अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर तिरंगा फहराया: ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद; वकीलों और पुलिस में झूमाझटकी – Gwalior News h3>
हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर की प्रतिमा विवाद को लेकर महिला पुलिसकर्मियों से पाइप छीनते वकील।
ग्वालियर में बने हाईकोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का विवाद गहराता जा रहा है। एक तरफ बार एसोसिएशन ने प्रतिमा लगाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वहीं एक पक्ष प्रतिमा लगवाना चाहता है। शासन द्वारा भी प्रतिमा लगवाने की प्रक्रिया चल रही है।
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जहां प्रतिमा स्थापित होना है, वहां बार एसोसिएशन के वकीलों ने तिरंगा फहरा दिया। इस दौरान पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों ने रोकना चाहा तो विवाद के हालात बने और धक्का-मुक्की भी हुई। बार एसोसिएशन का कहना है कि यह झंडा हमने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की याद में फहराया है। आगे इस तिरंगे को 100 फ़ीट की ऊंचाई का बनवाने के लिए उच्च न्यायालय में बात रखेंगे।
जहां होनी थी अम्बेडकर प्रतिमा की स्थापना। वहां वकीलों ने फहरा दिया तिरंगा।
ग्वालियर में सोशल मीडिया प्लेटफार्म “X’ पर एक वीडियो सामने आया है। यह वीडियो किसी अनुज बमरोलिया ने अपलोड किया है। साथ ही लिखा है कि “भाई यह कोई भारत-पाक बॉर्डर न हीं है, ये ग्वालियर का नया हाईकोर्ट है। सरकार यहां बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा लगाना चाहती है, लेकिन कुछ वकील जिद पर अड़े हैं कि प्रतिमा नहीं लगने देंगे।’ हद तो तब हो गई जब इस वीडियो में कुछ वकील महिला पुलिस कर्मियों से झूमाझटकी कर स्टील का पाइप उठाकर उसे प्रतिमा के लिए प्रस्तावित स्थल पर लगाकर उस पर भारतीय तिरंगा फहरा देते हैं। इस दौरान महिला पुलिस कर्मियों से उनकी झूमाझटकी होती है और विवाद होता है। आसपास काफी संख्या में पुलिस अफसर और फोर्स खड़ा रहता है, लेकिन कोई बीच बचाव के लिए नहीं आता। यह पूरा विवाद शनिवार का बताया जा रहा है।
बार एसोसिएशन ने फहराया तिरंगा
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ग्वालियर का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि चौक-चौराहों सहित सार्वजनिक स्थान से जुड़ी हुई जगह पर किसी भी महापुरुष की प्रतिमा नहीं लगाई जाएगी। इसके बावजूद ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अम्बेडकर जी की प्रतिमा लगाने के लिए फाउंडेशन स्ट्रक्चर तैयार कर दिया गया। बिना अनुमति तैयार कराए गए फाउंडेशन स्ट्रक्चर के निर्माण को लेकर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं।
ऐसे में बार एसोसिएशन ने बैठक के बाद प्रस्ताव पास किया है कि हाईकोर्ट परिसर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ध्यान रखते हुए जात-पात से ऊपर उठकर कोई भी प्रतिमा नहीं लगाई जाएगी। यही कारण है कि यहां बार एसोसिएशन ने भारतीय तिरंगा को फहराया है। तिरंगा से बढ़कर कोई नहीं है।
ऐसे समझिए पूरा विवाद
हाईकोर्ट परिसर में प्रतिमा लगवाने वाले कोई आम लोग या सामाजिक संस्था के नहीं बल्कि कुछ वकीलों का ही एक ग्रुप है। इसी ग्रुप की पहल पर यहां हाईकोर्ट भवन में डॉक्टर बीआर अंबेडकर की प्रतिमा लगना प्रस्तावित है। जिसका प्लेटफार्म बनकर पूरी तरह तैयार हो गया है।
वकीलों के इस ग्रुप का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में बाबा साहब अंबेडकर जी की प्रतिमा लगी है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट मुख्य पीठ जबलपुर में भी अंबेडकर जी की प्रतिमा लगी है। अम्बेडकर जी द्वारा संविधान का निर्माण किया था। ऐसे में बार एसोसिएशन का विरोध गलत है। ग्वालियर हाईकोर्ट की अनुमति के साथ ही बाबा साहब अंबेडकर जी की मूर्ति को हाईकोर्ट परिसर में स्थापित किया जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर के उपलक्ष्य में फहराया तिरंगा
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ग्वालियर के अध्यक्ष एडवोकेट पवन पाठक का कहना है कि एक पक्ष ने मनमाने ढंग से प्रस्ताव पास कर अंबेडकर की प्रतिमा की स्थापना की जा रही है। इसमें बार एसोसिएशन को बताना भी उचित नहीं समझा। हाईकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी होती है, जिसमें सात सदस्य होते हैं, उनकी भी नहीं सुनी है। जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सार्वजनिक स्थलों व चौक चौराहों पर महापुरुषों की मूर्ति नहीं लगाई जाएगी। इसलिए हमने “ऑपरेशन सिंदूर’ के उपलक्ष्य में तिरंगा फहराया है। यह सभी जात, धर्म से ऊपर है।