अटल बिहारी वाजपेयी का साइकिल पर चुनाव प्रचार: 50 साल बाद भी झांसी में गूंज रही
उनकी यादें | Atal Bihari Vajpayee election campaign on bicycle in Jhansi | News 4 Social h3>
इसके बाद अटल जी का झांसी से लगातार जुड़ाव रहा। वह यहां के कई नेताओं को नाम से जानते थे और अक्सर जनसभाओं को संबोधित करने के लिए आते थे। अटल जी के झांसी से जुड़े कुछ खास किस्से:
1974 में उन्होंने एक चुनावी जनसभा में बुंदेलखंड की दुर्दशा को उजागर करते हुए कहा था, “दुनिया की दौड़ में हिंदुस्तान पीछे, हिंदुस्तान की दौड़ में यूपी पीछे और यूपी की दौड़ में अभागा बुंदेलखंड पीछे, मानो पिछड़ेपन की होड़ लगी हुई है।”
एक बार गर्मी के दिनों में झांसी दौरे के दौरान सराफा बाजार में उनका कार्यक्रम था। रात हो जाने के कारण वह एक दुकान की छत पर सो गए थे और वहीं खाना भी खाया था। अटल जी कई बार कार्यकर्ताओं के साथ बाइक पर बैठकर शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमने निकल जाते थे।
अटल जी आज भी झांसी वासियों के दिलों में जीवित हैं: अटल जी का निधन 16 अगस्त 2018 को हो गया था, लेकिन आज भी वे झांसी वासियों के दिलों में जीवित हैं। उनकी सादगी, विनम्रता और दूरदर्शिता के लिए आज भी लोग उन्हें याद करते हैं।
इसके बाद अटल जी का झांसी से लगातार जुड़ाव रहा। वह यहां के कई नेताओं को नाम से जानते थे और अक्सर जनसभाओं को संबोधित करने के लिए आते थे। अटल जी के झांसी से जुड़े कुछ खास किस्से:
1974 में उन्होंने एक चुनावी जनसभा में बुंदेलखंड की दुर्दशा को उजागर करते हुए कहा था, “दुनिया की दौड़ में हिंदुस्तान पीछे, हिंदुस्तान की दौड़ में यूपी पीछे और यूपी की दौड़ में अभागा बुंदेलखंड पीछे, मानो पिछड़ेपन की होड़ लगी हुई है।”
एक बार गर्मी के दिनों में झांसी दौरे के दौरान सराफा बाजार में उनका कार्यक्रम था। रात हो जाने के कारण वह एक दुकान की छत पर सो गए थे और वहीं खाना भी खाया था। अटल जी कई बार कार्यकर्ताओं के साथ बाइक पर बैठकर शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमने निकल जाते थे।
अटल जी आज भी झांसी वासियों के दिलों में जीवित हैं: अटल जी का निधन 16 अगस्त 2018 को हो गया था, लेकिन आज भी वे झांसी वासियों के दिलों में जीवित हैं। उनकी सादगी, विनम्रता और दूरदर्शिता के लिए आज भी लोग उन्हें याद करते हैं।