिल रहते हैं।
रोज 15-16 किमी का सफर करते हैं। दोपहर और रात में विश्राम होता है। साथ ही खाने का सामान लेकर चलते हैं और प्रसादी बनाते है।
जयपुर से करीब 15 साल से बाबा श्याम की रथयात्रा निकाली जा रही है।
पदयात्रा में ट्रैक्टर ट्रॉली पर बाबा श्याम की झांकी
श्याम भजनों पर नाचते गाते भक्तों की टोली भी खाटूश्याम की ओर बढ़ती नजर आई। ट्रैक्टर ट्रॉली पर बाबा श्याम की झांकी सजाई हुई थी। रंग गुलाल उड़ाते हुए भक्त भजनों पर झूमते हुए चल रहे थे। भक्तों का यह समूह चौमूं से पैदल यात्रा पर निकला है।
पिछले बाईस साल से हर साल इसी तरह तीन सौ भक्तों की टोली, बाबा श्याम के दर्शन के लिए पहुंचती है। इसी तरह सामोद रोड निवासी एक दंपती भी एक दूसरे का हाथ थामे, बाबा के दरबार की ओर बढ़ते नजर आए।
पूछने पर बताया कि बच्चे नीट की तैयारी कर रहे हैं। घर में सुख शांति हो और बच्चे का करियर बन जाए, ऐसे में बाबा के पैदल यात्रा पर जा रहे हैं। रतनलाल ने बताया कि वे छह साल से बाबा के दर पर दर्शन के लिए जाते हैं। तीन साल से उनकी पत्नी भी दर्शन के लिए साथ जाती हैं।
रतनलाल ने बताया कि वे छह साल से बाबा श्याम की पदयात्रा कर रहे हैं। तीन साल से उनकी पत्नी भी पदयात्रा कर रही है।
पदयात्रियों की राहत के लिए मसाजर मशीन
लक्खी मेले के दौरान कई राज्यों से भक्त रींगस पहुंच रहे हैं। इनमें पैदल यात्रा करने वाले भक्त बड़ी तादाद में हैं। पदयात्रियों के आराम के लिए जगह-जगह विश्राम स्थल बनाए गए हैं।
इन विश्राम स्थलों पर फुट मसाजर मशीन लगी हुई है, ताकि पदयात्रियों को पैरों के दर्द से राहत दिलाई जा सके। इसके अलावा बीमारी से बचाव, थकान दूर करने के लिए काढ़े की व्यवस्था भी आश्रय स्थलों पर की गई है।
वहीं जयपुर से लेकर खाटूश्याम मंदिर तक पैदल यात्रियों के लिए जो कच्चा रास्ता बनाया गया है, उससे इस बार यात्रियों को राहत मिली है।
यात्रियों का कहना था कि सुरक्षा के लिहाज से ये व्यवस्था बेहतर है। यात्रियों को अपनी अलग ही लेन में चलने की जगह मिल जाती है। इस मार्ग पर जगह-जगह मिट्टी पर पानी का छिड़काव भी किया जा रहा था।
मेले में आकर्षक लाइटिंग के साथ सजावट की गई है।
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