अनोखा मामला : भगवान को लगाया 2700 Kg रोट का भोग, क्रेन की मदद से पकाया और अब बांटा जाएगा 25 हजार श्रद्धालुओं को

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अनोखा मामला : भगवान को लगाया 2700 Kg रोट का भोग,  क्रेन की मदद से पकाया और अब बांटा जाएगा 25 हजार श्रद्धालुओं को

अनोखा मामला : भगवान को लगाया 2700 Kg रोट का भोग, क्रेन की मदद से पकाया और अब बांटा जाएगा 25 हजार श्रद्धालुओं को

​25 हजार श्रद्धालुओं में वितरित होगा महाभोग

सीकर स्थित देवीपुरा सिद्ध पीठ बालाजी मंदिर में यह अनोखा नजारा देखने को मिले। यहां जोधपुर के संत रामदास महाराज पूनासर बाप जी के सानिध्य में यह अनूठा महाभोग तैयार किया गया है। इस महाभोग को हनुमान जी के लगाने के बाद करीब 25 हजार श्रद्धालुओं के बीच वितरित किया जा रहा है। यह महाभोग लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया। यह महाभोग प्रदेश की खुशहाली की कामना को लेकर के लगाया गया।

रोट बनाने में क्रेन की मदद ली गई

रोट बनाने में क्रेन की मदद ली गई

इस महाभोग को तैयार करने के लिए क्रेन की मदद ली गई। इसके अलावा करीब 20 रसोइयों ने मिलकर 27 सौ किलो के इस रोट को तैयार किया है। इसमें 11 क्विंटल आटा, इतना ही मेवा और 400-400 लीटर गाय का दूध और घी का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा इस महाभोग में सवा 100 किलो सूजी भी डाली गई है। इस रोट को बनाने के लिए 20 घंटे का समय लगा।

रोट को देखने के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

रोट को देखने के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

27 किलो के महाभोग को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान शनिवार सुबह 5 क्रेन की मदद से इस महाभोग को ट्रैक्टर ट्रॉली में रखकर मंदिर में लाया गया। जहां सुबह सवा 8 बजे बालाजी के इसका बाल भोग के रूप लगाया गया। इसके बाद पूजा अर्चना और आरती की गई। इस दृश्य को देख रहे हजारों श्रद्धालुओं ने जयकारों से पांडाल को गुंजायमान कर दिया। बता दें कि बालाजी के मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं में बड़ी आस्था है। मान्यता है कि यहां पर बालाजी सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

​विशेष तवे और बेलन से तैयार किया गया महाभोग

​विशेष तवे और बेलन से तैयार किया गया महाभोग

महंत ने बताया कि इस रोट को तैयार करने के लिए स्पेशल तवा और बेलन भी बनवाया गया। इसमें तवे का वजन 300 किलो और बेलन का वजन 250 किलो है। इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स को इस रोट में मिलाने के लिए एक मिक्सर भी बनवाया गया। ये सभी विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्कशॉप को स्पेशल ऑर्डर देकर बनवाई गए। इसमें इनकी लागत 2.15 लाख रुपए आई है।

​रोट को बनाने के लिए मंदिर परिसर में बनाई गई भट्टी

​रोट को बनाने के लिए मंदिर परिसर में बनाई गई भट्टी

महंत ने बताया कि 2700 किलो ग्राम वजन के इस महाभोग को बनाने के लिए मंदिर परिसर में एक विशेष भट्टी तैयार की गई। जिसमें 11 ईंटो से 12 फीट की गोलाई बनाकर भट्टी तैयार की गई। जिसको बनाने में कारीगरों को 10 दिन का समय लग गया। इसके अलावा इस भट्टी में 4 ट्रॉली गोबर के उपले और कंडे इसमें डाले गए। इसके बाद क्रेन की सहायता से रोट को इस पर सेकने के लिए रखा गया।

450 साल पुराना है देवीपुरा बालाजी धाम

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महंत ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि यह मंदिर करीब 450 साल पुराना है। जिसे सीकर के राजा देवी सिंह ने बनवाया। मान्यता है कि एक राहगीर बालाजी की इस बड़ी मूर्ति को उसी रास्ते से किसी जगह लेकर जा रहा था। इस दौरान वह रात्रि विश्राम के लिए यहां रुका। उसके बाद सुबह जब वह मूर्ति को लेकर रवाना हुआ तो, मूर्ति यहां से नहीं हिली। इसके बाद ठाकुर देवी सिंह ने अपने नाम पर यहां देवीपुरा गांव बसाया और बालाजी धाम का निर्माण करवाया। मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्तों की इच्छा पूरी होती है।

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